अंग्रेजों का देश गुलाम (उपनिवेश) क्यों नहीं बनाया जा सका
अंग्रेजों का देश गुलाम (उपनिवेश) क्यों नहीं बनाया जा सका
हिटलर ने दूसरे विश्व युद्द तक लगभग पूरे यूरोप को अपना गुलाम बना लिया था लेकिन व इंग्लैंड को अपना गुलाम नहीं बना सका और फिर मित्र देशों के साथ मिलकर इंग्लैंड ने हिल्टर को हरा दिया। अंग्रेजों ने भारत, अफ्रीका, हांगकांग जैसे देशों को अपना उपनिवेश बनाया और वहां 200 सालों तक शासन किया। इस दौरान उसने गुलामों का नरसंहार किया, उनपर अमानवीय अत्याचार किए लेकिन किसी अंग्रेज ने यह नहीं कहा कि हम इन लोगों पर अत्याचार कर रहे हैं। किसी ने नहीं कहा कि हम अंग्रेज धोखेबाज, तेज दीमाग, अंहकारी, निरंकुश, अत्याचारी रहे, गुलामों पर अपना धर्म, संस्कृति, भाषा थोपी और किसी भी अंग्रेज ने आज तक अपने किए का कोई पश्चाताप नहीं किया। यदि दुनिया में किसी भी कौम को यदि पिशाच कहा जा सकता है तो वह अंग्रेज ही हैं। हम यह नहीं कह रहे कि यदि अंग्रेजों के पूर्वजों ने यह काम किए तो हमें उनकी संतानों से आज बदला लेना चाहिए लेकिन हमें उन्हें यह जरूर याद दिलाना चाहिए कि उनके पूर्वजों ने गुलामों के साथ कैसा व्यवहार किया था। वर्तमान में उनकी संतानों के व्यवहार में बदलाव हुआ है।
अंग्रेज आज भी मानते हैं कि हम ईश्वर के चुने हुए लोग हैं, हम शासन करने के लिए पैदा हुए हैं, हम सभ्य हैं और दुनिया को सभ्य बनाने की जिम्मेदारी हमारी है, हमारी संस्कृति ही श्रेष्ठ है और हमें इसे अन्य लोगों पर थोपना है, हम तय करेंगे कि कौन सभ्य है और कौन असभ्य, दुनिया के हर प्राकृतिक संसाधनों पर हमारा ही अधिकार है, काले लोग मंदबुद्धि व दोयम दर्जे के लोग होते हैं और इनमें कोई आत्मा नहीं होती, यदि कोई मालिक गुलाम को मार दे तो उसे कोई पाप नहीं लगता, वे कभी किसी अपराधबोध से ग्रस्त नहीं होते, आज भी वे छाती चौड़ी करके कहते हैं कि हमने दुनिया को गुलाम बनाया। अंग्रेज अपनी जाति के प्रति बहुत ही अभिमानी हैं। ये लोग दुनिया के सबसे बड़े नस्लवादी हैं। दुनिया में जघन्य अपराध इसी नस्ल के नाम दर्ज हैं।
अंग्रेज जब भारत आए थे तो वे भारतीयों को पिछड़ा व असभ्य मानते थे। इन दो सौ सालों में किसी भी अंग्रेज ने किसी भारतीय महिला या पुरुष से अपने संबंध नहीं बनाए । वे उनसे एक बहुत बड़ी दूरी रखते थे, उनके लिए स्पष्ट आदेश थे कि अंग्रेज किसी काली महिला से संबंध नहीं बना सकता। किसी अंग्रेज के काली महिला से संबंधों से पैदा हुए बच्चों को भी वे अपने साथ इंग्लैंड ले गए क्योंकि उनका मानना था कि इन ऐंगेलों इंडियन नस्ल के बच्चों का फिर अंग्रेजों से विवाह करने पर उनकी आगे नस्ल खराब होने से बच जाएगी।
भारत आदि देशों में शासन के अंग्रेजों ने महान संस्कृतियों का अपराधीकरण करके, यहां के लोगों में हीनता भरी, एक दूसरे को लड़वाया, सैंकड़ों तथाकथित समाज सुधारकों को ग्रंथों में से जातिवाद, नारीवाद, रंगभेद, अपराध, दुराचार आदि निकाल कर लोगों में फैलाने के लिए प्रयोग किया। वे लोगों में हीनता भरने में सफल रहे। उन्होंने भारतीय हिन्दू संस्कृति महान व्यवस्थाओं को अपराध और असमानता से जोड़ा और लोगों को भड़काया। आज भी हिन्दू झूठे फैलाए गए अपराध बोध से ग्रसित हैं। अपराधबोध व हीनता से ग्रसित समाझ कभी भी शासक नहीं बन सकता यह अंग्रेज अच्छी तरह जानते हैं।
अंग्रेज आज भी अपने काले इतिहास को महानता के तौर पर पढ़ाते हैं। वे अपने बच्चों को हत्या, नरसंहार, धोखोबाजी के बारे में नहीं बताते। वे केवल इंग्लैंड व अंग्रेजों की महानता के किस्से बताते हैं। वहीं भारत में स्कूल से लेकर कालेज तक बच्चों में हीनता भरने के लिए जानबूझ ऐसे ही किस्से पढ़ाए जाते हैं जिनसे उनमें अपराधबोध व हीनता भरी रहे।
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