धर्मान्तरण के बढ़ते कदमों को कैसे रोका जाए ?

 


धर्मान्तरण के बढ़ते कदमों को कैसे रोका जाए ?

बौद्ध काल में करोड़ों लोग बौद्ध हो गए थे लेकिन शंकराचार्य के पुनर्जागरण अभियान के तहत लोग फिर सनातन धर्म में लौट आए थे। मुगलों व अंग्रेजों के काल में करोड़ों लोग भय लोभ लालच आदि में आकर मुसलमान ईसाई हो गए। धर्मांतरण केवल भारत की समस्या नहीं पूरे विश्व की समस्या है। इस धर्मांतरण के खेल में मिस्र, ईरान, इराक, अमेरिका, यूरोप आदि देशों की मूल संस्कृतियां की नष्ट कर दी गईं। हिन्दुओं में धर्मांतरण पर विश्वास नहीं किया जाता क्योंकि यह ईश्वर को पाने के हर रास्ते को आदर देता है। दूसरों की संस्कृतियों को नष्ट नहीं करना चाहता सम्मान देता है। मुगलों व अंग्रेजी शासनों में भी सनातन धर्म इसीलिए जिंदा रहा क्योंकि हिन्दू अपनी संस्कृति से जुड़े रहे। अपनी श्रद्दा व विश्वास पर टिके रहे।

हिन्दुओं को अपने धर्म पर, अपनी संस्कृति पर गर्व कैसे गर्व करना है, उनके दीमागों में भरना होगा। उन्हें अपनी महान परम्पराओं से जुड़े रहना होगा। हिन्दुओं को केवल संत, मंदिर उनके धर्मिक ग्रंथ व ग्रंथ व ईष्ट देव एक साथ रख सकते हैं। जो हिन्दू इनसे पक्के तौर पर जुड़े हैं उनका धर्मांतरण नहीं हो सकता। इन स्तम्भों से हिन्दुओं को जुड़े रहना होगा।  इन्हें बंद कमरे में बैठ कर वामपंथी प्रचारकों जो कि इनकी महान परम्पराओं का उपहास उड़ाते हैं और इन्हें अंधविश्वास व पाखंड कहते हैं इनको रिजैक्ट करके नजरअंदाज करना होगा। 

 धर्मान्तरण रोकने के लिए हिन्दुओं को एकजुट अपने विश्वास पर  रहना होगा- 

1. हिन्दुओं एकजुट होकर हिन्दू राष्ट्र के लिए काम करना होगा क्योंकि जब संविधान से सैकुलर शब्द ही हट जाएगा तो धर्मांतरण एक झटके से रुक जाएगा।    2. हर समाज की समस्याएं हैं, उन समस्याओं को प्रोफैशनल तरीके से दूर करना होगा न कि एक दूसरे पर लांछन लगाना।

3. अपने साधु संतों पर विश्वास रखना होगा। मिशनरियां बहुत ही षडयंत्र रचती हैं, ये जो भी इनके धर्मांतरण के धंधे में आड़े आता है उसे झूठे मामलों में फंसा देती हैं।  

4 मन्दिरों में पड़ी अकूत धन सम्पदा का केवल हिन्दुओं पर ही खर्च होना चाहिए इसलिए हिन्दुओं के मंदिरों से पैसा लेकर सरकार को दूसरे कामों में न खर्च सके इसके लिए कानून बनाना चाहिए। मन्दिरों में शिवलिंग पूजा, गणेशपूजा, महाकाल पूजा, करोड़ों हाथों वाले देवी देवताओं की पूजा, मूर्तियों में प्राण-प्रतिष्ठा को कभी नहीं छोड़ना। सभी देवीदेवताओं की मंदिरों में मूर्तियां लगानी चाहिएं। मंदिरों में भजन, भंडारे आदि जैसे चलते हैं वैसे ही चलते रहने चाहिएं। वामपंथी प्रचारकों को पहचान कर उन्हें मंदिरों के पास फटकने नहीं देना चाहिए।

