व्रत क्यों रखे जाते हैं
व्रत क्यों रखे जाते हैं
व्रत क्यों रखे जाते हैं, इसके पीछे बहुत ही गूढ़ मनोवैज्ञानिक रहस्य छिपा है। एक महिला डाक्टर के पास जाती है अौर उसे अपनी बीमारियां उसके लक्षणों के बारे में बताती है। ज्यादातर बीमारियां अोवरइटिंग, फास्ट फूड खाने से सामने अा रही होती हैं। ब्लड प्रैशन, शूगर, हार्ट बर्न, हार्ट बीट , कब्ज अादि बीमारियों के लिए डाक्टर सलाह देता है कि मीठा खाना बंद, नमक खाना कम कर दो, भोजन में फैट कम कर दो अादि। परहेज बताते के बाद वह कुछ दवाइयां जिनमें मल्टीविटामिन होते हैं, दे दी जाती हैं। इसके बाद शुरु होता है स्वस्थ रहने के लिए परहेज। यानि डाक्टर के बताने पर रखा जा रहा व्रत।
हमारी धार्मिक परम्पराअों में किसी भी अवस्था या कार्य को अध्यात्म से जोड़कर ही देखा जाता है। हर कार्य करने के पीछे अाध्यात्मिक,धार्मिक तौर पर अंदर व बाहर से सृदृढ़ करना ही मुख्य उद्देश्य होता है। अल्पाहार का अर्थ है कम मात्रा में संतुलित पौष्टिक अाहार लेना। अल्पाहार करने से कई बीमारियों से स्वत ही छुटकारा मिल जाता है। भूमि में भी किसान फसल अगल-अलग उगाता है अौर कई बार भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने के लिए उसे खाली छोड़ दिया जाता है ताकी भूमि में उपजाऊ शक्ति बनी रहे। इस बात को हर किसान अच्छी तरह समझता है कि प्राकृतिक खाद का उपयोग करने से अच्छी फसलें अौर भूमि का उपजाऊ पर भी देर तक बरकरार रहता है। इसी प्रकार मानव का शरीर भी है। जब 6 दिन नौकरी पर जाता है तो एक दिन के लिए वह शरीर को रैस्ट देता है।
इसी प्रकार एक ही प्रकार का अन्न खाते-खाते शरीर के पाचन अंगों को भी अाराम दिया जाता है। फलाहार या जल अादि का सेवन किया जाता है या भूखे रहा जाता है। अाप जीवन में किसी भी चीज का त्याग करते हैं तो उसका प्रभाव अापके जीवन पर पड़ता है।
धार्मिक परम्पराअों के अनुसार हम जब व्रत रखते हैं तो किसी धार्मिक संकल्प के पूरा होने के लिए रखते हैं। अपने अराध्य को याद करके उसके लिए व्रत रखना अौर उससे मनोकामना पूरी करने की अपेक्षा रखना मानव का स्वभाव है। मां अपने बच्चे के इंतजार में तब तक खाना नहीं खाती जब तक कि उसका बच्चा उसके सामने नहीं अा जाता। पत्नी अपने पति का इंतजार करती है कि कब वह अाए अौर वे एकसाथ खाएं। व्रत में भी यही प्यार है श्रद्धा है।
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व्रत क्यों रखे जाते हैं, इसके पीछे बहुत ही गूढ़ मनोवैज्ञानिक रहस्य छिपा है। एक महिला डाक्टर के पास जाती है अौर उसे अपनी बीमारियां उसके लक्षणों के बारे में बताती है। ज्यादातर बीमारियां अोवरइटिंग, फास्ट फूड खाने से सामने अा रही होती हैं। ब्लड प्रैशन, शूगर, हार्ट बर्न, हार्ट बीट , कब्ज अादि बीमारियों के लिए डाक्टर सलाह देता है कि मीठा खाना बंद, नमक खाना कम कर दो, भोजन में फैट कम कर दो अादि। परहेज बताते के बाद वह कुछ दवाइयां जिनमें मल्टीविटामिन होते हैं, दे दी जाती हैं। इसके बाद शुरु होता है स्वस्थ रहने के लिए परहेज। यानि डाक्टर के बताने पर रखा जा रहा व्रत।
हमारी धार्मिक परम्पराअों में किसी भी अवस्था या कार्य को अध्यात्म से जोड़कर ही देखा जाता है। हर कार्य करने के पीछे अाध्यात्मिक,धार्मिक तौर पर अंदर व बाहर से सृदृढ़ करना ही मुख्य उद्देश्य होता है। अल्पाहार का अर्थ है कम मात्रा में संतुलित पौष्टिक अाहार लेना। अल्पाहार करने से कई बीमारियों से स्वत ही छुटकारा मिल जाता है। भूमि में भी किसान फसल अगल-अलग उगाता है अौर कई बार भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने के लिए उसे खाली छोड़ दिया जाता है ताकी भूमि में उपजाऊ शक्ति बनी रहे। इस बात को हर किसान अच्छी तरह समझता है कि प्राकृतिक खाद का उपयोग करने से अच्छी फसलें अौर भूमि का उपजाऊ पर भी देर तक बरकरार रहता है। इसी प्रकार मानव का शरीर भी है। जब 6 दिन नौकरी पर जाता है तो एक दिन के लिए वह शरीर को रैस्ट देता है।
इसी प्रकार एक ही प्रकार का अन्न खाते-खाते शरीर के पाचन अंगों को भी अाराम दिया जाता है। फलाहार या जल अादि का सेवन किया जाता है या भूखे रहा जाता है। अाप जीवन में किसी भी चीज का त्याग करते हैं तो उसका प्रभाव अापके जीवन पर पड़ता है।
धार्मिक परम्पराअों के अनुसार हम जब व्रत रखते हैं तो किसी धार्मिक संकल्प के पूरा होने के लिए रखते हैं। अपने अराध्य को याद करके उसके लिए व्रत रखना अौर उससे मनोकामना पूरी करने की अपेक्षा रखना मानव का स्वभाव है। मां अपने बच्चे के इंतजार में तब तक खाना नहीं खाती जब तक कि उसका बच्चा उसके सामने नहीं अा जाता। पत्नी अपने पति का इंतजार करती है कि कब वह अाए अौर वे एकसाथ खाएं। व्रत में भी यही प्यार है श्रद्धा है।
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