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Showing posts from January, 2020

हिन्दुओं की पहचान, धार्मिक चिन्ह, धर्म ग्रंथों, त्यौहारों व मेलों को खत्म करना

हिन्दुओं की पहचान, धार्मिक चिन्ह, धर्म ग्रंथों, त्यौहारों व मेलों को खत्म करना बंगाल व मद्रास में जो कुछ हो रहा था  इसका असर पूरे उत्तर भारत में पड़ना शुरु हो गया था। प्रेजीडैंसी कालेजों के  प्राध्यापक पूरी तरह से प्रशिक्षित थे कि कैसे हिन्दू छात्रों से डील करना है। वे लैक्चर के दौरान भरी कक्षा में हिन्दुओं के देवी-देवताओं, अराध्यों का मजाक उड़ाते, उनकी धार्मिक श्र्द्धा पर ऐसे जोक करते  और ईसाई धर्म की महानता की भी बात करते। वे जो पीढ़ी पैदा कर रहे थे वैसे ही थी जैसे आजकल जेएनयू में है। इन कालेजों से पढ़े छात्र विद्रोही व हिन्दू धर्म से टूट चुके थे। वे अपने माता-पिता की भी भावनाओं को ठेस पहुंचाते। बंगाल तेजी से वामपंथ व नास्तिकवाद की तरफ बढ़ रहा था। इन कालेजों में एक बात थी कि मुसलमानों के बच्चे बहुत ही कम यानि न के बराबर होते थे और प्राध्यापकों को अगाह किया जाता था कि इस्लाम के बारे में कुछ न बोलें। मिशनरियों का प्लान था कि हिन्दुओं के घरों से पहले तुलसी, स्वास्तिक, उनके देवीदेवता, धार्मिक ग्रंथ, संगीत आदि निकलवा दिए जाएं क्योंकि जब तक ये रहेंगे उनकी पहचान बनी रहेगी। उनकी पहचान को

बंगाल में नास्तिकवाद, वामपंथ व भक्ति लहर का जोर

बंगाल में नास्तिकवाद, वामपंथ व  भक्ति लहर का जोर बंगाल में जो कुछ हो रहा था उसका सारे भारत पर असर पड़ रहा था क्योंकि जो वामपंथी विचारक इन कालेजों से निकल रहे थे उनको बहुत प्रोमोट किया जा रहा था। विवेकानंद जैसे हजारों नास्तिक विचार इन कालेजों से निकल रहे थे। ये अब हर चीज ईसाई नजरिए से देखते थे। एक तरफ इन वामपंथियों का बोलबाला हो रहा था उसी तरफ बंगाल में भक्ति लहर वैष्णव लहर तेजी से जोर पकड़ रही थी और मिशनरियों को कोई निर्धारित सफलता नहीं मिल पा रही थी क्योंकि हर ग्रंथ को ईसाई वामपंथी नजरिए से लिखने के लिए उनके पास मैनपावर नहीं थी। लोगों का भक्ति में इतना लगाव था कि हर दूसरे दिन कोई न कोई भव्य मंदिर बनकर तैयार हो जाता था। लोग इन मंदिरों में पूजा आर्चना करने आने लगते और चढ़ावा भी बहुत चढ़ता था। मिशनरी एक तो मंदिरों को खत्म करना चाहते थे और मूर्तियों से भी इन्हें खास चिढ़ थी क्योंकि इनके धर्म में मूर्ति पूजक नर्क की आग में जलते हैं। ये लोग नहीं जानते थे कि हिन्दुत्व क्या है और इसकी आत्मा मंदिरों, धार्मिक अनुष्ठानों, योग, मंत्र, महागाथाओं के नायकों, धार्मिक ग्रंथों में बसती है।  वैश्णव

