ईष्ट काल कैसे निकालें

ईष्ट काल कैसे निकालें
कुंडली बनाना बुहत ही अासान है। अाप घर बैठे अपनी कुंडली बना सकते हैं। सम्पूर्ण कुंडली बनाना सीखने के लिए अापको धैर्य़, समय व गणित की गणनाएं करना जरूरी है। थोड़ी सी मेहनत करने से अाप धीरे-धीर कुंडली बनाना सीख सकते हैं। जातक की कुंडली बनाने के लिए हमें जन्म तारीख, महीना व साल , जन्म समय व जन्म स्थान चाहिए होता है।  मान लो जानक का जन्म 15 दिसम्बर 1985, समय सुबह 10 बजे अौर स्थान जालंधर है। इसके  बाद हमें जन्म स्थान का सूर्य उदय , ईष्ट काल , सर्वाक्ष व भुक्त की निकालना पड़ता है। हम पंचांग से उस जन्म स्थान का सूर्य उदय पता कर सकते है।
ईष्ट काल निकालने की विधी- जन्म समय में से सूर्य उदय घटा लो। घटने के बाद जो अंक प्राप्त हो उसे  अढ़ाई से गुणा कर दो। जो अाए उसे ईष्ट काल मानो।
उदाहरण के तौर पर 29-3-1972 व जन्म समय सुबह 10.30 है, जन्म स्थान जालंधर है।
इस दिन पंचाग देखने पर सूर्य उदय 6 बजकर 28 मिनट है।
   जन्म समय----10.30
सूर्य उदय ----6.28
-----------------------
 4.02 को अढ़ाई से गुणा करना है तो अाता है 8.04 अब इसको अाधा या 2 व1 जोड़ने से 10.05
यानि ईष्ट काल 10.05 है।
इस प्रकार हम किसी भी जातक का ईष्ट काल निकाल सकते हैं।

इष्टकाल - सूर्योदय के बाद किसी भी घटना (जन्म इत्यादि ) होने तक का समय इष्टकाल कहलाता है जैसे यदि सूर्योदय 6:00 बजे हुआ है और किसी बालक का जन्म रात को 1:00 बजे हुआ तो इष्टकाल होगा 19 घंटे ( अर्थात प्रातः 6:00 बजे से रात 1:00 बजे तक का समय )
इष्टकाल को घटी/दंड में गिना जाना है ( एक घंटा बराबर 2:5 घटी/दंड )
इष्टकाल ज्ञात करने हेतु निम्न सारणी उपयोग की जाती है |
1 घंटा = 2.5 घटी/दंड
24 घंटे = 1 दिन = 60 घटी/दंड
1 घटी = 60 पल = 24 मिनट
1 मिनट = 2:5 पल
1 पल = 24 सेकंड = 60 विपल
1 सेकंड = 2.5 विपल
घंटो को मिनट मे बदलकर 24 से भाग देने पर इष्टकाल आ जाता है |

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