pitru paksh sharadh | sharadh 2021
pitru paksh sharadh | sharadh 2021
श्रद्धा इति श्राद्ध अर्थात श्रद्धा ही श्राद्ध हैं। आपके में अपने पूर्वजों जनका रक्त आपकी भुजाओं में दौड़ता है, जिनकी बदौलत आप इस धरा में आए, वे आपके प्रथम ईष्ट हैं। मातृ-पितृ चरण कमलेभ्यों नमो नम । जानवर पैदा होता है खाता है,पीता है,सम्भोग करता है और मर जाता है। ऐसा ही मानव भी करता है तो मानव में क्या खास बात है। खास बात है कि वह अपनी जड़ों को पहचानता है या पहचानने का प्रयास करता है। जब भी वह किसी भी पूजा में बैठता है तो अपने पूर्वजों को याद करता है।
श्रद्धा इति श्राद्ध अर्थात श्रद्धा ही श्राद्ध हैं। आपके में अपने पूर्वजों जनका रक्त आपकी भुजाओं में दौड़ता है, जिनकी बदौलत आप इस धरा में आए, वे आपके प्रथम ईष्ट हैं। मातृ-पितृ चरण कमलेभ्यों नमो नम । जानवर पैदा होता है खाता है,पीता है,सम्भोग करता है और मर जाता है। ऐसा ही मानव भी करता है तो मानव में क्या खास बात है। खास बात है कि वह अपनी जड़ों को पहचानता है या पहचानने का प्रयास करता है। जब भी वह किसी भी पूजा में बैठता है तो अपने पूर्वजों को याद करता है।
जिस तरह से हम त्यौहार मनाते हैं, मेलों में जाते हैं, बच्चों का जन्म दिन मनाते हैं, शादी की व्र्र्षगांठ मनाते हैं, इसी तरह से हम अपने पित्तरों को याद करते हैं और उनके लिए श्रद्धा से श्राद्ध करते हैं। यदि श्रद्धा टूट गई हो तो श्राद्ध नहीं करना चाहिए। हर सनातनी हिन्दू को श्राद्ध जरूर करना चाहिए। इंसान में कमियां हैं और कोई भी इंसान पूर्ण नहीं है। कमियों व गलतियों के लिए पश्चाताप भी सब कुछ धो डालता है।
उसकी पूजा में पूर्वजों का विशेष योगदान होता है और वही उसकी पूजा को फलिभूत भी करते हैं। हिन्दुओं में श्राद्ध का बहुत ही महत्व है। पितृ पक्ष के श्राद्ध शुरु हो चुके हैं। वैसे तो आपको श्राद्ध पूरे विधी विधान से करने चाहिएं फिर भी यदि आपके पास समय की कमी हो तो कम से कम किसी पशु, कुत्ते, गाय, कौए, पक्षी या किसी भूखे आदि को थोड़ा भोजन करवा सकते हैं। ऐसा करने से पितृ की आत्मा को शांति पहुंचती है और वे सफल होने का आशीर्वाद देते हैं। इनकी 2020 - 2021 तिथियों के बारे में हम आपको जानकारी दे रहे हैं।
श्राद्ध की तिथियां 2020
Shraddha Dates 2020
1 September 2020 (Tuesday) Purnima Shraddha
2 September (Wednesday) Pratipada Shraddha
3 September (Thursday) Dwitiya Shraddha
5 September (Saturday) Tritiya Shraddha
6 September (Sunday) Chaturthi Shraddha
7 September (Monday) Maha Bharani, Panchami
8 September (Tuesday) Shashthi Shraddha
9 September (Wednesday) Saptami Shraddha
10 September (Thursday) Ashtami Shraddha
11 September (Friday) Navami Shraddha
12 September (Saturday) Dashami Shraddha
13 September (Sunday) Ekadashi Shraddha
14 September (Monday) Dwadashi Shraddha
15 September (Tuesday) Magha Shraddha, Trayodashi Shraddha
16 September (Wednesday) Chaturdashi Shraddha
17 September (Thursday) Sarva Pitru Amavasya
श्राद्ध की तिथियां 2021
Shraddha Dates 2021
Shraddha Dates 2021
- पूर्णिमा श्राद्ध 20 सितंबर 2021 दिन सोमवार
- प्रतिपदा श्राद्ध 21 सितंबर 2021 दिन मंगलवार
- द्वितीया श्राद्ध 22 सितंबर दिन बुधवार