5. वेदादि शास्त्रों की सही सही जानकारी के लिए भगवान शंकराचार्य के इलावा किसी और प्रचारक पर विश्वास नहीं करना चाहिए। 


दुनियाभर में सनातनी हिन्दू बसें हैं, अमेरिका में सबसे ज्यादा पढ़े लिखे हिन्दू हैं, दुनिया में जेले जेहादियों से भरी पड़ी हैं लेकिन हिन्दुओं ने हर देश के विकास में सहयोग दिया है। हिन्दुओं में तलाक की दर एक प्रतिशत से भी कम है जबकि अमेरिका आदि देशों में यह दर 46 प्रतिशत है, हिन्दु दुनिया में सबसे सुखी व खुश रहने वाले लोग हैं, ये लोग जिस देश में भी रहते हैं वहां के कानून, संस्कृति का सम्मान करते हैं।

 एक रिपोर्ट के अनुसार यदि सारी दुनिया के लोग हिन्दू सनातन पद्ति को अपना लें तो आतंकवाद का समूल नाश हो जाएगा। आज हिन्दू, जैन, बुध आदि धार्मिर परम्पराओं का अनुसरण सारी दुनिया के लोग कर रहे हैं। योग, शाकाहार, आयुर्वेद, संयमित जीवन, प्रकृति से प्यार के सिद्धांतों को दुनियाभर के लोग जान चुके हैं।

हिन्दू अपने धार्मिक ग्रंथ,मंदिरों, देवी-देवताओं में  खुश रहते हैं, नाचते हैं, गाते हैं, त्यौहार मनाते हैं और दुनिया को दिखाते हैं कि कैसे कम साधन होने के बावजूद जिंदादिली से जिया जा सकता है। वे केवल इतना चाहते हैं कि कोई उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस न पहुंचाए क्योंकि वे किस को भी अपने जैसा बनने के लिए बाध्य नहीं करते। उन्होंने चाहे अपने ग्रंथों का अध्ययन न किया हो लेकिन वे अपने बच्चों को किसी से नफरत करना नहीं सिखा सकते। 

सनातन वैदिक पद्धति प्राकृतिक है शाश्वत है श्रेष्ठ है। इसके लिए कोई आपको अलग से जीवन जीने की जरूरत नहीं आप जैसे हैं वैसे ही श्रेष्ठ हैं। 

अपनी परम्पराओं से पक्के तौर पर जुड़े रहें धर्म परिवर्तन नहीं हो सकता। धर्मपरिपर्तन वहीं होता है जहां लोग अपने धार्मिक चिन्हों, पहचान, परम्परा, संतों से दूर चले जाते हैं।

 हां पुराणों आदि ग्रंथों में कुछ काल्पनिक किस्से कहानियां हैं लेकिन हमें इनके नायक जीवन देते हैं किसी का जीवन लेना नहीं सिखाते | इन्ही पौराणिक कथाओं को पढ़कर हम जीना सीखते हैं। पुराण हमारे ऐसिहासिक ग्रंथ हैं जिनमें इतिहास को काव्य रूप में लिखा गया है।

यही पौराणिक नायक भैरव, महाकाल, बजरंगी, मां भवानी, मांदुर्गा हमें रणभूमि में दुश्मनों को पराजित करने के लिए हमारे साथ अदृष्य रूप से लड़ते हैं। जब रणभूमि में प्राणों की आहूति देनी होती है तो इनके जयकारे अपने आप हमारे कंठों से निकलते हैं और दुश्मन के सीनों को छलनी करते हैं। यदि हमारे ईष्ट देव नहीं तो हम भी नहीं।

