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Showing posts from February, 2018

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आपके कुल व वंश पर आपका नियंत्रण क्यों नहीं है

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आपके कुल व वंश पर आपका नियंत्रण क्यों नहीं है एक तरफ महान अभिनेता अमिताब बच्चन के घर अभिषेक बच्चन का जन्म लेना और दूसरी तरफ एक गरीब की झोपड़ी में एक अन्य बच्चे का जन्म लेना। दोनों प्रकृति के लिए एक सामान्य घटनाएं हों सकती हैं, लेकिन जन्म लेने वालों के लिए यह समान्य घटना नहीं है। अभिषेक को जन्म लेते ही अपने कुल का गौरव अपने समृद्ध माता-पिता का नाम उनकी सम्पत्ति, उनके परिजनों का प्यार अपने- आप ही मिल जाएगा। अब अभिषेक चाहें भी तो अपने को इस जन्म से मिले सम्मान से दूर नहीं कर पाएंगे। अमीर कुल में जन्म लेना चाहे उनके पूर्व कर्मों के आधार पर हो सकता है। एक बात तो तय है कि इस पर उनका कोई नियंत्रण नहीं है। दूसरी तरफ एक गरीब के घर में पैदा हुआ बच्चा अपने कुल के सम्मान का हकदार है। अब इस भौतिक धरातल में दोनों के कर्म तो बाद में देखे जाएंगे। अभिषेक एक समृद्ध परिवार का हिस्सा होने के कारण या अपनी मेहनत के कारण एक पहचान बना पाया और उसकी शादी ऐश्वर्या राय से हुई। अब उस गरीब का बेटा अपने कर्मों के हिसाब से इसके निकट भी नहीं फटक सकता लेकिन प्राकृति की नजर में दोनों एक समान हैं। प्रकृति की

महान कलाकार श्रीदेवी का इस तरह जाना, दुखी कर गया

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महान कलाकार श्रीदेवी का इस तरह जाना, दुखी कर गया छोटी आयु में अभिनय के क्षेत्र में आने वाली दक्षिण भारतीय अभिनेत्री श्रीदेवी ने बहुत ही संघर्ष किया। जवानी में बी ग्रेड की फिल्मों से अपना करियर शुरु करने वाली इस अभिनेत्री ने बहुत ही पापड़ बेले। बालिवुड में इसने बहुत ही संघर्ष किया। कई बार इसे अपमानित होना पड़ा लेकिन इसने कभी भी हार नहीं मानी। उनकी एकता कपूर की तरह ज्योतिष में बहुत ही दिलचस्पी थी। श्रीदेवी कपूर जो कि श्रीदेवी के नाम से प्रख्यात, भारतीय फिल्मों की मशहूर अदाकारा थीं।  जिन्होंने हिंदी फिल्मों के अलावा तमिल, मलयालम, तेल्गु, कन्नड़ और में भी काम किया। अपनी वर्सटैलिटी और हिन्दी फिल्मों की बेहतरीन अभिनेत्री मानी जाने वाली श्रीदेवी ने अपने करियर की शुरुआत फिल्म सोलवां सावन से 1979 में की थी।  लेकिन उन्हें बॉलीवुड में पहचान फिल्म हिम्मतवाला से मिली।  इस फिल्म के बाद वह हिंदी सिनेमा की सुपरस्टार अभिनेत्रियों में शुमार हो गयीं। श्रीदेवी ने अपने फि़ल्मी करियर में कई अनगिनत फिल्में की।  अपने करियर के दौरान उन्होंने कई दमदार रोल किए और कई मजबूत फीमेल किरदार को पर्दे पर बेहतरीन

ब्रह्मा जी अपनी बेटी पर क्यों सम्मोहित हो गए थे?