मिशनरियों की कार्यकुशलता-भारतीयों की पहचान की समस्या- मार्किट में घुसना

मिशनरियों की कार्यकुशलता-भारतीयों की पहचान की समस्या- मार्किट में घुसना  राजा राम मोहन राय के 10 साल बाद मैकाले की शिक्षा नीति को भारत में लागू किया गया। इस प्रकार भारतीयों में एक सटेटस सिम्बल की तरह अमीर रजवाड़ों व उच्च वर्ग के लोगों भ्रमित किया गया। उनसे ही पैसा दान स्वरूप लिया गया और कान्वैंटों का निर्माण हुआ। मिशनरियों की कार्यकुशलता इतनी थी सारे काम में वे कभी सामने नहीं आती थी। समाज में उनकी छवि सेवा भाव की ही प्रस्तुत की जाती जो आज भी जारी है। वे अपने एजैंडे को लागू करने के लिए भारतीयों के हर वर्ग से समाज सेवक चुनते व उनको आर्थिक मदद करते। इसके लिए में नारिवाद, दलितवाद, समाजिक न्याय, महिलाओं को लिए न्याय आदि समाजिक मुद्दों पर कार्य करते जिसमें उनको भारतीयों का सहयोग मिल जाता। वे ऐसे लोगों को चुनते जिनकी लोग बात सुनते व मानते थे। भारतीयों में पहचान की समस्या- भारतीय समाज को बांटने के लिए वे हर तरह का जुगाड़ करते। बंगाल के लोगों में अपनी पहचान को लेकर एक समस्या थी कि वे पहले बंगाली हैं या भारतीय। वे अपनी बंगाली पहचान को लेकर बहुत ही अस्पष्ट विचार रखते थे। लार्ड कर्जन ने जब 19

राजा राम मोहन राय - सति प्रथा- आईटसाइडर एंड इनसाइडर

राजा राम मोहन राय - सति प्रथा- आईटसाइडर एंड इनसाइडर राजा राम मोहन राय के बारे में वही भारतीयों ने कहा जो अंग्रेजों ने उनके बारे में लिखा। इसके इलावा न तो कोई इनके चरित्र के बारे में कोई जानता है और न ही उसपर कोई चर्चा की गई। अंग्रेज बंगाल में काबिज हो चुके थे लेकिन वे बस पैसा कमाना चाहते थे। उनको भारतीयों की समस्याओं से कोई लेना-देना नहीं था। उधर मिशनरियां भी भारत में खुलकर काम करने के लिए ईस्ट इंडिया कम्पनी पर दबाव बना रही थीं। उनके अनुसार भारत के लोग अंधेरे में थे और उन्हें यीशू का संदेश देकर धर्मांतरित करना था। अंग्रेज ऐसा कोई रिस्क नहीं लेना चाहते थे कि भारत के लोग भड़क जाएं या उनके और खिलाफ हो जाएं । वे तो सिर्फ पैसा कमाने में ध्यान देना चाहते थे और मिशनरियों को कोई हस्तक्षेप नहीं करने देना चाहते थे। राजा राम मोहन राय ईस्ट इंडिया कम्पनी में काम करते थे। अंग्रेजों व मिशनरियों को ऐसे तथाकथित समाज सुधारकों की जरूरत थी जो स्वयं के धर्म व ग्रंथों का वामपंथी व मिशनरी नजरिए से  काम कर सकें। मिशनरी व अंग्रेजों का उनपर पर्दे के पीछे पूरा हाथ था। वे अंग्रेजों को पत्र लिखते कि गुरुकुलों

