सितोपलादि चूर्ण के क्या लाभ हैं
सितोपलादि चूर्ण एक अमृत समान औषधी है जो मानव मात्र के लिए एक सौगात है। इसमें कई जड़ी बूटियों का मिश्रण होता है तो तुरंत प्रभाव देता है। इस आयुर्वेदिक दवाई में मिश्री (चीनी), इलायची (हरी इलायची), दालचीनी (दालचीनी), पिप्पली (पाइपर लौंगम) और अन्य सामग्री होती है। बुखार, जुकाम, सर्दी, गला खराब आदी में इसे प्रयोग में किया जाता है। यह पाचन क्रिया व प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाती है।
ठंड शुरु होने से पहले इसे बच्चे को शहद में मिलाकर चटा दिया जाए तो सारी सर्दी में उसे रेशा, जुकाम नहीं होता। सितोपलादि चूर्ण सभी प्रकार की खांसी के इलाज में मदद करता है। गर्भावस्था के दौरान होने वाली खांसी का भी प्रभावी ढंग से सितोपलादि चूर्ण के साथ इलाज किया जा सकता है। यह चूर्ण गले की खराश के लिए प्रभावी है।
यह चूर्ण टॉन्सिल को भी खत्म कर देता है। तपेदिक या टाइफाइड के इलाज में यह चूर्ण रामबाण की तरह काम करता है। यह तपेदिक के लक्षणों जैसे थकान, भूख कम लगना, रात को पसीना आना आदि से छुटकारा दिलाता है। यह बुखार पैदा करने वाले विषाक्त पदार्थों को खत्म करने में मदद करता है। इस चूर्ण के सेवन करने से बुखार के लक्षण जैसे थकान, भूख न लगना और शारीरिक कमजोरी दूर हो सकती है। सितोपलादि चूर्ण अस्थमा के रोगियों के लिए साँस लेना आसान बनाता है
ठंड शुरु होने से पहले इसे बच्चे को शहद में मिलाकर चटा दिया जाए तो सारी सर्दी में उसे रेशा, जुकाम नहीं होता। सितोपलादि चूर्ण सभी प्रकार की खांसी के इलाज में मदद करता है। गर्भावस्था के दौरान होने वाली खांसी का भी प्रभावी ढंग से सितोपलादि चूर्ण के साथ इलाज किया जा सकता है। यह चूर्ण गले की खराश के लिए प्रभावी है।
यह चूर्ण टॉन्सिल को भी खत्म कर देता है। तपेदिक या टाइफाइड के इलाज में यह चूर्ण रामबाण की तरह काम करता है। यह तपेदिक के लक्षणों जैसे थकान, भूख कम लगना, रात को पसीना आना आदि से छुटकारा दिलाता है। यह बुखार पैदा करने वाले विषाक्त पदार्थों को खत्म करने में मदद करता है। इस चूर्ण के सेवन करने से बुखार के लक्षण जैसे थकान, भूख न लगना और शारीरिक कमजोरी दूर हो सकती है। सितोपलादि चूर्ण अस्थमा के रोगियों के लिए साँस लेना आसान बनाता है
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