हिन्दुओं की जनसंख्या को कैसे चालाकी से कम किया गया
हिन्दुओं की जनसंख्या को कैसे चालाकी से कम किया गया भारतीय समाज में बहुपत्नी विवाह को प्राचीनकाल से ही मान्यता प्राप्त थी। प्राचीन काल में जनसंख्या कम थी और जमीने बहुत थीं। राजा-महाराजा व आम लोग भी एक से ज्यादा विवाह करते थे और संताने उत्पन्न करते थे। उस समय मैडीकल व्यवस्थाएं इतनी विकसित नहीं थीं और बीमारी से गांव के गांव भी खत्म हो जाते थे। जन्म दर कम थी और मृत्यु दर अधिक थी। गर्भवति महिलाओं की प्रसव दौरान मौत होने की औसत बहुत ज्यादा थी और बच्चे भी सुरक्षित नहीं थे। बच्चों की भी बीमारियों से मौत हो जाती थी। राजा महाराजाओं की तरफ से भी अधिक बच्चे पैदा करने को प्रोत्साहित किया जाता था क्योंकि लड़ने के लिए सैनिकों की व खेती के लिए किसानों भी जरूरत होती थी। हजारों सालों से भारत पर विदेशियों के आक्रमण होते रहे और हिन्दुओं की हत्याएं होती रहीं। करोड़ों लोग युद्ध में मारे जाते रहे। इसमें एक बात थी कि हिन्दुओं की इस परम्परा के कारण जनसंख्या में कमी नहीं आई। समय चक्र बदला देश आजाद हुआ तो हिन्दुओं की जनसंख्या आंखों में चुभने लगी। मिशनरियों के दबाव में सरकार ने केवल हिन्दुओं की जनसंख्या को