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www.bhrigupandit.com ब्रह्मा जी अपनी बेटी पर क्यों सम्मोहित हो गए थे? सृष्टि के रचियता ब्रह्मा जी अपनी बेटी पर सम्मोहित हो गए। उसकी सुंदरता को एकटक देखते ही रह गए। अचानक वह इस तंद्रा से टूटे तो बोले बेटा दम्भ आपने ऐसा क्यों किया। आपको तो मैंने दुनिया को मोहपाश में बांधने के लिए कहा था और आपने मुझ पर ही अपना प्रयोग कर  दिया ऐसा क्यों? दम्भ ने उत्तर दिया, पिता जी आपने मुझे दुनिया को मोह पाश में बांधने को कहा था तो मैंने सोचा कि आप पर ही प्रयोग कर लूं। ऐसा है दम्भ। आज समाज में दम्भियों का बोलबाला है क्योंकि ये बहुत ही चतुर, प्रभावशाली, वाकपटुता में प्रवीण, मीडिया, प्रशाशन को अपने पैसों प्रभाव के बल से खरीद लेते हैं। ये सफेदपोश इतने चालाक होते हैं कि असली को ही रास्ते से हटा देते हैं। लोग इनकी बातों में आ जाते हैं और इन दम्भियों को भगवान समझ लेते हैं। एक बार ब्रह्मा जी अपने दरबार में बैठे थे। देखते हैं कि एक सुंदर राजसी आभा वाला युवक तेजी से वहां आ जाता है। ब्रह्माजी उसको देखकर खड़े होकर उसका स्वागत करते हैं,उन्हें ऐसा करते देखकर सभा में बैठे बाकी मंत्री भी खड़े हो जाते हैं। बू्रह्मा

क्या रेखाएं हमारे जीवन में प्रभाव डालती हैं

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www.bhrigupandit.com क्या रेखाएं हमारे जीवन में प्रभाव डालती हैं? यह प्रश्न हमसे कई बार पूछा जाता है।  आप मेरे पास कितनी दूर से चलकर आए , आप मुझे रेखाओं के माध्यम से बताएंगे तो आप कागज पर कुछ रेखाएं झट से बना देंगे, आपका मकान कैसा है तो आप रेखाएं खींच कर लम्बाई, चौड़ाई ऊंचाई के बारे में बता देंगे। दुनिया में किसी भी दो लोगों की हस्त रेखाएं एक समान नहीं होती, फिंगर प्रिंट्स भी अलग-अलग होते हैं। ये सब कुछ एक एक्पर्ट ही बता सकता है। वह आपकी मस्तक रेखाएं,हस्त रेखाएं देखकर आपके भू्रत, भविष्य व वर्तमान की सटीक जानकारी देता है। रेखाओं हमारे जीवन में बहुत प्रभाव डालती हैं। इस विद्या को समझने वाला विशेषज्ञ होते हैं। फिंगर पिं्रट्स एक्सपर्ट तो इनके सहारे अपराधियों तक पहुंच जाते हैं और अपराधी जेल की सलाखों के पीछे होते हैं। इसलिए बिना अध्ययन किए यह कहना कि रेखाओं का कोई महत्व नहीं, एक अज्ञान मात्र है। हाथ की रेखाएं, मस्तक की रेखाएं बहुत कुछ कहती हैं,बस जरूरत है विशेषज्ञ की। for more information call or whatsapp  +98726 65620

हिन्दुओं ने ही भुला दिया विनायक दामोदर सावरकर को

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हिन्दुओं ने ही भुला दिया विनायक दामोदर सावरकर को जिनके लिए वह जीवन भर लड़ता रहा, जिनके लिऐ उसने दिन देखा न रात वह ब्राह्मण नायक हिन्दुओं की तरफ से ही भुला दिया गया। ेऐसा वीर जिसने हिन्दुत्व की मशाल लेकर अंडेेमान निकोबार में आजीवन कारावास का कष्ट झेला उसका सम्मान तो क्या आज उसे कोई याद भी शायद करता हो। अंग्रेजी साम्राज्य की चूलें तक हिला कर रख देने वाले इस महानायक के दुख व तिरस्कार के सिवा क्या पाया। आज सैलुलर जेल से आती चीखों की आवाजों में उनकी चीखें भी शामिल हैं। पाकिस्तान बनाने के वे घोर विरोधी थे। वे चाहते थे कि भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित किया जाए लेकिन उस समय अंग्रेजों के चमचों ने उनकी एक न चलने दी। अंग्रेजों ने उनकी लिखी पुस्तकों, लेखों को बैन कर दिया था क्योंकि चमचों ने अंग्रेजों को बताया था कि सावरकर उनके खिलाफ लिखता है। दुख तो इस बात का है कि आज स्वतंत्र भारत में भी नई पीढ़ी इस महान बलिदानी को नहीं जानती।  हमारा छोटा सा प्रयास है ऐसे ब्राह्मण योद्धाओं को सामने लाने का। इनके जीवन केबारे में हम 1500 पृष्ठो वाली पुस्तक लिख रहे हैं। उनकी लिखी पुस्तकें हर भारतीय को पढऩी चाहिए