महागाथाओं से संस्कृति व सभ्यता का विकास- द ग्रैंड नेरेटिव

महागाथाओं से संस्कृति व सभ्यता का विकास- द ग्रैंड नेरेटिव विश्व के हर देश, क्षेत्र की अपनी-अपनी महागाथाएं हैं और इन महागाथाओं के नायक व खलनायक भी हैं। कोलम्बस ने जब अमेरिका पर आक्रमण किया तो इसके पास अपने देश फ्रांस के राजाओं व नायकों की गाथाएं व बाइबल की कहानियां थीं। वह दुनिया में अपने धर्म का प्रचार करने के लिए भी निकला था। यूरोप में शेक्सपीयर ने समाज में प्रचलित गाथाओं को आधार बना कर महाकाव्यों व नाटकों की रचना की। जूलियस सीजर, रॉबिन हु़ड आदि की गाथाएं प्रचलित थीं। इंग्लैंड में रानीविक्टोरिया के वंशजों की गाथाओं को गाया जाता था और इसी को आधार मानकार यूनियन जैक दुनिया में अपने उपनिवेशिक अभियान में निकला था। जर्मनी में हिटलर नाजियों का नायक बनकर उभरा था। इसी प्रकार चंखेग खां, बाबर व तैमुर लंग, मौहम्मद गौरी आदि उज्बेकिस्तान, अफगानिस्तान व इरान आदि देशों से अपने धर्म के प्रचार व अपनी गाथाओं को आधार मानकर दुनिया को उपनिवेश बनाने के लिए निकले थे। इनके साथ आने वालों के लिए ये नायक थे। उज्बेकिस्तान में चंगेज खान, बाबर को नायक माना जात है और वहां उनके बड़े-बड़े बुत भी हर जगह लगाए गए हैं

पश्चिमी व भारतीय नास्तिकवाद- एक दृष्टिकोण

पश्चिमी व भारतीय नास्तिकवाद- एक दृष्टिकोण भारत व पश्चिम के नास्तिवाद में अंतर है। पश्चिम में जब विज्ञान की खोजों का दौर शुरु हुआ तो चर्च ने इनका जमकर विरोध करना शुरु कर दिया। यहां तक कि महान वैज्ञानिकों को सूली पर भी लटका दिया गया क्योंकि वे बाईबल के मूल सिद्धांत से परे या हटकर थे। ये नास्तिक जिस बात को विज्ञान की कसौटी पर प्रमाणित न किया जाए उसे नकार देते थे। इसमें आत्मज्ञान व अनुभव जैसी कोई बात नहीं थी। इस प्रकार वे चर्च की तरफ से शैतान घोषित कर दिए जाते थे। इसी प्रकार महिलाओं को भी चुड़ैल घोषित करते जिंदा जला दिया जाता था। इस प्रकार एक बड़ा संघर्ष 200 साल से ज्यादा तक चला और न्यूटैस्टामैंट सामने आया जिसमें विज्ञान को कुछ हद तक माना गया और वैज्ञानिकों को उचित सम्मान मिलना शुरु हुआ। जब पहली बार इंग्लैंड में रेल इंजन चलाया गया तो लोगों को भड़काया गया कि यह लोहे का शैतान है जो आपको खत्म करने के लिए लाया गया है। लोग भयभीत होकर सड़कों पर आ गए और इस इंधन पर पत्थरों आदि से हमला कर दिया कुछ महिलाएं बच्चे तो इसे देखकर बेहोश भी हो गईं। भारतीय नास्तिकवाद- भारत में नास्तिवाद की स्थापना उसी

