निषेध क्या होता है, इसका कैसे पालन करना है?
निषेध क्या होता है, इसका कैसे पालन करना है?
कहते हैं कि जो तारक होता है वो मारक भी होता है। आप कोई दवा खा रहे हो तो उसपर लिखा होता है कि यह एक खतरनाक दवाई है, बिना योग्य चिकित्सक की सलाह के इसे न खाएं। दवाई का काम है मानव को निरोगी बनाना यदि कोई दवाई बिना निषेध का पालन किए खा ले तो वह दवाई उसे लाभ देने की बजाए नुकसान पहुंचा सकती है। आप दवाई न खाएं तो चलेगा लेकिन
जब खाएं तो आपको निषेध का पालन करना ही पड़ेगा।
इसी प्रकार बिजली का अविष्कार मानव मात्र को लाभ पहुंचाने के लिए हुआ है लेकिन चलती बिजली की तारों को आप छू देंगे तो आप मौत के मुंह में जा सकते हैं। बिजली के खम्भे
के पास बोर्ड में लिखा होता है कि सावधान 24000 किलोवाट वोल्टेज पास मत जाएं। यदि आप
इस निषेधाज्ञा को नहीं मानते तो आप बेमौत मारे जा सकते हैं। आप सड़क यातायात के नियमों का पालन नहीं करते तो आप दुर्घटना का शिकार हो सकते हैं। ये निषेध मानव मात्र के कल्याण के
लिए ही हैं।
इसी प्रकार जीवन के विभिन्न धार्मिक व सामाजिक क्रिया क्लापों मे भी मानव को शास्त्रों के अनुसार निषेध का पालन करना पड़ता है। पिता का पुत्री से विवाह निषेध, भाई का बहन से निषेध, माता का पुत्र से विवाह निषेध, एक गोत्र में विवाह निषेध आदि हैं जो मानव को सामाजिक
स्तर पर उच्च स्तर की ओर ले जाते हैं। उसे पशुओं की श्रेणी से अलग करते हैं। इसी प्रकार मंत्र जाप, पूजा पद्धति आदि के बारे में शास्त्रों के द्वारा निषेध वॢणत किए गए हैं। जो निषेध एक वर्ग
के लिए हैं वे निषेध दूसरे वर्ग के लिए नहीं हैं। उदाहरण के तौर पर सबसे ज्यादा निषेध ब्राह्मणों के लिए हैं। वे यदि तामसिक चीजों, मांसाहार नहीं कर सकते तो वहीं दूसरे वर्ग के लोगों के लिए
इसकी मनाही नहीं है। ऐसा नहीं है कि किसी वर्ग के प्रति द्वेष की भावना है,उस वर्ग की भलाई के
लिए ही ऐसा किया गया है। ऐसा हो सकता है कि आप इन चीजों को न मानें और न करें पर यदि आप इनसे लाभ उठाना चाहते हैं तो आपको नियमों का पालन करना ही पड़ेगा।
लाभ उठाना
कहते हैं कि जो तारक होता है वो मारक भी होता है। आप कोई दवा खा रहे हो तो उसपर लिखा होता है कि यह एक खतरनाक दवाई है, बिना योग्य चिकित्सक की सलाह के इसे न खाएं। दवाई का काम है मानव को निरोगी बनाना यदि कोई दवाई बिना निषेध का पालन किए खा ले तो वह दवाई उसे लाभ देने की बजाए नुकसान पहुंचा सकती है। आप दवाई न खाएं तो चलेगा लेकिन
जब खाएं तो आपको निषेध का पालन करना ही पड़ेगा।
इसी प्रकार बिजली का अविष्कार मानव मात्र को लाभ पहुंचाने के लिए हुआ है लेकिन चलती बिजली की तारों को आप छू देंगे तो आप मौत के मुंह में जा सकते हैं। बिजली के खम्भे
के पास बोर्ड में लिखा होता है कि सावधान 24000 किलोवाट वोल्टेज पास मत जाएं। यदि आप
इस निषेधाज्ञा को नहीं मानते तो आप बेमौत मारे जा सकते हैं। आप सड़क यातायात के नियमों का पालन नहीं करते तो आप दुर्घटना का शिकार हो सकते हैं। ये निषेध मानव मात्र के कल्याण के
लिए ही हैं।
इसी प्रकार जीवन के विभिन्न धार्मिक व सामाजिक क्रिया क्लापों मे भी मानव को शास्त्रों के अनुसार निषेध का पालन करना पड़ता है। पिता का पुत्री से विवाह निषेध, भाई का बहन से निषेध, माता का पुत्र से विवाह निषेध, एक गोत्र में विवाह निषेध आदि हैं जो मानव को सामाजिक
स्तर पर उच्च स्तर की ओर ले जाते हैं। उसे पशुओं की श्रेणी से अलग करते हैं। इसी प्रकार मंत्र जाप, पूजा पद्धति आदि के बारे में शास्त्रों के द्वारा निषेध वॢणत किए गए हैं। जो निषेध एक वर्ग
के लिए हैं वे निषेध दूसरे वर्ग के लिए नहीं हैं। उदाहरण के तौर पर सबसे ज्यादा निषेध ब्राह्मणों के लिए हैं। वे यदि तामसिक चीजों, मांसाहार नहीं कर सकते तो वहीं दूसरे वर्ग के लोगों के लिए
इसकी मनाही नहीं है। ऐसा नहीं है कि किसी वर्ग के प्रति द्वेष की भावना है,उस वर्ग की भलाई के
लिए ही ऐसा किया गया है। ऐसा हो सकता है कि आप इन चीजों को न मानें और न करें पर यदि आप इनसे लाभ उठाना चाहते हैं तो आपको नियमों का पालन करना ही पड़ेगा।
लाभ उठाना
Comments
Post a Comment