यदि रामायण को न लिखा गया होता तो क्या पात्र भारतीय जममानस में जीवित रहते, सुपर हीरो का कंसैप्ट क्या है
यदि रामायण को न लिखा गया होता तो क्या पात्र भारतीय जममानस में जीवित रहते, सुपर हीरो का कंसैप्ट क्या है जब महर्षि वाल्मीकि ने महाकाव्य रामयण लिखा तो वह भारतीय जनमानस की तरह की रामकथा से बहुत ही प्रभावित थे क्योकिं रामायण लिखे जाने से पहले ही राम कथा देश के विभन्न हिस्सों तक पहुंच चुकी थी। यहां तक की आदिवासियों, सुदूर पहाड़ों में, थाईलैंड, कम्बोडिया, जापान, श्रीलंका आदि के क्षेत्रों में रामकथा उनकी अपनी भाषाओं,गीतों, काव्यों आदि में धारा प्रवाह चल रही थी। यदि रामायण ग्रंथ न भी रचा जाता तो ये राम कथाएं जन-जन की लोक कथाओं में शामिल हो चुकी थीं। वे इसके नायकों, खलनायक , सहनायक व सुपर हीरो का चुनाव पहले ही कर चुके थे। गुफाओं में राम बनवास के चित्र आज भी मिलते हैं जो रामायण ग्रंथ काल से भी प्राचीन हैं। भारतीय जनमानस की विषेशता है कि ये अपने नायक,खलनायक व सुपर हीरो का चुनाव , स्वयं करते हैं, इसके लिए ये किसी ग्रंथ, इतिहास आदि के मोहताज नहीं हैं। ये नायक काल्पनिक भी हो सकते हैं या ऐतिहासिक भी। सुपर हीरो पश्चिमी, अरबी व भारतीय दृष्टिकोण में- आपने देखा होगा कि पश्चिमी समाज के सुपर हीरो ब