क्या आपकी लड़की आपके कहने से बाहर है

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for more information call or whatsapp +91 98726 65620 www.bhrigupandit.com क्या आपकी लड़की आपके कहने से बाहर है जब बच्चा छोटा होता है तो वह खिलौनों मिठाइयों आदि की मांग करता है। जैसे-जैसे वह बड़ा होने लगता है तो उसकी उम्र के हिसाब से मांगें भी बदल जाती हैं। बच्चा थोड़ा बड़ा होता है तो वह कार्टूनों को टीवी पर देकना पसंद करता है। कुछ और बड़ा होने पर वह वह संगीत, फिल्में आदि की तरफ आकर्षित होता है। 12 साल के बाद लड़की में एस्ट्रोजन व लड़कों में टैस्टाट्रोम हारनोन बढऩे लगते हैं। लड़का-लड़की के शरीर में बदलाव आने शुरु हो जाते हैं और वे इस कमसिन उम्र में समझ ही नहीं पाते कि उनके साथ क्या हो रहा है। उनको लगता है कि यह सब उनके साथ ही हो रहा है। दुनिया में हर चीज का आनंद उठाना चाहते हैं,आजादी चाहते हैं और अपने नजरिए से दुनिया को देखना चाहते है। वे सैक्सुअल सैंसेटिव हो जाते हैं। माता-पिता भी उनके इस बदलाव को समझ नहीं पाते। इस मोबाइल फोन व आजादी के युग में बच्चे ेबहक जाते हैं और परिवार व माता-पिता के खिलाफ भी हो जाते हैं। इसके परिणाम बहुत ही भयंकर सामने आते हैं। कई बच्चियां सोशल मीडिया

भगवान शंकर स्वरूप, ब्राह्मण शिरोमणि, भगवान जगदगुरु आदि शंकराचार्य

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puri shankaracharawww.bhrigupandit.com swami nishchlanand ji ब्राह्मण कुल में पैदा होकर देश व धर्म की अलख जगाने वाले रणबांगुरों की गाथाएं असंख्य हैं। ये ऐसे योद्धा रहे हैं कि इनके तेज से ही लोग प्रभावित हो जाते थे। भगवान शंकर स्वरूपा, ब्राह्मण शिरोमणि, भगवान जगदगुरु आदि शंकराचार्य को कौन नहीं जानता। आदि शंकराचार्य पीठ के प्रमुख व गुरु शंकराचार्य निश्चलानंद जी के अनुसार आदि शंकराचार्य जी का इसधरा पर अवतरण ईसा से 500 वर्ष पूर्व हुआ था। इस समय न तो ईसाई थे और न ही इस्साम था। उस समय भारत में बौद्ध धर्म का बोलबाला था। क्षत्रिय आदि लोग अपने धर्म को छोड़ कर बौद्ध हो चुके थे। अशोक क्षत्रिय था और उसने क्षत्रिय धर्म छोड़कर नास्तिक अहिंसावादी धर्म अपना लिया और यहीं से शुरु हुई थी भारत के पतन की असली दास्तां। भारत अहिंसावादी नीतियों के कारण गुलामी की बेडिय़ों में जकड़ता गया। भारत के स्वतंत्र होने के बाद ऐसा कुचक्र रचा गया जिसका किसी को पता ही नहीं चला। भारत के 10वे राष्ट्रपति केआर नारायणन जिनका उनके मरने पर पता चला कि वह ईसाई थे, ऐसा काम किया कि आदिशंकराचार्य का जन्म ईसा  से 500 वर्ष बाद

