कैसे पाएं शराब से छुटकारा-sharaab se chutkaara
कैसे पाएं शराब से छुटकारा-sharaab se chutkaara
शराब का ऩशा वर्तमान में एक ऐसी बुराई बन गई है जिससे छुटकारा पाना आसान नहीं लगता। आज भारत में भी शराब को अब लोग नशा नहीं समझते। शराब एक जरूरत सी बनती जा रही है। विवाह शादियों में शराब का परोसना अब फैशन बन गया है। शराब पीना पहले तो अच्छा लगता है लेकिन धीरे-धीरे यह लत बन जाती है और लोग इसे छोड़ नहीं पाते। हाई सोसाइटियों में तो महिलाएं भी शराब पीने लगी हैं। भारत में महिलाएं भी इस मामले में पुरुषों से पीछे नहीं हैं। शराब एक ऐसा नशा है जो धीरे-धीरे इंसान को नकारा बना देता है। ज्यादा शराब पीने से कई बीमारियां लग जाती हैं और लोग अस्पतालों में चक्कर काटते मर जाते हैं।
शारीरिक या मानसिक रूप से जब कोई किसी खास चीज पर निर्भर हो जाता है, तो उस स्थिति को लत (अडिक्शन) कहते हैं। नशे में शराब से लेकर तंबाकू, हेरोइन या दूसरे ड्रग्स सहित जुआ, सैक्स, एक ही काम करने की भूख आदि शामिल है, लेकिन यहां हम शराब की लत पर बात कर रहे हैं। हम आपको शराब से छुटकारा पाने के तरीके, इलाज भी विस्ताक से बताएंगे।
शराब की लत के शिकार लोगों को जब तक शराब न मिले, तब तक वे बेचैन रहते हैं। ऐसे लोग नशे के सेवन से पहले असामान्य रहते हैं और उसे पाने के बाद खुद को सामान्य स्थिति में पाते हैं। यह स्थिति ऐसे लोगों को पूरी तरह बीमार बना देती है। शराब की लत एक लाइलाज बीमारी है।
शराब पीने की लत एक चतुर, शक्तिशाली और मायावी बीमारी है। इसकी गिरफ्त में आने वाला इसे पाने के लिए तरह-तरह के बहाने बनाता है। शराबी को जब इसकी तलब होती है तो वह झूठ बोलने, कसमें खाने से भी परहेज नहीं करता। वह इस लत के सामने खुद को कमजोर पाता है।
क्या हैं लत के लक्षण
फैसला लेने में कठिनाई।
याददाश्त कमजोर पड़ना।
घबराहट, बेचैनी, चिड़चिड़ापन, अति उत्सुकता।
गुस्सा आना, मूड में अचानक बदलाव।
तनाव, मानसिक थकावट।
नींद न आना।
सिर में तेज दर्द होना।
ज्यादा पसीना निकलना, खासकर हथेलियों और पैर के तलवे से।
जी मिचलाना और भूख कम लगना।
शरीर थरथराना और पलक झपकते रहना।
शरीर में ऐंठन और मरोड़ होना।
क्या होती है लत लगने की वजह
आनुवांशिक गुण
कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि शराब की लत एक आनुवांशिक बीमारी है। स्वीडन में हुई एक रिसर्च से पता चला है कि जिनके माता-पिता शराबी हैं, उनके बच्चों में सामान्य बच्चों के मुकाबले शराब की लत पड़ने के ज्यादा चांस होते हैं। उनमें ऐसे जीन पाए गए हैं जिनसे वे जल्द ही शराब के प्रति आकर्षित होते हैं और उन्हें इसकी लत लग जाती है। ऐसे लोगों को शराब छोड़ने में भी काफी तकलीफ होती है। कुछ लोग ऐसा नहीं मानते।
घर का माहौल भी करता है शराब की तरफ आकर्षित
घरेलु माहौल शराबी होने के पीछे भी एक कारण होता है। कई बार घरेलू हालात से परेशान होकर महिला-पुरुष शराब का सहारा ले लेते हैं। धीरे-धीरे यह उनकी आदत बन जाती है। घर का कोई बड़ा सदस्य अगर शराब पीता है तो इसका असर भी दूसरे सदस्यों पर पड़ता है। खासतौर से बच्चों पर इसका ज्यादा असर होता है। कभी ऐसा भी होता है कि पति शराब ले रहा हो तो पत्नी से भी इसकी जिद करता है और बाद में पत्नी को भी इसकी आदत हो जाती है।
