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भारतीय समाज में कामदेव व रति का स्थान

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भारतीय समाज व कामदेव व रति का स्थान विदेशी आक्रमणकारियों के भारत पर किए हमलों से पहले भारतीय समाज की कामदेव व रति के बारे में सोच बहुत ही श्रद्धावान थी। इस मामले में समाज बहुत ही खुली व पवित्र सोच रखता था। अर्थ शास्त्र,राजनीतिक शास्त्र व धाॢमक विषयों पर बहुत ही गम्भीर चिंतन किया गया। युद्ध कलाओं, वास्तु शास्त्र, ललित कलाओं, संगीत, नृत्य पर तो हजारों ग्रंथ लिखे गए और उनपर गहन विचार भी कि ए जाते थे इसी तरह मानव की उत्पत्ति प्रेम से हुई। इस प्रेम पर भी हजारों ग्रंथ लिखे गए जिनमें कोकशास्त्र,कामसूत्र जैसे ग्रंथों के नाम उल्लेखनीय हैं। इस पर खुलकर विचार-चर्चा होती थी। प्रेम करने के विभिन्न तरीकों का वर्णन कामसूत्र में किया गया। यह ग्रंथ जब तक मानवता रहेगी तब तक आदरपूर्व पढ़ा जाता रहेगा। ग्रंथों में हिंसा का उल्लेख तो हम विस्तार से पढ़ लेते हैं लेकिन जब काम की बात आती है तो ग्लानि या शर्म महसूस करते हैं। हमें गर्व होना चाहिए कि भारत ने कामसूत्र विश्व को दिया। आपने प्राचीन काल में बने मंदिरों पर कामक्रीड़ा के भित्ती चित्र व मूर्तियां तो देखी होंगी। कलाकारों ने किस तरह इन्हें बनाया होगा क