Naamkaran | बच्चे का नामकरण कैसे करते हैं | नामकरण संस्कार
Naamkaran | बच्चे का नामकरण कैसे करते हैं | नामकरण संस्कार प्रत्येक मानव के बाहरी व अांतरिक व्यक्तित्व पर उसके परिवेश तथा परिस्थितयों का विशेष प्रभाव होता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार मनुष्य के व्यक्तित्व पर उसके प्रसिद्ध नाम का विशेष महत्व होता है। नामाखिलस्य व्यवहार हेतु, शुभावहं कर्मसु भाग्य हेतु । नाम्नैव कीर्ति लभतेमनुष्यतत प्रशस्तं खलु नाम कर्म।। जब एक घर में बच्चे का जन्म होता है तो माता-पिता की इच्छा होती है कि उनके बालक का नाम सर्वश्रेष्ठ हो। उनके बच्चे की प्रसिद्धि दुनियाभर में हो अौर वह उनका नाम रौशन करे। बच्चे का नाम उसे विशिष्ट पहचान देता है। हिन्दू परिवारों में नामकरण एक महत्वपूर्ण वैदिक परंपरा है। नामकरण संस्कार के रूप में जाना जाता है। सूतक समाप्ति पर देशानुसार 10,11,12,13,16,19, व 22 वें दिन नामकरण संस्कार करना चाहिए। एक अन्य मतानुसार ब्राहम्ण को 10 वे या 12 वें दिन, क्षत्रिय को 11 या 12 वें दिन वैश्य को 16 या 20 वें दिन नामकरण करना चाहिए। शुद्र इन तिथियों में कभी भी कर सकते हैं। नामकरण पिता-पितामह या कुल के वृद्ध व्यक्ति के द्वारा स्वस्ति वाचन मंत्रों सहि