महागाथाएं जो लोगों की आत्माओं में बसती हैं- द ग्रैंडनेरेटिव

महागाथाएं जो लोगों की आत्माओं में बसती हैं- द ग्रैंडनेरेटिव महागाथाएं किसी भी देश के लोगों को एक सूत्र में बांधती हैं , उनकी भाषा, कल्चर, रंग,क्षेत्र आदि अलग हो सकते हैं। अमेरिका जब अपनी महागाथा का बखान करता है तो वह केवल सकारात्मक पहलुओं महान इतिहास व महान हीरोज के बारे में ही बताता है, वह कभी देश में काले गोरे का रंग भेद, गुलामी, मूलनिवासियों का नरसंहार,बेघर लोगों, महिलाओं के अधिकारों का हनन आदि नकारात्मक पहलुओं पर कभी भी बात नहीं करता। यही कारण है कि आपको किसी भी साहित्य, फिल्म में अमेरिका महान की महागाथा के खिलाफ कुछ नहीं मिलेगा। ऐसा ही चीन, जापान व अन्य विकसित यूरोपिय देशों के बारे में मिलेगा। भारत और इसकी महागाथा- आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत की जब महागाथा की बात होती है तो विदेशी मुगल व अंग्रेज लुटेरे आक्रमणकारियों की महानता के किस्से ही आपको इतिहास की किताबों में लिखे मिलते हैं। अंग्रेजों ने हमें किक्रेट दिया, अंग्रेजी दी, और रेलवे दी मुगलों ने हमें मटनटिक्का व ताजमहल दिया। इन हमलावरों ने हमें सभ्य बनाया इनके आने से पहले हम असभ्य थे। जिस महागाथा को गाते हमारे इतिहास के ही

Horoscope predictions Vidya Balan | Birth chart predictions Vidya Balan

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Horoscope prredition Vidya Balan | Birth chart predictions Vidya Balan Name: Vidya Balan Date of Birth: Sunday, January 01, 1978 Time of Birth: 12:00:00 Place of Birth: Palakkad Longitude: 80 E 18 Latitude: 13 N 5 Time Zone: 5.5 Horoscope prredition Vidya Balan | Birth chart predictions Vidya Balan Top most expensive heroine- Vidya Balan is one of the top most expensive heroines in Bollywood. The heroine, who has played the stunt of her life, has seen many ups and downs in her life. He acted wonderfully in his debut film Parineeta and the film proved to be a hit at the box office. Vidya Balan has no harm in playing Chaleging roles and no heroine is able to stand in front of her in acting. Given successive hit films- Vidya Balan, who has given successive hit films, looks very beautiful in a sari. He believes that films run through three things - entertainment - entertainment and entertainment. While the rest of the heroines used to strike jerks in zero size, at the s

Horoscope predictions Leonardo DiCaprio | birth chart Leonardo DiCaprio

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Horoscope predictions Leonardo DiCaprio | birth chart Leonardo DiCaprio Leonardo DiCaprio is known as the Hollywood golden boy.  Leonardo DiCaprio knows German and Italian Leonardo DiCaprio is known as a Titanic actor. He can speak a little bit of both German and Italian. The fact is Leonardo DiCaprio’s father, George DiCaprio, is of Italian and German descent.  One more interesting fact about the Hollywood legend is he is a good egg and cares about the environment.   Impressive financial portfolio- Titanic actor Leonardo DiCaprio’s financial portfolio is almost as impressive as his acting resume. People also know him as a committed environmentalist. Leonardo Wilhelm DiCaprio  born November 11, 1974) is an American actor, producer, and environmentalist. He has often played unconventional parts, particularly in biopics and period films. As of 2019, his films have earned US$7.2 billion worldwide, and he has placed eight times in annual rankings of the world's highest-paid

Horoscope prediction Amisha patel | Amisha patel horoscope

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Horoscope prediction of Amisha patel | Amisha patel horoscope Amisha Patel, who started her film career with "Kaho Naa Pyaar Hai", established herself as one of the best actresses in Bollywood. In her film career, the actress has done more than 40 films but Kaho Naa Pyaar Hai, Gadar, Hamaraj" are her hits films. After giving a few hits, all the other films were beaten at the box office. Amisha's flop heroine also began to be stampeded. Amisha made many mistakes in her career, which she had to suffer. When Amisha came into films, she was young at that time and she could not understand the game of stardom. The first film made such a hit that the producers started running to get the films signed by her  and Amisha also started signing the films in bulk. Amisha also got such an intoxication of stardom that she was lost in it. Film parties and liquor phase - Amisha was so lost in the glare of film parties that she started smoking alcohol and cigarettes in public