कैसे किया गया पेगेन, वूडू व वीका धर्मों का विनाश

कैसे किया गया पेगेन, वूडू व वीका धर्मों का विनाश

दुनिया के एक बड़े भू भाग अमेरिका अफ्रीका, अरब, व यूरोप में पेगेन, वूडू व वीका धर्मों का 2500 वर्ष पहले बोलबाला था। ये लोग प्रकृति की अराधना करते थे और उसी में रमे रहते थे। ये लोग ऐसे थे अपने जीवों, जंगलों व नदियों को अपनी जान से भी ज्यादा प्यार प्यार करते थे। ये लोग जंगलों में रहते और एक जगह से दूसरी और अपना डेरा डालते रहते थे। जीने के लिए जितना जरूरी होता था उतना जीन वन्य सम्पदा का उपभोग करते थे।
इनका जीवन ऐसा था कि ये लोग बिल्कुल फ्री जीवन जीते थे। ये वैसा ही जीवन जीते थे जैसा कि आपने अंग्रेजी फिल्म अवतार देखी होगी। आपस में कबीले लड़ते भी थे लेकिन किसी बाहरी व्यक्ति का हस्तक्षेप ये बर्दाश्त नहीं कर सकते थे।
स्वतंत्र सोच के ये मालिक थे और स्वतंत्र ही जीते थे। इन लोगों के हर बीमारी का इलाज करने के लिए जंगलों की हर जड़ी बूटी का ज्ञान था और यह ज्ञान पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ता जाता था।

इनके पास एक कमी थी कि इनको अक्षर का ज्ञान नहीं था जबकि भारत में उस समय कई महान ग्रंथ लिखे गए थे। इन्ही ग्रंथों के कारण भारतीय धर्म, संस्कृति आज तक बची रही जबकि यूरोप,अमेरिका व अफ्रीका में ये धर्म खत्म कर दिए गए। इन मूल लोगों का इतना नरसंहार हुआ कि यूरोप जितनी आबादी को खत्म कर दिया गया।
16 शताब्दि तक इन धर्मों को शैतानी घोषित कर दिया गया।

वूडू, वीका व पेगेन धर्मों के पुजारियों व महापुरुषों का सामूहिक नरसंहार किया गया और इस मामले में इन धर्मों को खत्म करने के लिए हालीवुड की फिल्मों व मीडिया ने भी लोगों के मनों में इसे खौफ बनाकर पेश किय। ऐसे पेश किया जैसे ये लोग जिंदा इंसानों को खा जाते हों, इनको फिल्मों में क्रूर वडरावना बनाया गया ताकि किसी को यदि इनकी हत्याओं के बारे में पता भी चले तो कोई इनको निर्दोष साबित न कर सके।

 ऐसा ही भारत में भी किया गया लेकिन भारत के लोग हुनरमंद थे। ये लोग वास्तुकला, कपड़ा बुनने, हथियार बनाने आदि में निपुण थे इस लिए इनके हुनर  को काम में लाकर मुनाफा कमाया गया। जो काम के नहीं थे उन्हें गुलाम बनाया गया और जो उनका धर्म नहीं मानते थे उनका जबरन धर्म परिवर्तन किया गया। भारतीय संस्कृति को खत्म करना इतना आसान नहीं था क्योंकि इसके बारे में पीढ़ी दर पीढ़ी स्मृति से ज्ञान को सहेजा गया, श्लोकों को ग्रंथों में लिखा गया और फिर ये ग्रंथ सहेजे गए। मंदिरों को पहाड़ों को काट कर बना दिया गया। गुफाओं में कालाकृतियों को सहेज दिया गया ताकि संस्कृति जिंदा रहे।

इन लोगों ने भारतीय लोगों को भी खरीदा ताकि वे अपनी संस्कृति का विरोध करें और उनको भी उत्साहित किया । इन लोगों को समाज में बुद्धिजीवियों का खिताब दिया गया। ये काम इतनी चालाकी से किया गया कि लोगों को समझ ही न आए कि ये लोग समाज सुधारक नहीं असल में संस्कृति व धर्म विनाशक थे, लेकिन वे भी काफी हद तक सफल नहीं हुए। यह घृणित प्रयास आज भी जारी है।

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