आदिवासी भारतीय मूल संस्कृति से कैसे जुड़े रहे
आदिवासी भारतीय मूल संस्कृति से कैसे जुड़े रहे भारत के लगभग 30 प्रतिशत लोग आदिवासी थे । वे सुदूर जंगलों में या गांवों में रहते । न तो ये लोग साक्षर थे , इनकी भाषा भी अलग थी कि वेदों, उपनिषदों की गूढ़ बातों को पढ़ सकें या जान सकें। न ही ये वैदिक क्रिया क्लापों के बारे में जानते थे। लेकिन फिर भी ये लोग भारतीय सनातन पद्धति का हिस्सा थे। क्या ऐसा हो सकता है कि कोई कुरान को न जानता हो, अल्हा को न जानता हो फिर भी व मुसलमान हो , या कोई यीशू को न जानता हो या बाइबल न उसने पढ़ी हो फिर भी व ईसाई हो, नहीं ऐसा नहीं हो सकता मुसलमान व ईसाई होने के लिए उन्हें ईसाइयत व इस्लाम के कानूनों के बारे में जानना ही होगा और उस पर चलना ही होगा। तो फिर ये आदिवासी वैदिक सनातन धर्म के बारे में कुछ भी न जानते हुए भी कैसे सनातनी ही स्वयं को मानते थे। क्या ऐसा हो सकता है। हां ये आदिवासियों के अपने लोकल देवी-देवता थे,जैसे जंगल देवता, या कुलदेवी, कुलदेव ये उन्ही को मुख्य रख कर अपने धार्मिक कार्यों को करते थे। भगवान राम, कृष्ण , शिव आदि की कथाएं भी इनके पास पहुंची हुई थीं और ये लोग अग्नि के समक्ष ही अपने सारे धार