हिन्दू सनातन पद्धति किस प्रकार की संस्कृति है?
हिन्दू सनातन पद्धति किस प्रकार की संस्कृति है? हिन्दू सनातन संस्कृति को समझने के लिए गहरे अध्ययन व आस्था की जरूरत है। यदि आस्था, आदर नहीं है तो कोई भी हिन्दू सनातन संस्कृति को नहीं समझ सकता। अरबी उपनिवेशिक गुलाम मानसिकता, मिशनरी उपनिवेशिक गुलाम मानसिकता व वामपंथी इसे नहीं समझ सकते। यह एक ऐसी संस्कृति है जिसमें अन्न को परमेश्वर का दर्जा दिया गया है जो इसपर थूकने का तो कभी सपने में भी नहीं सोच सकता, इस धरती को मां का दर्जा प्राप्त है। इस संस्कृति की इतनी महानता है कि नारियों को कोई भोग वस्तु या बांदी नहीं देवियों का दर्जा प्राप्त है। ऐसा कहा जाता है कि जहां नारियों की पूजा होती है वहीं देवता वास करते हैं। अपनी पूजा में पशुओं, निशाचरों, जलचरों, नभचरों यहां तक कि पाषाणों को भी शामिल किया गया है। एक ऐसी संस्कृति है जहां श्वान को पांव नहीं लगाया जाता, जहां गाय को मां कहा जाता है और उसे बचाने के लिए हिन्दुओं ने जान तक न्यौछावर की है। यहां मीराबाई भी है जो भगवान कृष्ण की मूर्ति के बिना एक पल भी नहीं रहती और जोगिन बन जाती है। दूब (घास) को भी पूजा में शामिल किया जाता है। गाय के गोबर से भगवान