आर्टिफिशिएल इंटैलीजैंस कैसे समाज में कैसे हलचल फैलाएगी
आर्टिफिशिएल इंटैलीजैंस कैसे समाज में कैसे हलचल फैलाएगी
आर्टिफिशिएल इंटैलीजैंस यानि कृत्रिम बुद्धि विकसित व विकासशील देशों के समाजों में हलचल फैला सकती है। कहीं पर इसके प्रभाव बुरे हो सकते हैं तो कहीं पर अच्छे। अब जब टैस्ला की ड्राइवर के बिना चलने वाली गाड़ियां सड़कों पर दौड़ने लगीं हैं तो दुनियाभर के करोड़ों कार ड्राइवरों की नौकरी खतरे में पड़ जाएगी। नई नौकरियों के अवसर भी प्रदान होंगे लेकिन ये नौकरियां आर्टिफिशिएल इंटैलीजैंस के माहिर लोगों के लिए ही होंगी।
आर्टिफिशिएल इंटैलीजैंस में मशीन मानवीय फैसले लेती है। आपकी क्या विचारधारा है, आप क्या खाते हैं, आपको क्या पसंद है, आपका चेहरा, आपकी हर गतिविधी, आपकी उंगलियों के निशान आदि सारा कुछ एक मशीन में जमा हो जाता है। एक ऐसी मशीन जो कभी भूलती नहीं वह आपकी सारे जीवन का डाटा अपने पास रखती है। कभी आपने जाना है कि आपको हर चीज ई-मेल, फिंगर सैंसर, फेस सैंसर, इनफोरमेशन आदि फ्री में उपल्बध करवाने वाले सर्च ईंजन जैसे गूगल, याहू, माईक्रोसोफ्ट कैसे खरबों के मालिक हैं।
सोचिए की फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्विटर, गूगल पर किसी हद तक आश्रित हो चुके हैं। आप नेट पर कुछ भी सर्च करते हैं वह इनकी मशीन में जमा होता है और बस इसी से होता है खरबों की कमाई का काम। मान लो आप कोई नई कार खरीदने का मन बना रहे हो,गूगल पर सर्च करते ही आपके फेसबुक आदि सोशल मीडिया अकाऊंट्स में कारों के विज्ञापन चलने शुरु हो जाते हैं। फेसबुक, ट्विटर, इंस्ट्राग्राम पर कितने फालोवर्स हैं या लाइक्स हैं इससे प्रसिद्ध लोगों की प्रतिष्ठा जानी जाती है। एक नर्तकी को पार्टी टिकट सिर्फ इसलिए मिल जाता है क्योंकि की उसके सोशल मीडिया पर लाखों फालोवर्स हैं। हे ट्वीटर देवता, हे गूगल देवता हमें कृपया बैन न करना। हम आपकी शर्तों के अनुसार ही चलेंगे।
आर्टिफिशिएल इंटैलीजैंस किसी भी देश की भीड़ के दीमागों पर कब्जा करने में सक्षम है। वे जानती है कि आप किसी विचारधारा के हैं, आप किसी बात से परेशान हो जाते हैं और रिएक्ट करते हैं। लोग क्या चाहते हैं और उनकी क्या जरूरत है। कैसे उनपर शासन करना है।
जब एक पाकिस्तानी मंत्री ने ब्यान दिया था जिसमें उसने कहा कि हमने वैसे बम बनाएं हैं जो केवल काफिरों को मारेंगे और मोमिनों को कुछ नुक्सान नहीं पहुंचाएंगे तो सारे लोग उसपर हंसे थे। आर्टिफिशिएल इंटैलीजैंस के सैंसरों से ये जाना जा सकेगा कि कौन हमारा दोस्त है और कौन हमारा दुश्मन है।
चीन के पास अपने सारे नागरिकों का डाटा है और वह जानता है कि कौन उसकी सरकार के साथ है और कौन उसके खिलाफ। इसी के माध्यम से वह अपनी सरकार के खिलाफ लोगों को खत्म कर रहा है। आसमान से बम बरसाने वाले जैट विमान के सैंसर पता लगा लेंगे कि नीचे दुश्मनों की संख्या कितनी है और उसके पास उनके कितने अपने सिपाही हैं जिनको गोलियां व बमों से नुक्सान न हो।
भारत जैसे देश में आर्टिफिशिएल इंटैलीजैंस के बारे में कोई जागरूकता नहीं है और न ही इसके बारे में कोई संज्ञान लिया जा रहा है। यह एक समृद्द देश को पल भर में तबाह कर सकती है। जब चाहे कहीं भी सिविल वार करवा सकती हैं क्योंकि इसे पता है कि किस विषय पर लोग सड़कों पर उतर कर हिंसक हो सकते हैं। अराजक तत्व करोड़ों की संख्या में एकदम से एकत्र होकर किसी भी घटना को अंजाम दे सकते हैं और सरकार के पास इसे भेदने के लिए सारी सरकारी मिशीनरी नाकाम सिद्ध होगी।
आर्टिफिशिएल इंटैलीजैंस की मदद से चीन पाकिस्तान, अफ्रीका के देश, नेपाल में अपने जाल फैलाने में सफल हो रहा है। वह गरीब देशों को पैसा उधार देकर उनपर कब्जा कर रहा है। यह किसी भी देश के लोगों की मनोदशा को तुरंत भांप लेती है। दूसरे देशों के लोगों के मनों में क्या चल रहा है उसके आधार पर अपनी तैयारी कर लेती है।
आप गूगल का चश्मा लगाकर घर में बैठे फुटबाल खेल सकते हैं, अपने पसंदीदा स्टार के साथ घूम सकते हैं और अमेरिका व इंग्लैंग में जाकर गुडी-गुडी फील कर सकते हैं। वे कहेंगे कि आओ हम आपको ईश्वर के दर्शन करवा दें और आपको ऐसा लगेगा कि आप ईश्वर का अनुभव कर रहे हैं। कहने का मतलब है कि आपके दीमाग पर पूरी तरह से कब्जा। वे आपकी विचारधार को भी बदल सकते हैं।
आर्टिफिशिएल इंटैलीजैंस हर क्षेत्र में अपनी घुसपैठ करेगा। आपको कई लोग बताएंगे कि बहुत अच्छा अनुभव होता है, वैसे ही जैसे बच्चे सारा दिनरात पबजी गेम खेलते अनुभव करते हैं। आपको हर चीज मिलेगी इस वर्चुअल संसार में पत्नी भी,पति भी और बच्चे और पालतु जानवर भी मिल जाएंगे। अब आपको पूजा करने की भी कोई जरूरत नहीं होगी बस बटन दबाओ और आप पूजा करते हुए स्वयं को अनुभव करेंगे क्योंकि सारा काम दीमाग का है।
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