राहु है छाया ग्रह पर डालता है बहुत प्रभाव

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राहु है छाया ग्रह पर डालता है बहुत प्रभाव  वैसै तो हमारे जीवन हर ग्रह अपना प्रभाव डालता है। सूर्य, चंद्र, मंगल, शनि शुक्र आदि ग्रह अपना प्रभाव डालते रहते हैं। राहु ग्रह न होकर ग्रह की छाया है, हमारी धरती की छाया या धरती पर पडऩे वाली छाया। राहु के उपाए यदिठीक समय पर कर लिए जाएं तो परिस्थितियां प्रतिकूल हो जाती हैं। व्यक्ति अच्छे व बढिय़ा निर्णय लेने लगता है। खुश रहता है और इसमें आत्मविश्वास बढ़ जाता है। नींद अच्थी आती है और अच्छे सपने आते हैं। हर समस्या का समाधान बहुत ही अच्छे तरीके से वह निकालने की क्षमता रखता है। राहू अच्छा हो तो जातक को जीवन में तरक्की मिलती है। कहते हैं कि रोज पीपल की छाया में सोने वाले को किसी भी प्रकार का रोग नहीं होता लेकिन यदि बबूल की छाया में सोते रहें तो दमा या चर्म रोग हो सकता है। इसी तरह ग्रहों की छाया का हमारे जीवन में असर होता है। राहु ग्रह हमारी बुद्धि का कारण है, लेकिन जो ज्ञान हमारी बुद्धि के बावजूद पैदा होता है उसका कारण राहु है। कुंडली में राहु तीसरे, छठे व ग्यारहवें भाव में मौज़ूद हो तो शुभ फल प्रदाता हो जाता है। तीसरे भाव में स्थित राहु पर

ब्राह्मण वीरांगना झांसी की रानी लक्ष्मीबाई

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ब्राह्मण वीरांगना झांसी की रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों के छक्के छुड़वाने वाली वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई किसी परिचय की मोहताज नहीं है। यह महान नारि सूर्य के चमकते रहने तक ब्राह्मणों का सिर हमेशा ऊंचा रखेगी। समाज के लिए ब्राह्मणों के किए बलिदानों को वामपंथियों ने इतिहास में कोई जगह नहीं दी।वीर सावरकर जी तक को आंतकवादी घोषित करवा दिया। अंडेमान में कालापानी की सजा भुगतते समय उनकी लिखी पुस्तक को कोई पढ़ ले तो उसकी आंखों में आंसु आ जाएंगे। इतना महान बलिदान इस समाज के लिए। आज ब्राह्मणों के खिलाफ कुछ देशद्रोही नफरत का वातावरण बना रहे हैं, इसलिए जरूरी है कि ब्राह्मणों की तरफ से किए गए बलिदानों को लोगों के सामने रखा जाए। हमारी 1500 पृष्ठों वाली पुस्तक में ब्राह्मणों की गौरवमईगाथा का इतिहास लिखा जाएगा। इस पुस्तक को लिखने में हमें साहित्यकारों, इतिहासकारों, अध्यापकों की जरूरत है जो इस महायज्ञ में अपनी आहूति डाल सकें। सहयोग देने वाले की फोटो उनके द्वारा किए गए सहयोग का वर्णन किया जाएगा। आज जरूरत है उन लोगों का मुंह बंद करने के लिए जो ब्राह्मणों के किए योगदान को नहीं जानते। भारतीय राजा यदि अंग्र

