बृहस्पति का रत्न है पुखराज,बना देता है धनवान
बृहस्पति का रत्न है पुखराज,बना देता है धनवान पुखराज बृहस्पति का मुख्य रत्न है। संस्कृत में इसे पुष्य राजा व अंग्रेजी में इसे टोपाज कहते हैं। जो पुखराज स्पर्श में चिकना, पुखराज हाथ में लेने से कुछ भारी लगे,पारदर्शी, कुदरती चमक से युक्त हो वह उत्तम कोटि का माना जाता है। जहां किसी विषैले कीड़े ने काटा हो,वहां पर असली पुखराज घिर कर लगाने से विष उतर जाता है। 24 घंटे तक दूध में रखने से भी यदि रत्न की चमक में कोई असली पुखराज है। पुखराज धारण करने से बल बुद्धि, धन व स्वास्थय मिलता है। यह पुत्र संतान कारक, एवं धर्म कर्म में प्रेरक होता है। प्रेत बाधा का निवारण तथा स्त्री के विवाह सुख की बाधा को दूर करने में सहायक होता है। इसको वैद्य के परामर्श अनुसार केवड़ा व शहद के साथ देने से पीलिया दूर होता है, तिल्ली, पांडूरोग, खांसी,दंत रोग, मुख की दुर्गंध, बवासीर, मंदाग्नि, पित्त ज्वरादि में सहायक होता है। पुखराज को 3,5,7,9, या 12 रत्ती के वजन में सोने की अंगूठी में जड़वा कर तर्जनी उंगली में धारण करें, सुवर्ण या ताम्र बर्तन में कच्चा दूध, गंगाजल, पीले पुष्पों से एवम ओं ऐं क्लीं बृहस्पतये नम: के मंत