काम पीड़ित लोगों की विचित्र दुनिया
काम पीड़ित लोगों की विचित्र दुनिया
महाकवि तुलसी दास जी जब काम से पीड़ित हुए तो वे आधी रात को नंगे पांव तेज बारिश में भीगते हुए पत्नी के पास पहुंचे और सांप को ही रस्सी समझ लिया। पत्नी की प्रताड़ना के बाद काम का भूत उतरा तो महाकवि बन गए और भगवान को पा लिया। काम पीड़ित लोगों को हर जगह काम ही नजर आता है। एक कलाकार महिलाओं की नग्न पेंटिंग्स बनाता है और उसके सामने नग्न महिला पड़ी होती है उसे सिर्फ अपनी में ही मग्न रहता है उसे नग्न महिला उत्तेजित नहीं करती। एक मूर्तिकार सम्भोग कलाओं की मूर्तियां बनाता है वह अपनी कला को दिखाने के लिए वर्षों लगा देता है। कोई अमीर आदमी महंगे दाम देकर उनकी कला का आदर करता है और उनकी पेंटिंग्स व मूर्तियों को अपने घरों में जगह देता है। उसके जैसे कला के लाखों कद्रदानों को उसमें कुछ भी अश्लील नजर नहीं आता। वे उन कलाओं को देखकर भावुक हो जाते हैं और कलाकारों की मेहनत की प्रशंसा करते हैं।
अब वे लोग भी हैं जो दिमाग से बीमार हैं उन्हें कई चीजें अश्लील लगने लगती हैं। वे सात कपड़ों में ढकी महिलाओं को भी देखकर उत्तेजित हो जाते हैं। वे इतने गिर जाते हैं कि जानरवृति के भी शिकार हो जाते हैं। उन्हें केला,गाजर, मूली आदि भी लिंग ही नजर आता है। हर लम्बी चीज को लिंग से ही जोड़ते हैं। एक फैशन फोटोग्राफरअपनी कला को प्रदर्शित करने के लिए महिलाओं की तस्वीरें खींचता है लेकिन वह ऐसा करते समय बिल्कुल भी नर्वस नहीं होता और अपनी कला का बेहतरीन प्रदर्शन करता है। पश्चिम में बीच पर सारा परिवार बहन, भाई, माता-पिता व अन्य लोग बिकनी में कुदरत का आनंद उठाते हैं। कोई एक दूसरे को देखकर उत्तेजित व काम पीडि़त नहीं होता। काम पीडि़त लोग महिलाओं के अंगों को देखकर ठंडी आहें भरते हैं क्योंकि उनके दिमाग में ही
गंदगी होती है। सारी कायनात में सभी चीजें वैसे ही भरी पड़ी हैं बस एक नजरिया है इन चीजों को समझने का।
एक पेंटिंग या बुत को देख कोई उत्तेजित हो जाता है और कोई उसकी कला की प्रशंसा करता है। कोई उसे अश्लील मानता है और कोई उसे अपने घर करोड़ों का मूल्य देकर लगाता है। यदि कोई केले को लिंग के रूप में
देखता है तो इसमें केले का दोष नहीं इसमें उसे देखने वाले का दोष है।
महाकवि तुलसी दास जी जब काम से पीड़ित हुए तो वे आधी रात को नंगे पांव तेज बारिश में भीगते हुए पत्नी के पास पहुंचे और सांप को ही रस्सी समझ लिया। पत्नी की प्रताड़ना के बाद काम का भूत उतरा तो महाकवि बन गए और भगवान को पा लिया। काम पीड़ित लोगों को हर जगह काम ही नजर आता है। एक कलाकार महिलाओं की नग्न पेंटिंग्स बनाता है और उसके सामने नग्न महिला पड़ी होती है उसे सिर्फ अपनी में ही मग्न रहता है उसे नग्न महिला उत्तेजित नहीं करती। एक मूर्तिकार सम्भोग कलाओं की मूर्तियां बनाता है वह अपनी कला को दिखाने के लिए वर्षों लगा देता है। कोई अमीर आदमी महंगे दाम देकर उनकी कला का आदर करता है और उनकी पेंटिंग्स व मूर्तियों को अपने घरों में जगह देता है। उसके जैसे कला के लाखों कद्रदानों को उसमें कुछ भी अश्लील नजर नहीं आता। वे उन कलाओं को देखकर भावुक हो जाते हैं और कलाकारों की मेहनत की प्रशंसा करते हैं।
अब वे लोग भी हैं जो दिमाग से बीमार हैं उन्हें कई चीजें अश्लील लगने लगती हैं। वे सात कपड़ों में ढकी महिलाओं को भी देखकर उत्तेजित हो जाते हैं। वे इतने गिर जाते हैं कि जानरवृति के भी शिकार हो जाते हैं। उन्हें केला,गाजर, मूली आदि भी लिंग ही नजर आता है। हर लम्बी चीज को लिंग से ही जोड़ते हैं। एक फैशन फोटोग्राफरअपनी कला को प्रदर्शित करने के लिए महिलाओं की तस्वीरें खींचता है लेकिन वह ऐसा करते समय बिल्कुल भी नर्वस नहीं होता और अपनी कला का बेहतरीन प्रदर्शन करता है। पश्चिम में बीच पर सारा परिवार बहन, भाई, माता-पिता व अन्य लोग बिकनी में कुदरत का आनंद उठाते हैं। कोई एक दूसरे को देखकर उत्तेजित व काम पीडि़त नहीं होता। काम पीडि़त लोग महिलाओं के अंगों को देखकर ठंडी आहें भरते हैं क्योंकि उनके दिमाग में ही
गंदगी होती है। सारी कायनात में सभी चीजें वैसे ही भरी पड़ी हैं बस एक नजरिया है इन चीजों को समझने का।
एक पेंटिंग या बुत को देख कोई उत्तेजित हो जाता है और कोई उसकी कला की प्रशंसा करता है। कोई उसे अश्लील मानता है और कोई उसे अपने घर करोड़ों का मूल्य देकर लगाता है। यदि कोई केले को लिंग के रूप में
देखता है तो इसमें केले का दोष नहीं इसमें उसे देखने वाले का दोष है।
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