शास्त्रीय संगीत की पवित्रता कैसे नष्ट की गई


शास्त्रीय संगीत की पवित्रता कैसे नष्ट की गई

स्वामी हरिदास संगीत में रमे रहते। जब भी उन्हें ईश्वर की लगन लगती वह गाने लगते। जंगल में कुटी बनाकर राम-कृष्ण नाम धुन में लीन रहते थे। कहते हैं इनके आवाज में ऐसा जादू था कि पंछी चहकना छोड़ देते, गाय अपने आप दूध देने लगतीं, पेड़ झूलने लगते और लोग जहां होते वहीं स्थिर हो जाते। स्वामी जी की आवाज की ख्याति देश के कोने-कोनेे में पहुंच चुकी थी। मां सरस्वती के महान भक्त स्वामी हरिदास के कंठ में ऐसा जादू था कि मृत लोग भी जीवित हो जाते। स्वामी जी किसी के कहे पर नहीं गाते थे जब उनको लय उठती तभी गाते थे और उनके गायन को सुनने के लिए लोग महीनों उनकी कुटिया के आसपास रहते और जैसे ही गायन शुरु होता तो अपने जीवन को धन्य करते। 
स्वामी जी के कई शिष्य बन चुके थे, इनमें एक था तानसेन। तानसेन ने अपने गुरु की सेवा करके संगीत सीखा। उसकी आवाज में भी अपने गुरु जैसा जादू था। उसकी ख्याति जब अकबर के दरबार में पहुंची तो उसने उसे अपना दरबारी गायक बना लिया । अब तानसेन जो कि ब्राह्मण था,का धर्म परिवर्तन करके उसका एक और विवाह मुसलमान कन्या से करवा दिया गया। अब वह मीया तानसेन हो गया था। अब यहीं से शास्त्रीय संगीत की पवित्रता नष्ट होनी शुरु हो गई। इसके बाद हिन्दू गायकों में दरबारी गायक बनने की होड़ लगने लगी और वे मुसलमान होने लगे। शास्त्रीय संगीत से छेड़छाड़ भी शुरु हो गई। इसके समक्ष चीखने-चिल्लाने को संगीत का नाम दे दिया गया। शास्त्रीय संगीत के बड़े घरानों से हिन्दुओं का नाम खत्म हो गया और धर्मपरिवर्तित लोगों को स्थान मिल गया। अब संगीत के बहाने धर्मपरिवर्तन का काम शुरु हो गया। फ्री में गाना सीखिए करके हिन्दुओं को अपना शिकार बनाया जाने लगा जो हिन्दू अपने ईष्ट देवों के सामने गाते थे, अब murdon पर चीखनें लगे थे। लोग भी उनके चीखने पर सिर हिलाने लगे थे। 
संगीत को Dharama से अलग करने के लिए हमारे तथाकथित धर्म गुरुओं, प्रचारकों व समाज सुधारकों भी काफी काम किया। संगीत विहीन होने का एक नुक्सान हुआ कि लोग पवित्र संगीत से दूर होकर बालीवुड के संगीत की तरफ आकर्षित हो गए। आज आवाज को दबाकर, कील कर गाने वाले जाली गायकों का बोलबाला है क्योंकि महान गायकों का गला काट दिया गया। 

आज जरूरत है हर हिन्दू धार्मिक स्थल पर शास्त्रीय संगीत को प्रोमोट किया जाए। इसकी बारीकियों व पवित्रता से नई पीढ़ी को जागरूक किया जाए, भजन संध्या के लिए गायक तैयार किए जाएं, सभी संगीत वाध्यों जैसे हारमोनियम, कड़ताल, ढोलक, वायलिन आदि को शामिल किया जाए। घर में बच्चों को रामचरितमानस की चौपाइयों का गान, भजन आदि छुट्टियों में सिखाए जाएं। संगीत इंसान को ईश्वर से जोड़ सकता है इसलिए संगीत को अपने जीवन में हर हिन्दू जोड़े।






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