भगवान राम ने बाली को छिप कर क्यों मारा ?
भगवान राम ने बाली को छिप कर क्यों मारा
स्ट्रांग कथानक- मैं इसका उत्तर एक लेखक के लिख कथानक कि तरह ही दूंगा। वह एक ऐसे मंझे हुए डायरैक्टर, प्रोड्यूसर, संगीतकार, स्टोरी राइटर की तरह ही होता जो पाठक या दर्शक को बांधे रखता है। यह सारा कथानक इतना ताकतवर हो सकता है कि पाठकों को सैंकड़ों सालों तक अपने कथानक में मोह कर रख सकता है।
कटप्पा ने बाहूबलि को क्यों मारा- बाहुबली का इतना स्ट्रांग कथानक दर्शकों के सामने पेश करने के बावजूद डायरैक्टर को एक सस्पैंस सामने रखना पड़ा और वह था कटप्पा ने बाहूबलि को क्यों मारा।
यथार्थ रूप- जीवन में आपके कई ऐसी घटनाएं होती हैं जिनका आपके पास उत्तर नहीं होता या आप कहते हैं कि मैंने किसी का बुरा नहीं किया तो मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ। ऐसा ही दुनिया के हर करैक्टर में लेखक भरता है कि पाठक कौतुहल के रूप में प्रश्न करते रहें और यह जिज्ञासा व विचार-विर्मश, आलोचना का कारण भी बने।
रामायण का कथानक- भगवान राम बाली को सामने से भी मार सकते थे। बाली व सुग्रीव की आपस में लड़ाई। सुग्रीव को मिला वरदान और भगवान राम का उसका किया जाना उद्दार। यह कथानक बाकी कथानकों की तरह ही इतना स्ट्रांग बुना गया है कि आज हजारों साल बाद भी विचार विमर्श होता रहता है, आलोचना भी होती है। बस लेखक यही चाहता था कि उसका यह वृतांत हजारों सालों तक चलता रहे जो चलता रहेगा।
रह सदी में ऐसे प्रश्न उठते रहेंगे। यही कारण है कि महाभारत, पुराण, रामायण आज भी वैसे ही नवीन हैं जैसे पहले थे। इनमें कल्पना, मनोरंजन, हास्य आदि सभी रस हैं कि पाठक कभी भी बोर नहीं होता और समाज को दिशा भी मिलती रहती है।
स्ट्रांग कथानक- मैं इसका उत्तर एक लेखक के लिख कथानक कि तरह ही दूंगा। वह एक ऐसे मंझे हुए डायरैक्टर, प्रोड्यूसर, संगीतकार, स्टोरी राइटर की तरह ही होता जो पाठक या दर्शक को बांधे रखता है। यह सारा कथानक इतना ताकतवर हो सकता है कि पाठकों को सैंकड़ों सालों तक अपने कथानक में मोह कर रख सकता है।
कटप्पा ने बाहूबलि को क्यों मारा- बाहुबली का इतना स्ट्रांग कथानक दर्शकों के सामने पेश करने के बावजूद डायरैक्टर को एक सस्पैंस सामने रखना पड़ा और वह था कटप्पा ने बाहूबलि को क्यों मारा।
यथार्थ रूप- जीवन में आपके कई ऐसी घटनाएं होती हैं जिनका आपके पास उत्तर नहीं होता या आप कहते हैं कि मैंने किसी का बुरा नहीं किया तो मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ। ऐसा ही दुनिया के हर करैक्टर में लेखक भरता है कि पाठक कौतुहल के रूप में प्रश्न करते रहें और यह जिज्ञासा व विचार-विर्मश, आलोचना का कारण भी बने।
रामायण का कथानक- भगवान राम बाली को सामने से भी मार सकते थे। बाली व सुग्रीव की आपस में लड़ाई। सुग्रीव को मिला वरदान और भगवान राम का उसका किया जाना उद्दार। यह कथानक बाकी कथानकों की तरह ही इतना स्ट्रांग बुना गया है कि आज हजारों साल बाद भी विचार विमर्श होता रहता है, आलोचना भी होती है। बस लेखक यही चाहता था कि उसका यह वृतांत हजारों सालों तक चलता रहे जो चलता रहेगा।
रह सदी में ऐसे प्रश्न उठते रहेंगे। यही कारण है कि महाभारत, पुराण, रामायण आज भी वैसे ही नवीन हैं जैसे पहले थे। इनमें कल्पना, मनोरंजन, हास्य आदि सभी रस हैं कि पाठक कभी भी बोर नहीं होता और समाज को दिशा भी मिलती रहती है।
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