जाने ब्राह्मणों का गौरवमई इतिहास

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जाने ब्राह्मणों का गौरवमई इतिहास समाज के सभ्यता के मार्ग पर चलाने के लिए ब्राह्मणों का योगदान इतना है कि इसे भुलाया नहीं जा सकता। देश व समाज पर जब भी संकट का दौर हुआ तो ब्राह्मणों ने समाज के अन्य वर्गों के साथ मिलकर इसमें तन-मन-धन से योगदान दिया। पिछले लगभग 250 सालों से ब्राह्मणों के प्रति कुछ देश द्रोही तत्व एक षडयंत्र के तहत नफरत फैला रहे हैं। यह नफरत वैसी ही है जैसी हिटलर ने जर्मनी में यहूदियों के खिलाफ चलाई थी। वे इसके भयंकर परिणामों का शिकार इसलिए हुए क्योंकि वे उसी समय एकमंच पर आकर इस नफरत का जवाब नहीं दे सके। इस नरसंहार से उन्होंने प्रेरणा ली और आज कोई भी उनकी तरफ आंख उठाकर नहीं देख सका। भारत में ब्राह्मणों के जितने नरसंहार हुए शाहद इस पृथ्वी में किसी अन्य के न हुए हों। इतना सब कुछ झेलने के बाद भी आज ये गर्व से सीना तान कर खड़े हैं। वर्तमान का समय इनका सबसे चुनौती पूर्ण है क्योंकि समाज में इनके खिलाफ देशद्रोही नफरत फैला रहे हैं। हम मिलकर एक इस गौरवमई इतिहास के बारे में एक 1500 पृष्ठों की पुस्तक लिख रहे हैं। इसमें हर ब्राह्मण का सहयोग चाहिए। अपने-अपने क्षेत्रों के महान ब

गुरुकुल क्या होते हैं और ये कैसे चलते थे

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गुरुकुल क्या होते हैं और ये कैसे चलते थे विश्व की सबसे प्राचीन परम्परा गुरुकुल के बारे में आज बहुत सारे लोग नहीं जानते। जानते भी होंगे लेकिन यह नहीं जानते होंगे कि इसकी कार्य प्रणाली क्या होती है। कल्पना करें कि आपका बच्चा जिस महंगे स्कूल में पडऩे जाता है,अचानक यह घोषणा कर दे कि आपके बच्चे की स्कूल फीस माफ, उसे ले जाने वाली बस बंद, पढ़ाई पूरी होने तक उसके खाने-पीने, रहने आदि का सारा इंतजाम स्कूल मैनेजमेंट करेगी। आपका बच्चा स्कूल के होस्टल में रहेगा और उसे वहीं शिक्षा दी जाएगी। पढ़ाई पूरी होने पर उसके रोजगार की गारंटी भी स्कूल मैनेजमैंट देगी। ऐसा सुनने के बाद शायद आप कहेंगे कि हे भगवान तेरा लाख-लाख शुक्र है कि अब हमें महंगी शिक्षा से छुटकारा मिला और हमारे बच्चे के रोजगार की भी चिंता खत्म हो गई। लेकिन यह आधुनिक  समाज में एक स्पप्न ही लगता है। ऐसा नहीं हो सकता क्योंकि शिक्षा व्यापार का एक बड़ा केन्द्र बन चुकी है।         अब आईए  प्राचीन भारत की बात करते हैं। बच्चे 13 या 15 वर्ष तक गुरुकुल में बिल्कुल फ्री पढ़ते थे। शास्त्रों का अध्ययन करते और शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्हें तुरंत

्युद्ध भूमि में अर्जुन को भगवान उपदेश न देते तो क्या होता?