पुराणों को पढ़कर कोई लादेन, दाऊद,बगदाती या जेहादी नहीं बनता। पुराणों के नायकों से शिवाजी, राणा प्रताप, वीर दामोदर, राणा सांगा, रानी लक्ष्मी बाई जैसे महापुरुष जन्म लेते हैं। हमारा दृढ़ विश्वास व श्रद्धा है कि हमारे तीर्थ स्थलों मथुरा, काशी,गोलोक, बैकुंठ, कैलाश मानसरोवर आदि में ईश्वर निवास करते हैं। वेद, पुराण में भी सृष्टि उत्पत्ति व ईश्वर के निवास को लेकर अजीबोगरीब कथाएं हैं तो क्या हुआ ये हमारे पूर्वजों की हमें सुनाई गई कथाएं हैं। हमारे  धर्म गुरु जब हमको को रंग बिरंगे वस्त्र पहन भागवत कथा करके हमें सुनाते हैं तो हम अपने ईष्ट को अपने सामने पाते हैं। हमें इसमें आनंद आता है, हम भाव विभोर भी होते हैं। 

करोडों हिन्दु ज्योतिर्लिंगों को भगवान मानते हैं, करोड़ों लोग जगन्नाथ की मूर्ति को भगवान मानते हैं तो किसी को क्या समस्या है। वे किस के घरों में जाकर सिर पर तलवारें रखकर तो नहीं कहते कि मूर्ति को भगवान मानो। जिसका मन करता है वह माने जिसका नहीं करता वह न माने। हिन्दू संस्कृति हिन्दू संतों के सहारे ही खड़ी है जो लोगों को किसी भी तरह धर्म से जोड़ कर रखते हैं। कई डाक्टर भी भ्रष्ट है, वकील भी, अधिकारी भी, नेता भी और कई तथाकथित संत भी पथभ्रष्ट हो सकते हैं  क्योंकि वे भी इसी समाज में रहते हैं, तो क्या इससे सारा हिन्दू समाज ही भ्रष्ट हो गया। 

अब धर्म की रक्षा करे तो कौन करे ? कहते हैं - धर्म की रक्षा वैसे ही होगी जैसे भगवान कृष्ण ने महाभारत में की। उन्होंने रह कूटनीति, साम, दाम, दंड भेद को अपनाकर अधर्मियों व आततायियों का नाश किया। हर घर में वेदों के साथ-साथ महाभारत जरूरी है। बिना शक्ति के धर्म किसी काम का नहीं होता। हर रोज महाभारत की कथाओं को समझना जरूरी है कि कैसे कृष्ण ने अधर्मियों को मौत के घाट उतारा। याद रहे युद्द भूमि में वेद की ऋचाएं व हवन काम नहीं आते वहां तो बस खून बहाना ही पड़ता है और दुश्मनों को मौत के घाट उतारना ही पड़ता है। यदि आप महाभारत के सारांश को समझ लोगे तो आप इस कलियुग की नैया के विजेता होंगे।

आज जो प्रचारक हिन्दुओं में घुस चुके हैं। ये लव जिहाद के मामलों में शादियां करवाने को लेकर प्रसिद्ध हो चुके हैं। ये बड़ी-बड़ी बातें करने वाले घर वापसी करने वाले छिपे हादी घर से भागे प्रेमी-प्रेमिकाओं की शादियां करवाने में लगे हैं क्योंकि इसमें धन मुंह मांगा मिलता है और लागत भी नहीं है और तो और ये उनको प्रमाण पत्र भी देते हैं।

नोट- हिन्दुओं को पास दो रास्ते हैं या तो अपनी महान परम्पराओं से जुड़े रहें या फिर वामपंथी प्रचारकों के साथ होकर अपने धर्म के भस्मासुर बन जाएं। बीच का रास्ता नहीं है । याद रहे संस्कृति वैसे ही जी जाती है जैसी वह होती है। इसमें कोई लोजिक नहीं चलता। हिन्दुओं को अपने नामों के साथ डाक्टर, वैज्ञानिक,वैदिक, आचार्य आदि जाली डिग्रियां लगाने वालों को पहचानना है कि वे कहां से बोल रहे हैं। इनपर ज्यादा समय नष्ट नहीं करना क्योंकि ये ऐसी हरकतें इसलिए करते हैं कि इनको लोग सुनें। इन लोगों को हिन्दू समाज नजरअंदाज कर चुका है।





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