देसी तिथियों, माह आदि को कैसे अपनाएं ?
देसी तिथियों, माह आदि को कैसे अपनाएं जब भारत का संविधान लिखा गया तो यह ब्रिटिश संविधान की प्रतिलिपी ही थी। यह अंग्रेजी में लिखा गया और देश को सैकुलर घोषित किया गया। ऐसा नहीं था कि संविधान को प्रणेताओं को हिन्दी नहीं आती थी, गुमाम मानसिकता यहां उजागर होती है कि शासकों की भाषा अंग्रेजी में देश का संविधान पेश किया गया। यह वह समय था जब भारत में गिने-चुने लोग ही अंग्रेजी को समझ सकते थे। आज देश में अंग्रेजी कलैंडर आपको हर घर में मिल जाएगा लेकिन देसी महीनों वाला कैलेंडर बहुत कम लोगों के घरों में मिलेगा, यदि मिलेगा भी तो किसी को इसकी जानकारी नहीं होती क्योंकि सारे काम अंग्रेजी तारीखों के हिसाब से होते हैं। सोमवार से शनिवार तक काम व रविवार को छुट्टी। चीनी, जापानी, कोरियाई आदि देशों के लोग अपना नववर्ष मनाते हैं लेकिन भारत के लोग अपना नववर्ष नहीं मनाते अंग्रेजों का नववर्ष मनाते हैं। इसकी वे एक दूसरे को बधाई भी देते हैं। लेकिन गांवों में लोग चाहे अंग्रेजी तिथियों के हिसाब से चलते हों लेकिन वे अपनी फसलें देशी महीनों के हिसाब से ही बीजते व काटते हैं। किसी अनपढ़ से भी पूछ लो तो वह आपको देसी म