वेद न लिखे गए होते तो क्या होता?
वेद न लिखे गए होते तो क्या होता? हम ऐसा भी कह सकते हैं कि भौतिक विज्ञान, जीव विज्ञान आदि की पुस्तकें न लिखी गई होती तो क्या होता। इस प्रकृति में सब कुछ पहले से विद्यमान है। गुरतावकर्षण, एनर्जी, अणु, जीव तत्व आदि। इसी प्रकार वेदों में जो कुछ लिखा गया है वो पहले से ही इस युनिवर्स में था। जैसै- जैसे ऋषि मुनियों को ज्ञान होता गया वो उन्होंने श्लोकों के माध्यम से अपने-अपने अनुभवों से लिखना शुरु कर दिया। समाज, अर्थ व सोम आदि के बारे में अपने अनुभवों को वेदों में लिखा। वदों में श्लोकों को कंठस्थ करने पर जोर दिया गया, इस कारण एक पीढ़ी से दूसरी पीढी तक वेद सुरक्षित रहे। वेदों के लिखे जाने से पहले मानव सभ्य होना शुरु हो गया था । वह शादी के बंधन में बंधने लगा था और बच्चों को पैदा करने लगा था, उसे पता था कि आपस में रिश्तेदारों के शादियां नहीं करनी, वह अर्थ मामलों में लेन-देन भी करने लगा था, गाय आदि को भी पालने लगा था, कृषि भी उसका धंधा हो चुका था। समाजिक हो चुका था। वह जान चुका था कि किस मौसम में कौन सी फसल उगानी है। इस प्रकार वह जिन बातों को जान जाता वह दूसरों को बताता और इनको चिन्हों में लिख