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www.bhrigupandit.com ्युद्ध भूमि में अर्जुन को भगवान उपदेश न देते तो क्या होता? आज से हजारों साल पहले कुरूक्षेत्र के युद्धक्षेत्र में कौरवों व पांडवों की सेना आमने-सामने खड़ी थीं। कौरव अधर्म का प्रतीक व पांडव धर्म का। ऐसा नहीं था कि कौरवों में अच्छे लोग नहीं थे,भीष्म पिताहम, कृपाचार्य,द्रोणाचार्य, कर्ण आदि महारथी थे लेकिन वे सभी अधर्म के साथ खड़े थे। युद्धक्षेत्र में पहुंचने पर अर्जुन भगवान कृष्ण जो उनके सारथी भी थे, को कहते हैं कि हे भगवन आप मेरे रथ को बीच मैदान में ले जाएं ताकि मैं अपने विरोधियों को ठीक से देख सकूं। भगवान वैसा ही करते हैं लेकिन वहां पहुंच कर अर्जुन मोह ग्रस्त हो जाते हैं और भगवान को कहते हैं कि ये जो मेरे साथ युद्ध करने के लिए खड़े हैं मेरे सगे-सम्बंधी, मित्र, गुरुजन, भाई इत्यादि हैं। मैं इनको मारकर पाप का भागी नहीं बनना चाहता। भगवान कहते हैं कि हे अर्जुन तुम क्षत्रिय हो और तुम्हारा कर्म है युद्ध करना और अपने शत्रुओं का नाश करना। धर्म की रक्षा के लिए लडऩा तुम्हारा कर्म व कर्तव्य भी है। इस प्रकार अर्जुन को युद्ध के लिए प्रेरित करते हैं और जीत दिलाते हैं।    

महाशिवरात्रि पर हर भक्त करे शिव का जलाभिषेक

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महाशिवरात्रि पर हर भक्त करे शिव का जलाभिषेक भगवान शिव बहुत ही भोले हैं। सब पर प्रसन्न हो जाते हैं। इनके भक्त भी निराले होते हैं। वे विश्व में जहां कहीं भी हों अपने ईष्ट को कभी नहीं भूलते और उसकी अराधना करते हैं। महाशिवरात्रि पर्व पर मंदिरों में शिव भक्त उमड़ पड़ते हैं। शिवालयों में पूजा करने से पहले भक्तों को पूरी विधी से भगवान का पूजन  करना चाहिए। कुछ निषेध भी हैं जिनका पालन करना जरूरी है। शिव को हल्दी से नहीं चढ़ानी चाहिए- शिव को हल्दी से नहीं चढ़ानी चाहिए, चंदन का टीका या लेप करना चाहिए, शिवलिंग को छूना नहीं चाहिए, शिवालय में शांत रहना चाहिए, शिव को सफेद फूल अॢपत करने चाहिए, तांबे के लोटे में जल चढ़ाना चाहिए, स्टील के लौटे से जल नहीं चढ़ाना चाहिए। शिवलिंग को पार नहीं करना या उसकी पूरी परिक्रमा निषेध-  शिवलिंग को पार नहीं करना या उसकी पूरी परिक्रमा निषेध है। ओम नम शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए। शिवालय से बची पूजा सामग्री को किस अन्य देव को नहीं चढ़ानी चाहिए। कोशिश करें कि आप शिव मंदिर में अंत में जा जाएं यानि सभी अन्य देवों की अराधना के बाद,या फिर सबसे पहले शिव मंदिर जाने क

कांवड़िए कौन होते हैं और ये धर्म व राष्ट्र की किस तरह सेवा करते हैं

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कांवड़िए कौन होते हैं और ये धर्म व राष्ट्र की किस तरह सेवा करते हैं कांवड़ियों में बुहत उत्साह है। इस वर्ष कांवड़ यात्रा 25 जुलाई 2021 से शुरू होगी। महादेव के भक्त करोड़ों की संख्या में हरिद्वार गंगा जल लेने के लिए आएंगे। सभी हिन्दूओं से निवेदन है कि इनका जोरदार स्वागत करें। महादेव आपकी मनोकामनाएं पूरी करेंगे। कांवड़िए होते भगवान शिव के भक्त  कांवड़िए शिव भक्त होते हैं जो हजारों साल पुरानी परम्परा के अनुसार शिव जलाभिषेक करते हैं। सावन के माह में ये शिव भक्त पूरे भारत से विभिन्न जगहों से हरिद्वार व अन्य पवित्र स्थानों पर पहुंचते हैं। वहां गंगा जी की आरती करते हैं और वहां से गंगा जी का जल अपने कलशों में भरकर अपने गांवों में वापस लौटते हैं। वे वहां शिव मंदिरों में शिवलिंगों का जलाभिषेक करते हैं। इनकी श्रद्धा इतनी प्रगाढ़ होती है कि भगवान शिव इनसे हमेशा प्रसन्न रहते हैं।    कहते हैं कि कांवडिय़ों की सेवा करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। नंगे पांव कलश धारण किए जब ये कांवड़िए एक जगह पर मिलते हैं तो ये राष्ट्रिय एकता को भी मजबूत कर रहे होते हैं।  हिन्दुओं  का दायित्व हर ह

