वतर्मान में स्वर्ण अभिभावकों व बच्चों को क्या करना चाहिए
वतर्मान में स्वर्ण अभिभावकों व बच्चों को क्या करना चाहिए
मेरे पास भांजी रोते हुए अाई अौर कहने लगी मामा जी इस देश में अब हमसे न्याय नहीं हो सकता। मैं यहां नहीं रहना चाहती। मैं विदेश कनाडा, अमेरिका या अास्ट्रेलिया जाकर ही सैटल होऊंगी। इस देश से तो मुझे प्यार है लेकिन इस देश की व्यवस्था से हमें अब न्याय की उम्मीद करना मुशिकल है। मैंने प्यार से सारी बात ध्यान से सुनी। उसने बताया कि वह खो-खो टीम की कप्तान है उसकी टीम में 3 स्वर्ण लड़कियां हैं बाकी सब एससी एसटी वर्ग से हैं। टीम के सभी खिलाड़ियों ने पूरा जोर लगाया,टीम जीत भी गई लेकिन एससी एसटी वर्ग की लड़कियों को 21-21 हजार रुपए सरकार की तरफ से ईनाम मिला लेकिन हम 3 लड़कियों को सिर्फ इसलिए ईनाम नहीं दिया गया क्योंकि हम स्वर्ण हैं। उसकी अांखों गुस्सा व अांसू देखकर मैं उससे नजर नहीं मिला सका। एेसा नहीं कि एेसा एक ही जगह पर होता है । हमारे लिए होस्टल का सलाना किराया एक लाख रुपए व उनके लिए फ्री, फीस एक लाख व उनको फ्री। एेसा अन्याय हर स्वर्ण बच्चे को झेलना पड़ता है।
एक अन्य उदाहरण है कि मेरा एक स्वर्ण दोस्त प्राइवेट नौकरी करता था। किसी कारण उसकी नौकरी छूट गई। बच्चा पोलिटैकि्नक कालेज में पढ़ता था। कालेज वालों ने पेपर से बैठाने से इंकार कर दिया क्योंकि वह 20 हजार रुपए नहीं भर पाया। बच्चे की कहीं से उधार लेकर चुकाई फिर कहीं जाकर बच्चे को पेपर में बैठने दिया गया। अार्थिक तौर पर कमजोर स्वर्णों के काबिल बच्चे तो अब उच्च शिक्षा से वंचित हो रहे हैं। अंधी सरकारें व नेता लोग अांखों पर पट्टी बांधकर सत्ता के सुख भोग रहे हैं। होनहार स्वर्ण बच्चों को अपना कोई भविष्य नहीं दिखाई देता। अब ये बच्चे किसी भी तरह विदेशों में सैटल होना चाहते हैं। यह कहानी लगभग सभी बच्चों की है थोड़ा बहुत बदलाव हो सकता है। अब भारत में एेसी स्थिति अा गई है कि देश के किसी भी हिस्से में हिन्दू अपने अाप के सुरक्षित नहीं समझते।
अापको याद होगा कि वीपी सिंह की सरकार के समय हमारे सैंकड़ों बच्चों ने अात्मदाह जैसा गलत कदम उठाया था। हताशा में एेसा कदम उन्हें भविष्य में कभी भी नहीं उठाना चाहिए। अापमें दिमाग है,काबलियत है तो अाप सरकारों को धमका सकते हैं। अाप युवा हैं सरकारी नौकरियां ही सबकुछ नहीं हैं अाप में काबलियत है तो अापकी कद्र होगी। अाप एकता रखें, विश्वास रखें,दृढता से ही सारे काम सफल होते हैं। अभिभावकों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने बच्चों पर सरकारी नौकरी का दबाव न डालें कोशिश करें मिल जाए तो ठीक नहीं तो किसी अन्य काम में अपना ध्यान लगाएं। ध्यान रहे रिक्शा चला लेना, कुलचे बेच लेना, पंक्चर लगा लेना, मजदूरी कर लेना लेकिन अात्मदाह जैसा कदम न उठाना। अापकी जीत तभी है जब तक अाप मैदाने जंग में डटे हो।
अापकी विद्या अापसे कोई छीन नहीं सकता इसे दूसरों में बांटों अपने साथ खड़ा करो अौर एकसाथ चलो। अपना हक लेने के लिए हमें हथियार भी उठाना पड़े तो हमें गुरेज नहीं करना लेकिन हार नहीं माननी। दुनिया में सरकारी नौकरियां सबकुछ नहीं हैं। दुनिया बहुत बड़ी है। राजनीति में पूरी रुचि रखें अौर अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर अाने से गुरेज न करें। अपनी एकता दिखाकर सरकारों को झुकने के लिए मजबर कर दें। याद रहे कि अाप लोकतंत्र में रहते हैं, ये सरकारें अाप ही बनाते हैं अौर अाप ही गिराते हैं। सशक्त नेता जो संसद में अापका पक्ष रख सकें उन्हें चुने अौर संसद में भेजें। जो अापका पक्ष नहीं रखते उन्हें लात मारकर बाहर कर दें। अाप में ताकत है अाप अपनी ताकक को पहचाने। अाप इस देश को अपनी जान से ज्यादा प्यार करते हैं। जय हिंद।