साथियों की संगति भी बनाती है शराबी
शराबी साथियों की संगति में रहने वाले ऐसे लोगों को भी इसकी लत पड़ जाती है जो इसका बिल्कुल सेवन नहीं
साथियों की संगति
शराबी साथियों की संगति में रहने वाले ऐसे लोगों को भी इसकी लत पड़ जाती है जो इसका बिल्कुल सेवन नहीं करते।
नुकसान क्या होते हैं
शराब से शारीरिक और मानसिक बीमारियां तो होती ही हैं, साथ ही ऐसे लोग अपराध से भी जुड़ जाते हैं।
यह नशा मानसिक बीमारी का एक आधार है। यह तंत्रिका तंत्र, लिवर और पेट की बीमारियों की वजह बन सकती है।
शराब से दिल के रोग का भी डर रहता है।
शराबी की वजह से सबसे पहले पारिवारिक समस्या बढ़ती है। वे तरह-तरह की घरेलू हिंसा करते हैं।
शराब की लत कैंसर से भी घातक बीमारी है। कैंसर से सिर्फ एक शख्स बीमार होता है, पर शराब की लत सीधे तौर पर कई लोगों को बीमार बना देती है।
शराब में इथाइल ऐल्कॉहॉल का इस्तेमाल होता है। यह इंसान के खून में आसानी से घुल जाता है। यही वजह है कि शराब लेने के साथ ही शरीर के तमाम अंगों पर इसका असर पड़ने लगता है। लंबे समय तक इसे लेने से लिवर सिरोसिस की समस्या हो सकती है। यह मुश्किल से छूटने वाली बीमारी है। इथाइल ऐल्कॉहॉल से पाचन क्रिया में भी गड़बड़ी होती है।
मिथक
गर्भावस्था में शराब फायदा करती है।
यह एक मिथक है कि गर्भावस्था में शराब लेने से फायदा होता है। डॉक्टरों का कहना है कि अगर महिला शराब लेती है, तो गर्भ में पल रहे बच्चे पर इसका बुरा असर होता है। बच्चे का वजन कम हो जाता है। दूसरी तरफ गर्भवती महिला का ब्लड प्रेशर अनियंत्रित हो जाता है।
शराब तो सर्दी-खांसी की दवा है।
शराब कभी सेहत के लिए फायदेमंद नहीं हो सकती है। लोगों में ऐसा भ्रम है कि सर्दी के मौसम में या सर्दी-खांसी होने पर शराब लेने से तुरंत राहत मिलती है, लेकिन इससे ब्लडप्रेशर असंतुलित हो जाता है। शराब की तासीर गर्म है। इससे सर्द-गर्म की समस्या हो सकती है। सर्दी-खांसी में शराब लेने से गले का इन्फेक्शन भी हो सकता है।
इससे पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है।
कुछ लोग कब्ज होने पर शराब लेते हैं। ऐसा देखा जाता है कि शराब लेने के बाद लोग ठीक से खाना तक नहीं खा पाते। ऐसे में पाचन क्रिया सही होने का सवाल ही नहीं उठता। दूसरी तरफ शराब में अम्लीय गुण पाया जाता है, जिससे हमेशा असिडिटी होने की आशंका बनी रहती है।
शराब सेहत के लिए फायदेमंद है।
रोजाना शराब लेने और ठीक से भोजन करने से सेहत ठीक रहती है, यह भी भ्रम है। शराब से शरीर में फैट बढ़ने का खतरा रहता है। शराब लेने के बाद लोग खाना खा लेते हैं और सो जाते हैं। ऐसे लोगों के शरीर में सामान्य के मुकाबले ज्यादा फैट जमा हो जाता है। इसकी वजह से मोटापा और तोंद निकलने जैसी समस्या हो सकती है।
सोशल स्टेटस का प्रतीक है
