golu devta temple chitai | golu devta mandir chitai
golu devta temple dhitai | golu devta mandir chitai
अल्मोड़ा से 8 किलोमीटर दूर चेतई में स्थित है गोलू देवता का मंदिर। उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में अल्मोड़ा जिला चिचई में स्थित गोलू देवता के प्राचीन मंदिर में बंधी लाखों घंटियां व भक्तों की तरफ से लिखी गईं लाखों चिट्ठियां आपको दर्शा देंगी कि गोलू देवता की यहां के लोगों में कितनी मान्यता है। गोलू देवता न्याय के देवता हैं, लोगों को उनपर बहुत भरोसा है। भारत की न्यायव्यवस्था से दुखी लोग यहां अपने दुखड़े गोलू देव को अपने पत्रों के माध्यम से सुनाते हैं और जब उनकी सुनी जाती है तो वहां घंटिया चढ़ाते हैं।
गोलू देवता को लिखी गई एक चिट्ठी एक महिला ने दिल्ली से लिखी। लिखती है कि हे गोलू देवता मेरे घर पर गुंडों ने कब्जा कर रखा है। पुलिस व न्याय व्वस्था के धक्के खाकर परेशान हो गई हूं । मेरा घर मुझे दिलवा दो । पता नहीं ऐसी कितनी ही लाखों चिट्ठियां यहां गोलू देवता को लिखी गई हैं न्याय के लिए।
गोलू देव को न्याय का देवता भी कहा जाता है। गोलू देवता के मंदिर में चिट्ठियों की भरमार देखने को मिलती है। प्रेम विवाह के लिए युवक-युवती गोलू देवता के मंदिर में जाते हैं। मान्यता है कि यहां जिसका विवाह होता है उसका वैवाहिक जीवन हमेशा खुशियों से भरा रहता है।
गोलू देवता की अमर कथा
गोलू देवता उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं क्षेत्र की प्रसिद्ध पौराणिक देवता हैं। अल्मोड़ा स्थित गोलू देवता का चितई मंदिर बिनसर वन्य जीवन अभयारण्य से चार किमी दूर और अल्मोड़ा से 8 किमी दूर है। मूल रूप से गोलू देवता को गौर भैरव (शिव ) के अवतार के रूप में माना जाता है।
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार ऐसी मान्यता है कि वह कत्यूरी के राजा झाल राय और कलिद्रा की बहादुर संतान थे। ऐतिहासिक रूप से गोलू देवता का मूल स्थान चम्पावत में माना गया है।
दूसरी कथा के अनिसार गोलू देवता चंद राजा, बाज बहादुर ( 1638-1678 ) की सेना के एक जनरल थे और किसी युद्ध में वीरता प्रदर्शित करते हुए उनकी मृत्यु हो गई थी। उनके सम्मान में ही अल्मोड़ा में चितई मंदिर की स्थापना की गई।
चमोली में गोलू देवता को कुल देवता के रूप में पूजा जाता है। चमोली में नौ दिन के लिए गोलू देवता की विशेष पूजा की जाती है। इन्हें गौरील देवता के रूप में भी जाना जाता है।
कहा जाता है कि आज से 15 साल पहले आए तुफान में मंदिर के पास एक विशाल पेड़ था जो कि उखड़ा गया लेकिन भगवान की कृपा रही कि वह मंदिर के ऊपर नहीं गिरा।
आज पूरे उत्तराखंड से भक्त गोलू देव को नमन करने के लिए आते हैं। छानी के जोशी परिवार के सारे पिरजन इन्हें अपना ईष्ट देव मानते हैं। भक्तों को सपने में दिए गए आदेश के कारण स्व.हरीश चंद्र जोशी व उनके परिजनों ने मासी चौकठिया के पास स्थित छानी गांव में गोलू देवता का सुंदर मंदिर बनाया है जो काफी प्रसिद्द है।
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अल्मोड़ा से 8 किलोमीटर दूर चेतई में स्थित है गोलू देवता का मंदिर। उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में अल्मोड़ा जिला चिचई में स्थित गोलू देवता के प्राचीन मंदिर में बंधी लाखों घंटियां व भक्तों की तरफ से लिखी गईं लाखों चिट्ठियां आपको दर्शा देंगी कि गोलू देवता की यहां के लोगों में कितनी मान्यता है। गोलू देवता न्याय के देवता हैं, लोगों को उनपर बहुत भरोसा है। भारत की न्यायव्यवस्था से दुखी लोग यहां अपने दुखड़े गोलू देव को अपने पत्रों के माध्यम से सुनाते हैं और जब उनकी सुनी जाती है तो वहां घंटिया चढ़ाते हैं।
गोलू देवता को लिखी गई एक चिट्ठी एक महिला ने दिल्ली से लिखी। लिखती है कि हे गोलू देवता मेरे घर पर गुंडों ने कब्जा कर रखा है। पुलिस व न्याय व्वस्था के धक्के खाकर परेशान हो गई हूं । मेरा घर मुझे दिलवा दो । पता नहीं ऐसी कितनी ही लाखों चिट्ठियां यहां गोलू देवता को लिखी गई हैं न्याय के लिए।
गोलू देव को न्याय का देवता भी कहा जाता है। गोलू देवता के मंदिर में चिट्ठियों की भरमार देखने को मिलती है। प्रेम विवाह के लिए युवक-युवती गोलू देवता के मंदिर में जाते हैं। मान्यता है कि यहां जिसका विवाह होता है उसका वैवाहिक जीवन हमेशा खुशियों से भरा रहता है।
गोलू देवता की अमर कथा
गोलू देवता उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं क्षेत्र की प्रसिद्ध पौराणिक देवता हैं। अल्मोड़ा स्थित गोलू देवता का चितई मंदिर बिनसर वन्य जीवन अभयारण्य से चार किमी दूर और अल्मोड़ा से 8 किमी दूर है। मूल रूप से गोलू देवता को गौर भैरव (शिव ) के अवतार के रूप में माना जाता है।
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार ऐसी मान्यता है कि वह कत्यूरी के राजा झाल राय और कलिद्रा की बहादुर संतान थे। ऐतिहासिक रूप से गोलू देवता का मूल स्थान चम्पावत में माना गया है।
दूसरी कथा के अनिसार गोलू देवता चंद राजा, बाज बहादुर ( 1638-1678 ) की सेना के एक जनरल थे और किसी युद्ध में वीरता प्रदर्शित करते हुए उनकी मृत्यु हो गई थी। उनके सम्मान में ही अल्मोड़ा में चितई मंदिर की स्थापना की गई।
चमोली में गोलू देवता को कुल देवता के रूप में पूजा जाता है। चमोली में नौ दिन के लिए गोलू देवता की विशेष पूजा की जाती है। इन्हें गौरील देवता के रूप में भी जाना जाता है।
कहा जाता है कि आज से 15 साल पहले आए तुफान में मंदिर के पास एक विशाल पेड़ था जो कि उखड़ा गया लेकिन भगवान की कृपा रही कि वह मंदिर के ऊपर नहीं गिरा।
आज पूरे उत्तराखंड से भक्त गोलू देव को नमन करने के लिए आते हैं। छानी के जोशी परिवार के सारे पिरजन इन्हें अपना ईष्ट देव मानते हैं। भक्तों को सपने में दिए गए आदेश के कारण स्व.हरीश चंद्र जोशी व उनके परिजनों ने मासी चौकठिया के पास स्थित छानी गांव में गोलू देवता का सुंदर मंदिर बनाया है जो काफी प्रसिद्द है।
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