अशुभ स्थिति में राहू करवाता है तलाक
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विवाह के बाद तलाक किन ग्रहों के कारण होता है
आजकल तलाक के केस बहुत बढ़ते जा रहे हैं। तलाक की अशुभ स्थिति कुंडली में तब दिखाई देती है जब 2,7,11 भावों में अशुभ ग्रह हों तथा इन पर प्रभाव भी अशुभ पड़ रहा हो। यदि विवाह के कारक ग्रह और ये भाव
शनि,राहु व केतु के अशुभ प्रभाव अधीन हों तो विवाह विच्छेद निश्चित ही होता है। हमने देख लिया है कि विवाह,गृहस्थ जीवन से संबंधित भावों, सूचक व कारक ग्रह ों पर अशुभ ग्रहों की नजर अथवा कुप्रभाव किस प्रकार गृहस्थ जीवन को दुखों में बदल देता है और मन अशांत कर देता है। विवाह पर राहू,केतु शनि आदि प्रभाव डालते हैं लेकिन जिसका सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है वो है राहू। यदि राहू विवाह सूचक, कारक ग्रहों अथवा
भावों के स्वामियों से संबंधित होता है तो किसी न किसी पक्ष से अशांति ही देता है। यदि राहू चंद्र ग्रह के साथ
होता है तो मानसिक चिंता, पत्नी की मानसिक स्थिति में असंतुलन होता है। मंगल-राहू,अडिय़ल स्वभाव अथवा दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंचे। शुक्र-राहू, पत्नी के अलावा किसी अन्य स्त्री से संबंध के कारण अथवा माता-पिता की इच्छा के बिना विवाह। सूर्य-राहू, पति -पत्नी में पद अथवा आर्थिक मामलों को लेकर मतभेद। यानि ईगो समस्या। शनि-राहू,एक दूसरे से अलग रहे, अशांति रहे। बुध-राहू दिमागी परेशानी के कारण आपस में परेशानी।
मंगल-शुक्र-राहू ,घरेलु अशांति दुख हो। शुक्र चंद्र राहू- प्रेम में घाटा ही घाटा, महिलाओं से हानि, घरेलू अशांति तथा पराई महिला के साथ संबंध हो जाएं। विवाह बंधन जीवन की बहुत ही महत्तवपूर्ण घटना होती है। जन्म कुंडली में सुखी गृहस्थ जीवन के लिए हर पक्ष पर विचार करना जरूरी है। www.bhrigupandit.com
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विवाह के बाद तलाक किन ग्रहों के कारण होता है
आजकल तलाक के केस बहुत बढ़ते जा रहे हैं। तलाक की अशुभ स्थिति कुंडली में तब दिखाई देती है जब 2,7,11 भावों में अशुभ ग्रह हों तथा इन पर प्रभाव भी अशुभ पड़ रहा हो। यदि विवाह के कारक ग्रह और ये भाव
शनि,राहु व केतु के अशुभ प्रभाव अधीन हों तो विवाह विच्छेद निश्चित ही होता है। हमने देख लिया है कि विवाह,गृहस्थ जीवन से संबंधित भावों, सूचक व कारक ग्रह ों पर अशुभ ग्रहों की नजर अथवा कुप्रभाव किस प्रकार गृहस्थ जीवन को दुखों में बदल देता है और मन अशांत कर देता है। विवाह पर राहू,केतु शनि आदि प्रभाव डालते हैं लेकिन जिसका सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है वो है राहू। यदि राहू विवाह सूचक, कारक ग्रहों अथवा
भावों के स्वामियों से संबंधित होता है तो किसी न किसी पक्ष से अशांति ही देता है। यदि राहू चंद्र ग्रह के साथ
होता है तो मानसिक चिंता, पत्नी की मानसिक स्थिति में असंतुलन होता है। मंगल-राहू,अडिय़ल स्वभाव अथवा दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंचे। शुक्र-राहू, पत्नी के अलावा किसी अन्य स्त्री से संबंध के कारण अथवा माता-पिता की इच्छा के बिना विवाह। सूर्य-राहू, पति -पत्नी में पद अथवा आर्थिक मामलों को लेकर मतभेद। यानि ईगो समस्या। शनि-राहू,एक दूसरे से अलग रहे, अशांति रहे। बुध-राहू दिमागी परेशानी के कारण आपस में परेशानी।
मंगल-शुक्र-राहू ,घरेलु अशांति दुख हो। शुक्र चंद्र राहू- प्रेम में घाटा ही घाटा, महिलाओं से हानि, घरेलू अशांति तथा पराई महिला के साथ संबंध हो जाएं। विवाह बंधन जीवन की बहुत ही महत्तवपूर्ण घटना होती है। जन्म कुंडली में सुखी गृहस्थ जीवन के लिए हर पक्ष पर विचार करना जरूरी है। www.bhrigupandit.com
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