पार्टियों में तमाम लोग इसलिए ड्रिंक करते हैं कि कहीं उन्हें कोई पिछड़ा न कह दे। वोडका ज्यादा बदबू नहीं करती, इसलिए कुछ महिलाएं इसे भी एक बहाना मानकर ड्रिंक्स ले लेती हैं। 13-14 साल के बच्चे बियर यह मानकर लेते हैं कि वे अब बड़े होने लगे हैं। बाद में यही उनकी आदत बन जाती है। शराब स्टेटस का प्रतीक कभी नहीं हो सकती।
शराब छुड़ाने के तरीके
शराब छुड़ाना मुश्किल काम है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, दुनिया में कोई चिकित्सा पद्धति ऐसी नहीं है, जो शराब की लत से मुक्ति दिला सके। शराब की वजह से होने वाली बीमारियों का इलाज हो सकता है। विभिन्न पद्धतियों में उपचार के साथ-साथ परामर्श और अल्कॉहॉलिक्स एनॉनिमस की मीटिंग शराब से मुक्ति दिलाने में कारगर साबित हो रही हैं।
आयुर्वेद
ऐल्कॉहॉल से लिवर में सूजन, पेट और तंत्रिका तंत्र से जुड़ी बीमारियां हो जाती हैं। आयुर्वेद में इन बीमारियों को दूर करने की दवा दी जाती है और साथ-साथ शराब का विकल्प दिया जाता है जिसमें ऐल्कॉहॉल की मात्रा काफी कम हो।
ऐलोवेरा लिवर के लिए फायदेमंद है, जबकि अश्वगंधा तंत्रिका तंत्र और मस्तिष्क को पुष्ट बनाता है। इसके अलावा जटामांसी भी दिया जाता है। सार्थक चूर्ण, ब्राह्मी घृतम आदि शरीर से शराब के जहर को कम करते हैं। इसके अलावा शंखपुष्पी, कुटकी, आरोग्य वर्धनी आदि दिए जाते हैं। शराब के विकल्प के रूप में सुरा का सेवन कराया जाता है। शराब के बदले मृतसंजीवनी सुरा 30-40 एमएल दी जाती है। इसके बाद धीरे-धीरे इसे कम किया जाता है। इसके साथ ही, ऐसे रोगियों को परामर्श केंद्र भेजा जाता है। आयुर्वेद विशेषज्ञों की सलाह है कि डॉक्टर या वैद्य की सलाह से ही इन औषधियों का इस्तेमाल करें।
होम्योपथी
काउंसलिंग के साथ-साथ होम्योपथी की दवा नियम से ली जाए, तो शराब की लत के शिकार लोगों को राहत मिल सकती है। ये दवाएं न सिर्फ ऐल्कॉहॉल से शरीर को होने वाली बीमारियों को ठीक करती हैं, बल्कि मनोवैज्ञानिक नजरिये से भी फायदा पहुंचाती हैं। कुछ खास दवाएं यहां दी जा रही हैं, लेकिन कोई भी दवा शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर ले लें।
क्यूरकस क्यू : आधे कप पानी में इसकी 10 बूंद मिलाकर दिन में तीन बार लेने से शराब की वजह से शरीर में फैला जहर दूर हो जाता है। यह लिवर की पुरानी बीमारी और स्प्लिन पर होने वाले असर को रोकती है।
सिनकोना ऑफिसिनैलिस: सिनकोना ऑफिसिनैलिस 30/200 शराब की वजह से लिवर को होने वाले नुकसान को रोकती है और इसे ठीक करती है। यह जॉन्डिस और ऐल्कॉहॉल की वजह से शरीर को होने वाली कमजोरी को भी दूर करती है।
कैलिडोनियम: यह एक्यूट हेपेटाइटिस, जॉन्डिस और पेट दर्द से राहत देती है। इसका टिंचर रूप ज्यादा कारगर रहता है। रोजाना 10 बूंद दिन में तीन बार ले सकते हैं।
मुद्रा, ध्यान और योगाभ्यास
शराब पीने वालों का आत्मविश्वास कमजोर होने लगता है। उनकी एकाग्रता भी क्षीण पड़ती जाती है। साथ ही, पूरे शरीर में शराब का जहर फैल जाता है। मुद्रा, ध्यान तथा योग क्रियाओं के माध्यम से उनके शरीर से विकार को दूर किया जाता है। इन विकारों के दूर होने से ऐल्कॉहॉलिजम के शिकार लोगों को राहत मिल सकती है।
