हिन्दुओं का धर्मांतरण व मतांतरण एक गम्भीर चुनौती
हिन्दुओं का धर्मांतरण व मतांतरण एक गम्भीर चुनौती
हिन्दुओं के धर्मांतरण तो एक गम्भीर समस्या बन चुका है लेकिन इससे भी बड़ी समस्या हिन्दुओं के मतांतरण की है। यह धर्मांतरण से भी ज्यादा गम्भीर समस्या बन चुकी है।
मतांतरण की उदाहरण हिमाचल प्रदेश के एक गांव से लेते हैं। यह गांव हिमाचल का एक प्रचीन गांव है। यहां के लोग भोले-भाले व अपनी संस्कृति से प्यार करने वाले हैं। सदियों से यह गांव बाहरी लोगों की नजरों बचा रहा। लोग अपने अपनी परम्पराओं के अनुसार चल रहे थे। गांव में सभी जातियों के हिन्दू लोग बिना किसी परेशानी के रहते थे। इनकी समस्याएं व मतभेद तो थे लेकिन ये किसी धार्मिक कार्य, किसी के दुख-सुख में एक दूसरे का साथ देते थे। एक साथ त्यौहार मनाते थे। यह छोटा सा गांव अपने आप में एक पूरा समाज था।
bahri लोगों ने दलित हिन्दुओं को अपना निशाना बनाया और उनका मतांतरण करने में सफल हुए। ये लोग पूरी तरह से संगठित एक बड़ी कम्पनी की तरह काम करते थे। बस ये लोग गांव वालों को ट्रैप करने में सफल रहे। इस प्रकार इन गांववासियों का मतांतरण हो गया। ये मतांतरित हुए लोग सैकुलर व वामपंथी विचारधारा की तरफ मोड़ दिए गए। ये अब हिन्दू धर्म के विरोधी हैं। इन्होंने त्यौहार मनाने छोड़ दिए, हरिद्वार जाना छोड़ दिया। अब ये लोग 4 पीढ़ी के मतांतरित लोग हैं जो हिन्दू सनातन धर्म के घोर विरोधी हैं। इनके सभी क्रिया क्लापों जन्म से लेकर मृत्यु तक, पर bahar वालों का कब्जा हो गया है।
ये अपना दान इन्हीं को देते हैं। मंदिर खंडहर हो गए, वहां सूअरों को पाला जाता है। इस प्रकार अब एक भरी हुई संस्कृति खत्म हो गई। एक सनातनी हिन्दू का मतांतरण करके उसकी संस्कृति को खा जाने वाले सैकुलर सरकारी बाबे पूरी तरह से साम-दाम-दंड से लैस हैं। किसी हिन्दू का मतांतरण ही उसका धर्मांतरण है। हिन्दू सनातनी क्योंकि सारे धर्मों का आदर करता है, उसे किसी अन्य धर्म से कोई लेना देना नहीं इसलिए उसका शिकार करना आसान होता है।
आज समाज की सबसे बड़ी जरूरत है कि हिन्दुओं के प्राचीन संस्कृति को सहेजने की जरूरत है वे जैसे हैं वैसे ही ठीक हैं। उनमें किसी बाहरी हस्तक्षेप का विरोध होना चाहिए। हिन्दुओं का मतांरण रुक जाएगा तो धर्मांतरण भी रुक जाएगा। उसकी परम्पराओं, संस्कृति, आस्थाओं, ग्रंथों आदि का आदर करना चाहिए। ये एक महान जीवन शैली भी है ये खत्म हो गई तो एक प्राचीन संस्कृति ही खत्म हो जाएगी। किसी सनातनी को देखो तो उसका आदर करो कि वे इतने भीतरी व बाहरी हमलों के बावजूद अपने पूर्वजों के धर्म, संस्कृति, पहरावे, भाषा, चिन्ह आदि को जीवित रखने का प्रयास कर रहा है।
मतांकरण को कैसे रोका जाए- मतांतरण को रोकने के लिए उनपर अपने विचारों को न थोपें। आपका मतांतरण हो चुका है तो कदापि आप उनपर अपनी विचारधारा को न थोपें।
सनातनियों हिन्दुओं के साथ अपने सम्प्रदाय का प्रचार कदापि न करें। वर्ष में एक बार अपने गांवों के जाएं और वहां के लोगों के धार्मिक उत्सवों में शामिल हों, जिससे उन्हें आभास हो कि वे एक महान परम्परा का अनुसरण कर रहे हैं। आप चाहे उनकी विचारधारा से सहमत न भी हों लेकिन पूरी तरह से उनमें शामिल हो जाएं। उन्हें आभास न हो कि आप उनके धार्मिक कृत्यों से सहमत नहीं है। एक बार जब आस्था टूट जाती है तो वह दोबारा नहीं हो सकती। इसलिए उनकी आस्था को बनाए रखने के लिए हर सम्भव प्रयास करें। कदापि व्ववहार न करें कि उनको हर हाल में बदलना है।
Comments
Post a Comment