बालीवुड में शोक की लहर- नहीं रहे कादर खान, कनाडा के अस्पताल में ली अंतिम सांस
उन्होंने फिल्म दाग के अलावा खून पसीना, बुलंदी, याराना आदि सैंकड़ों फिल्मों में काम किया। उनकी अदाकारी के दर्शक कायल थे। हिम्मतवाला, हीरो नम्बर वन में उन्होंने कमाल का अभिनय किया। विलेन से लेकर चरित्र अभिनेता और हास्य अभिनेता तक उन्होंने अपने अभिनय के हर रंग बड़े पर्दे पर जीवंत किए। अभिनय के अलावा उन्होंने 250 फिल्मों में संवाद भी लिखे। इस अभिनेता के करियर की शुरुआत थियेटर से ही हुई। थियेटर करते करते उन्होंने तहलका मचा दिया था। उनकी डायलॉग डिलीवरी को देखकर उन्हें कई अवार्ड दिए गए। इस प्रकार कादर खान को 1972 में एक फिल्म फिल्म ‘जवानी दीवानी’ में संवाद लिखने का काम मिल गया।
हिंदी सिनेमा में उनके योगदान को देखते हुए साल 2013 में उन्हें साहित्य शिरोमणि पुरस्कार भी प्रदान किया गया। कादर खान ने निर्माता के रूप में भी एक फिल्म बनाई थी साथ ही छोटे पर्दे पर भी उनका शो ‘हँसना मत’ काफी लोकप्रिय रहा। कादर खान सही मायने में एक जीनियस थे। उनके जैसा हरफनमौला कलाकार शायद ही कोई दूसरा हो। मशहूर बॉलीवुड अभिनेता, कादर खान का निधन से बालीवुड ने चमकता सितारा खो दिया। वह कनाडा के अस्पताल में 16 हफ्तों भर्ती थे। वह बहुत ही तकलीफ में थे। सोशल मीडिया पर उनके चाहने वालों को शोक जताया। अनपम खेर, स्मृति इरानी, अमिताभ बच्चन, गोविन्दा सहित सैंकड़ों वालीवुड एक्टरों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।
नहीं रहे कादर खान, कनाडा के अस्पताल में ली अंतिम सांस
एक ऐसा अभिनेता जिसने एक्टिंग के क्षेत्र में झंडेे गाढ़े, जिसने अपनी मेहनत से बालीवुड में मुकाम बनाया, 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया वह थे कादर खान। उन्होंने अपना फिल्मी करियर 1973 में शुरु किया था।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट कर शोक व्यक्त किया- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, बिग बी अमिताभ बच्चन, गोविन्दा आदि ने भी कादर खान के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए ट्वीट किया है।
बेहद गरीबी के दौर से गुजरा कादर खान का बचपन- मुम्बई की सबसे गंदी बस्ती में कादर खान का बचपन गुजरा । वह बस्ती जहां हर गैर-कानूनी काम होता था। मां ने कादर को सिर्फ पढ़ने के लिए कहा और कादर ने उनकी बात मानी भी। कादर के अनुसार उन्हें अपनी मां के बीमारी में मर जाने का हमेशा दुख रहा। पिता के तलाक के बाद मां ने ही गुजर-बसर करके उसे पाला पोसा। गरीबी इतनी कि हफ्ते में 3 दिन भूखा ही रहना प़ड़ता। अपनी मां के त्याग की बात कहते -कहते कादर की आंखें भर आती। मां के लिए उनके सीनेे में जो दर्द झलकता उनकी फिल्मों की डॉयलाग में साने आता था। संर्घष का वो दौर याद करते- करते उनका गला भर आता।
उसके बाद उन्होंने ‘बेनाम’, रोटी’, ‘अमर अकबर एंथनी’, ‘परवरिश’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’, ‘सुहाग’, ‘नटवरलाल’, ‘याराना’, ‘लावारिस’ से ;लेकर ‘जैसी करनी वैसी भरनी’ समेत 250 फ़िल्मों के लिए लिखा। राजेश खन्ना की सुपरहिट फ़िल्म ‘रोटी’ के लिए उन्हें 1974 में एक लाख बीस हज़ार की रकम मिली थी। यह रकम तब बहुत बड़ी मानी जाती थी। ‘अंगार’ और ‘मेरी आवाज़ सुनो’ के लिए फ़िल्मफेयर से बेस्ट संवाद के लिए पुरस्कार जीतने वाले कादर ख़ान को 10 बार फ़िल्मफेयर बेस्ट कॉमेडियन के अवार्ड लिए भी चुना गया।
