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हिन्दू धर्म ग्रंथों, अराध्यों व त्यौहारों का सैकुलराईजेशन

हिन्दू धर्म ग्रंथों, अराध्यों व त्यौहारों का सैकुलराईजेशन हिन्दू धर्म ग्रंथों, अराध्यों व त्यौहारों का सैकुलराईजेशन बड़े ही सुनियोजित ढंग से होता है। हिन्दू धर्म ग्रंथों, अराध्यों व त्यौहारों ईश्वरीय आस्था, श्रद्धा व चिन्हों को निकाल दिया जाता है। हिन्दू धर्म ग्रंथों का अनुवाद एक आम पुस्तक की तरह किया जाता है जिसमें उसमें शामिल अराध्यों को या तो नकार दिया जाता है या  फिर उनको आम राजा, महापुरुष व काल्पनिक पात्र की तरह प्रस्तुत किया जाता है।  इनमें डिवनिटी का जो पक्ष होता है उसे भी बाहर कर दिया जाता है। वांपपंथी महाभारत व रामायण का जब अनुवाद करते हैं तो उसमें भगवान राम व कृष्ण को एक आम राजा आदि के तौर पर प्रस्तुत किया जाता है। इन महाकाव्यों को केवल राजनीतिक काव्यों के तौर पर ही प्रस्तुत किया जाता है। वेदों को भी सैकुलर तरीके से पढ़ाया व पढ़ा जाता है। जैसे एक था राजा एक थी रानी दोनों मर गए खत्म कहानी। इससे इन्हें या तो पुस्तकालयों में रखा जाएगा और फिर पढ़ने के बाद रद्दी वालों को बेच दिया जाएगा जैसे हम आम पुस्तकों व नावल इत्यादि के साथ करते हैं। अब तो योग का भी पूरी तरह से सैकुलराईजे