निषेध क्या होता है, इसका कैसे पालन करना है?

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निषेध क्या होता है, इसका कैसे पालन करना है? कहते हैं कि जो तारक होता है वो मारक भी होता है। आप कोई दवा खा रहे हो तो उसपर लिखा होता है कि यह एक खतरनाक दवाई है, बिना योग्य चिकित्सक की सलाह के इसे न खाएं। दवाई का काम है मानव को निरोगी बनाना यदि  कोई दवाई बिना निषेध का पालन किए खा ले तो वह दवाई उसे लाभ देने की बजाए नुकसान पहुंचा सकती है। आप दवाई न खाएं तो चलेगा लेकिन जब खाएं तो आपको निषेध का पालन करना ही पड़ेगा। इसी प्रकार बिजली का अविष्कार मानव मात्र को लाभ पहुंचाने के लिए हुआ है लेकिन चलती बिजली की तारों को आप छू देंगे तो आप मौत के मुंह में जा सकते हैं। बिजली के खम्भे के पास बोर्ड में लिखा होता है कि सावधान 24000 किलोवाट वोल्टेज पास मत जाएं। यदि आप इस निषेधाज्ञा को नहीं मानते तो आप बेमौत मारे जा सकते हैं। आप सड़क  यातायात के नियमों का पालन नहीं करते तो आप दुर्घटना का शिकार हो सकते हैं। ये निषेध मानव मात्र के कल्याण के लिए ही हैं।  इसी प्रकार जीवन के विभिन्न धार्मिक व सामाजिक क्रिया क्लापों  मे भी मानव को शास्त्रों के अनुसार निषेध का पालन करना पड़ता है। पिता का पुत्री से विवाह

horoscope predictions of Aishwarya Rai | Aishwarya Rai ki kundly

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horoscope predictions of Aishwarya Rai | Aishwarya Rai ki kundly ऐश्वर्या राय HOROSCOPE PREDICTION, जानिए क्या कहती है  ऐश्वर्या राय ki  कुंडली ऐश्वर्या राय बच्चन  का जन्म 1 नवम्बर 1973 को सुबह 7 बजकर 20 मिनट में मंगलौर में हुआ था। इनकी अनुमान कुंडली के अनुसार इनकी राशि धनु व राशि स्वामी गुरु है। जब यह पैदा हुईं तो उस समय पूर्वा अषाढ़ा नक्षत्र था इसका स्वामी शुक्र है और योग धृति बन रहा था। योनी वानर होने व वर्ण क्षत्रिय होने के कारण बचपन से ही बहुत ही चंचल व आत्म सम्मान के लिए किसी से भी भिड़ जाने वाली हैं।  लगन में तुला व सूर्य, बुध दूसरे तथा सहज भाग में शुक्र, चंद्र व राहु की युति है। सप्तम भाग में मंगल होने के कारण मांगलिक दोष भी है। स्वाभाव से बहुत ही भावुक पर इनमें अपनी भावनाओं पर काबू पाने की अद्भुद शक्ति होती है। जीवन के कई राज अपने मरने तक किसी को नहीं बताती। दुख और पीड़ा से निकलते हुए सफलता की हर मंजिल पर पहुंचने की कला इनमें हैं। horoscope predictions of Aishwarya Rai | Aishwarya Rai ki kundly पारिवारिक सामंजस्य बनाने की हर तरह की कोशिश ये करती हैं। Mangalik- मंगल