मेरे पास भांजी रोते हुए अाई अौर कहने लगी मामा जी इस देश में अब हमसे न्याय नहीं हो सकता। मैं यहां नहीं रहना चाहती। मैं विदेश कनाडा, अमेरिका या अास्ट्रेलिया जाकर ही सैटल होऊंगी। इस देश से तो मुझे प्यार है लेकिन इस देश की व्यवस्था से हमें अब न्याय की उम्मीद करना मुशिकल है। मैंने प्यार से सारी बात ध्यान से सुनी। उसने बताया कि वह खो-खो टीम की कप्तान है उसकी टीम में 3 स्वर्ण लड़कियां हैं बाकी सब एससी एसटी वर्ग से हैं। टीम के सभी खिलाड़ियों ने पूरा जोर लगाया,टीम जीत भी गई लेकिन एससी एसटी वर्ग की लड़कियों को 21-21 हजार रुपए सरकार की तरफ से ईनाम मिला लेकिन हम 3 लड़कियों को सिर्फ इसलिए ईनाम नहीं दिया गया क्योंकि हम स्वर्ण हैं। उसकी अांखों गुस्सा व अांसू देखकर मैं उससे नजर नहीं मिला सका। एेसा नहीं कि एेसा एक ही जगह पर होता है । हमारे लिए होस्टल का सलाना किराया एक लाख रुपए व उनके लिए फ्री, फीस एक लाख व उनको फ्री। एेसा अन्याय हर स्वर्ण बच्चे को झेलना पड़ता है।
एक अन्य उदाहरण है कि मेरा एक स्वर्ण दोस्त प्राइवेट नौकरी करता था। किसी कारण उसकी नौकरी छूट गई। बच्चा पोलिटैकि्नक कालेज में पढ़ता था। कालेज वालों ने पेपर से बैठाने से इंकार कर दिया क्योंकि वह 20 हजार रुपए नहीं भर पाया। बच्चे की कहीं से उधार लेकर चुकाई फिर कहीं जाकर बच्चे को पेपर में बैठने दिया गया। अार्थिक तौर पर कमजोर स्वर्णों के काबिल बच्चे तो अब उच्च शिक्षा से वंचित हो रहे हैं। अंधी सरकारें व नेता लोग अांखों पर पट्टी बांधकर सत्ता के सुख भोग रहे हैं। होनहार स्वर्ण बच्चों को अपना कोई भविष्य नहीं दिखाई देता। अब ये बच्चे किसी भी तरह विदेशों में सैटल होना चाहते हैं। यह कहानी लगभग सभी बच्चों की है थोड़ा बहुत बदलाव हो सकता है। अब भारत में एेसी स्थिति अा गई है कि देश के किसी भी हिस्से में हिन्दू अपने अाप के सुरक्षित नहीं समझते।
अापको याद होगा कि वीपी सिंह की सरकार के समय हमारे सैंकड़ों बच्चों ने अात्मदाह जैसा गलत कदम उठाया था। हताशा में एेसा कदम उन्हें भविष्य में कभी भी नहीं उठाना चाहिए। अापमें दिमाग है,काबलियत है तो अाप सरकारों को धमका सकते हैं। अाप युवा हैं सरकारी नौकरियां ही सबकुछ नहीं हैं अाप में काबलियत है तो अापकी कद्र होगी। अाप एकता रखें, विश्वास रखें,दृढता से ही सारे काम सफल होते हैं। अभिभावकों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने बच्चों पर सरकारी नौकरी का दबाव न डालें कोशिश करें मिल जाए तो ठीक नहीं तो किसी अन्य काम में अपना ध्यान लगाएं। ध्यान रहे रिक्शा चला लेना, कुलचे बेच लेना, पंक्चर लगा लेना, मजदूरी कर लेना लेकिन अात्मदाह जैसा कदम न उठाना। अापकी जीत तभी है जब तक अाप मैदाने जंग में डटे हो।
अापकी विद्या अापसे कोई छीन नहीं सकता इसे दूसरों में बांटों अपने साथ खड़ा करो अौर एकसाथ चलो। अपना हक लेने के लिए हमें हथियार भी उठाना पड़े तो हमें गुरेज नहीं करना लेकिन हार नहीं माननी। दुनिया में सरकारी नौकरियां सबकुछ नहीं हैं। दुनिया बहुत बड़ी है। राजनीति में पूरी रुचि रखें अौर अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर अाने से गुरेज न करें। अपनी एकता दिखाकर सरकारों को झुकने के लिए मजबर कर दें। याद रहे कि अाप लोकतंत्र में रहते हैं, ये सरकारें अाप ही बनाते हैं अौर अाप ही गिराते हैं। सशक्त नेता जो संसद में अापका पक्ष रख सकें उन्हें चुने अौर संसद में भेजें। जो अापका पक्ष नहीं रखते उन्हें लात मारकर बाहर कर दें। अाप में ताकत है अाप अपनी ताकक को पहचाने। अाप इस देश को अपनी जान से ज्यादा प्यार करते हैं। जय हिंद।
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