क्या पु्र्तगाली सच में भारत से मसालों का व्यापार करते थे ?
क्या पु्र्तगाली सच में भारत से मसालों का व्यापार करते थे भारत मुगलों के आने से पहले सोने की चिड़िया कहलाता था। यहां से आयुर्वेदिक दवाइयां व मसाले सारी दुनिया में अपनी धाक जमा रहे थे। जब यूरोप के लोग खानाबदोशों की तरह जीवन जी रहे थे उस समय भारत में वेद, ज्योतिष व आयुर्वेद, योग में भारतीय पारंगत हो चुके थे। पुर्तगाली जब भारत आए तो वे भारत में आयुर्वेदिक दवाइयों के लालच में आए क्योंकि इन दवाइयों की कीमत यूरोप के बाजारों में सोने से भी ज्यादा थी। उन्होंने आयुर्वेद में पारंगत वैधों को बड़ी कीमतें देकर खरीद लिया और उनसे दवाइयों के मिश्रण तैयार करवाने लगे। जैसे कि वामपंथी इतिहासकार बताते हैं कि वे मसालों का काम करते थे । वे चालाकी से आयुर्वेद के बारे में नहीं लिखते। आयुर्वेद में पारंगत लोग स्थानीय लोग होते थे और उनका सारा परिवार ही इन दवाइयों को बनाने में पारंगत होता था। महिलाएं जंगलों से बूटियों को पहचान कर लाती थीं। आदिवासी भी इन दवाइयों के बनाते व इनसे लोगों का उपचार करते थे। ये सारा कुछ मौखिक होता और फार्मुला एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को सिखा दिया जाता। पहले तो पुर्तगाली उनसे ये दवाइयां