ज्ञान मुद्रा : ज्ञान मुद्रा से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और इससे मन का शुद्धिकरण होता है। ज्ञान मुद्रा करने के लिए दाहिने हाथ के अंगूठे को तर्जनी के टिप पर लगाएं और बाईं हथेली को छाती के ऊपर रखें। सांस सामान्य रहेगी। सुखासन या पद्मासन में बैठकर भी इस क्रिया को किया जा सकता है। इस क्रिया को लगातार 45 मिनट तक करने से काफी फायदा मिलता है। चलते-फिरते भी इस क्रिया को किया जा सकता है।
ध्यान : ध्यान करने से शरीर के अंदर से खराब तत्व बाहर हो जाते हैं। एकाग्रता लाने के लिए त्राटक किया जाता है। इसमें बिना पलक झपकाए प्रकाश की रोशनी को लगातार देखने का अभ्यास किया जाता है। अभ्यास करते-करते एक समय ऐसा आता है जब व्यक्ति को मात्र बिंदु दिखाई देता है।
घरेलू नुस्खे
संतरा और नीबू के रस तथा सेव, केला आदि के सेवन से ऐल्कॉहॉल की वजह से शरीर में जमा जहर कम हो जाता है।
खजूर काफी फायदेमंद रहता है। 3-4 खजूर को आधे गिलास पानी में रगड़कर देने से शराब की आदत छोड़ने में मदद मिलती है।
धूम्रपान करना बिल्कुल बंद कर दें। धूम्रपान से ऐल्कॉहॉल लेने की इच्छा प्रबल होने लगती है।
आधा गिलास पानी और समान मात्रा में अजवाइन से बने रस को मिलाकर रोजाना एक महीने तक पीने से काफी फायदा मिलता है।
समाज और कानून की जिम्मेदारी
किसी शराबी को सही रास्ते पर लाने का काम उसके घर से शुरू होता है। जिस दिन पता चले कि महिला या पुरुष ने शराब पी है, उसी दिन से उसका विरोध शुरू हो जाना चाहिए। बाद में यही शराबी घरेलू हिंसा को अंजाम देने लगते हैं। ऐसे में पुलिस को भी इसकी सूचना दी जा सकती है या परामर्श केंद्र में भी लेकर जाया जा सकता है। शराब पीकर सड़क पर हंगामा करने वालों को पुलिस विभिन्न धाराओं के तहत पकड़ सकती है। हालांकि घर के सदस्य, दोस्त आदि जमानत ले सकते हैं। जेल में भी परामर्श केंद्र होता है।
माना जाता है कि व्यक्तित्व में बदलाव होने के बाद ही किसी शराबी में शराब छोड़ने की ताकत पैदा हो सकती है। इसके लिए लगातार 90 मीटिंग अटेंड करने की सलाह दी जाती है। अगर किसी ने शराब भी पी रखी है तो भी वह मीटिंग अटेंड कर सकता है। मीटिंग जॉइन करने वाले नए सदस्य से उनके बीते दिनों के अनुभवों को लिखवाया जाता है। अगर कोई अनपढ़ है तो उसकी बातों को टेप किया जाता है या कोई साथी सदस्य उसके कहे अनुसार लिखने में मदद करता है। इसके बाद समाज में या परिवार में कहां किससे क्या-क्या गलतियां कीं, उनसे माफी मांगने या नुकसान की भरपाई की कोशिश की जाती है। वैसे व्यक्तित्व में बदलाव के लिए पूरे 12 सूत्र बनाए गए हैं। लेकिन एए के सदस्य बताते हैं कि तीन मुख्य सूत्र पर सबसे ज्यादा जोर दिया जाता है।
ईश्वर पर आस्था: इसमें पूजा, प्रार्थना, ध्यान या दूसरी धार्मिक गतिविधियां हो सकती हैं।
बुरी आदतों को दूर करना: शराबी को अपनी बुरी आदतों को नोट कर उन्हें छोड़ने पड़ता है।
सेवा: किसी शराबी को शराब से मुक्ति दिलाने के लिए बातें करना, घर जाकर समझाना आदि।
शौकिया भी न पिएं, शराब दवा से नहीं बदलाव से छूटेगी।
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