कादर खान पिछले कुछ दिनों से कनाडा के एक अस्पताल में भर्ती थे। उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। कादर खान के साथ उनके बेटे सरफराज़ और बहू थे। उनकी तबीयत की खबर सुनकर अमिताभ बच्चन ने ट्विटर पर उनके लिए प्रार्थना की । कादर खान ने अमिताभ बच्चन के साथ कई फिल्में की हैं और लिखी भी हैं। अमर अकबर एंथनी और ज़ंजीर जैसी फिल्मों के डायलॉग्स आज तक कोई नहीं भूल सकता।
कादर खान ने अपना करियर, राजेश खन्ना की फिल्म दाग के साथ शुरू किया था। इसके साथ वो 300 से ऊपर बॉलीवुड फिल्मों का हिस्सा थे। उन्हें अपने कई किरदारों के लिए बेहद पसंद किया गया था। गोविंदा और शक्ति कपूर या जॉनी लीवर के साथ उनकी तिकड़ी बहुत पसंद की जाती थी। कादर खान ने कुछ समय के लिए पॉलिटिक्स में भी अपना हाथ आज़माने की कोशिश की थी। वह और अमिताभ बच्चन गहरे मित्र थे।ऐसा भी कहा जाता है कि अमिताभ बच्चन ने उन्हें राजनीति से दूर रहने की सलाह दी थी। उनकी मौत की अफवाह सुनकर ट्विटर पर शोक भी मनने लगा।
सबसे अलग कादर खान जहां ज़्यादातर लोग कादर खान को 90 के दशक के कॉमेडियन के रूप में जानते हैं, उनके डायलॉग्स लिखने का टैलेंट उन्हें सबसे अलग बनाता है। आज कल के लेखक उनके करीब कहीं नहीं आ सकते। वह एक बेमिसाल एक्टर थे। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।
कैसे बने वीलेन से कामेडियन- कादर के अनुसार एक बार उसके बेटे ने कहा कि पिता जी आप विलेन के रोल न किया करें। फिल्म में आपकी पिटाई हीरो के हाथों से होती है तो उसे बहुत बुरा लगता है। स्कूल में सारे उसे बच्चे इसी लिए छेड़ते और चिढ़ाते भी हैं। इस कारण उनसे उसकी लड़ाई भी हो जाती है। कादर खान को अपने बेटे की बात मन को लग जाती है। वह उसे वायदा करते हैं कि बेटा मैं अब कामेडियन के रोल किया करूंगा। इस प्रकार कादर खान वीलेन से कामेडियन बन गए।
गोविंदा ने भरे मन से कहा कि कादर खान उनके पिता समान थे। वह उनका बहुत ही आदर करते थे। गोविंदा के साथ कादर खान ने बहुत सी फिल्में की थीं।
कनाडा में कादर खान सुपुर्द-ए-खाक
बुधवार रात ( भारतीय समयानुसार) कनाडा में उनको सुपुर्द-ए-खाक किया गया। कादर खान के पार्थिव शरीर को दिन में मस्जिद ले जाया गया था और फिर उनका अंतिम संस्कार किया गया। वहां पर नमाज अदा की गई और दूसरी रस्में भी निभाई गई थीं। उनकी आखिरी विदाई में कोई भी बॉलीवुड सितारा नहीं पहुंचा। उनके निधन पर बॉलीवुड के कई सितारों ने शोक जताया था।
खबरों की माने तो कादर खान प्रोग्रेसिव सुपरान्यूक्लियर पाल्सी नामक बीमारी से पीड़ित थे। इस बीमारी में पलकों का झपकना मुश्किल हो जाता है और नीचे देखने के लिए पीड़ित को अपना सर झुकाना पड़ता है। साथ ही पीड़ित के शरीर में हलचल खत्म हो जाती है। इसके अलावा उन्हें सांस लेने में भी काफी तकलीफ हो रही थी।
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