क्या ब्राह्मणों ने दूसरों का हक मारा
क्या ब्राह्मणों ने दूसरों का हक मारा अाज समाज में वामपंथी व कुछ तथाकथित दलित नेताअों की तरफ से स्वर्ण समाज व ब्राह्मणों पर एेसे नफरती अारोप लगाए जाते हैं जिनका न तो उनके पास प्रमाण है अौर न ही वे पेश कर पाएंगे। अभी कुछ दिन पहले एक 75 वर्षीय जाटव उपनाम वाले तथाकथित दलित नेता का इंटरव्यू लिया जा रहा था । इसमें ये कह रहा था कि ब्राह्मणों ने दलितों से अन्याय किया है अौर अब दलितों को किसी भी ब्राह्मण नेता को वोट नहीं देना चाहिए अौर ब्राह्मणों को घरों से निकान कर चुन-चुन कर मार देना चाहिए। वह कह रहा था कि भारत में मनुवादी ब्राह्मणों की व्यवस्था् है। हर तरफ ब्राह्मणों का ही कब्जा है। न्यायपालिका में से सारे ब्राह्मणों को निकाल कर दलितों की भर्ती की जानी चाहिए। योग्यता के बारे में उसने कुछ नहीं कहा। उसने एक शब्द यह भी प्रयोग किया अकलीयत के लोगों को ऊंचे पदों पर बैठाना चाहिए। अाइए हम उसके लगाए अारोपों का विश्लेषण करते हैं। पहली बात है कि वह पूरी तरह से एक वर्ग विशेष के खिलाफ नफरत फैला रहा है। वह वैसा ही कह रहा है जैसा जर्मनी में हिटलर ने यहूदियों के खिलाफ 10 साल तक नफरती प्रचार किया अ