- तृतीया श्राद्ध 23 सितंबर दिन गुरुवार
- चतुर्थी श्राद्ध 24 सितंबर दिन शुक्रवार
- पंचमी श्राद्ध 25 सितंबर दिन शनिवार
- षष्ठी श्राद्ध 27 सितंबर दिन रविवार
- सप्तमी श्राद्ध 28 सितंबर दिन सोमवार
- अष्टमी श्राद्ध 29 सितंबर दिन मंगलवार
- नवमी श्राद्ध 30 सितंबर दिन बुधवार
- दसवीं श्राद्ध 1 अक्तूबर दिन गुरुवार
- एकादशी श्राद्ध 2 अक्तूबर दिन शुक्रवार
- द्वादशी श्राद्ध 3 अक्तूबर दिन शनिवार
- त्रयोदशी श्राद्ध 4 अक्तूबर दिन रविवार
- चतुर्दशी श्राद्ध 5 अक्तूबर दिन सोमवार
- पितृ अमावस्या श्राद्ध 6 अक्तूबर दिन मंगलवार
*अक्सर दिवंगत परिजन की मृत्यु की तिथि में ही श्राद्ध किया जाता है। अगर परिजन की मृत्यु प्रतिपदा के दिन हुई है तो प्रतिपदा के दिन ही श्राद्ध करना चाहिए। आमतौर पर पितृ पक्ष में इस तरह श्राद्ध की तिथि का चयन किया जाता है।
*अकाल मृत्यु या किसी दुर्घटना या आत्महत्या का मामला हो तो श्राद्ध चतुर्दशी के दिन किया जाता है।
*स्व. पिता का श्राद्ध अष्टमी के दिन और मां का श्राद्ध नवमी के दिन किया जाता है।
*पितरों के मरने की तिथि याद न हो या पता न हो तो अमावस्या के दिन श्राद्ध करना चाहिए।
* सुहागिन नारि मृत्यु को प्राप्त हुई हो तो उसका श्राद्ध नवमी को करना चाहिए।
*संन्यासी का श्राद्ध द्वादशी को किया जाता है।pitru paksh sharadh | sharadh 2021
जानिए क्या हैं श्राद्ध के नियम
*पितृपक्ष में हर दिन तर्पण करना चाहिए। पानी में दूध, जौ, चावल और गंगाजल डालकर तर्पण किया जाता है।
पिंड दान करना चाहिए, श्राद्ध कर्म में पके हुए चावल, दूध और तिल को मिलकर पिंड बनाए जाते हैं। पिंड को शरीर का प्रतीक माना जाता है।
इस दौरान कोई भी शुभ कार्य, विशेष पूजा-पाठ और अनुष्ठान नहीं करना चाहिए। लेकिन देवताओं की नित्य पूजा को बंद नहीं करना चाहिए।
श्राद्ध के दौरान पान खाने, तेल लगाने और संभोग की मनाही है।
इस दौरान रंगीन फूलों का इस्तेमाल भी पूरी तरह से वर्जित है।
पितृ पक्ष में चना, मसूर, बैंगन, हींग, मांस, लहसुन, प्याज और काला नमक भी नहीं खाया जाता है। कई लोग नए वस्त्र, नया भवन, गहने या अन्य कीमती सामान नहीं खरीदते हैं।
श्राद्ध कैसे करें?
शास्त्रों में पांच तरह की बलि बताई गई हैं। गौ (गाय) बलि, श्वान (कुत्ता) बलि, काक (कौवा) बलि, देवादि बलि, पिपीलिका (चींटी) बलि। यहां पर बलि का मतलब किसी पशु या जीव की हत्या से नहीं बल्कि श्राद्ध के दौरान इन सभी को खाना खिलाया जाता है। तर्पण और पिंड दान करने के बाद पुरोहित या ब्राह्मण को भोजन कराएं और दक्षिणा दें। ब्राह्मण को सीधा या सीदा भी दिया जाता है। सीधा में चावल, दाल, चीनी, नमक, मसाले, कच्ची सब्जियां, तेल और मौसमी फल शामिल हैं। ब्राह्मण भोज के बाद पितरों को धन्यवाद दें और जाने-अनजाने हुई भूल के लिए माफी मांगे। इसके बाद अपने पूरे परिवार के साथ बैठकर भोजन करें।
श्राद्ध की तिथि का चुनाव ऊपर दी गई जानकारी के अनुसार करें।
श्राद्ध करने के लिए आप किसी पुरोहित को बुला सकते हैं।
श्राद्ध के दिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार अच्छा खाना बनाएं।
खासतौर से आप जिस व्यक्ति का श्राद्ध कर रहे हैं उसकी पसंद के मुताबिक खाना बनाएं।
खाने में लहसुन-प्याज का इस्तेमाल न करें।
मान्यता है कि श्राद्ध के दिन स्मरण करने से पितर घर आते हैं और भोजन पाकर तृप्त हो जाते हैं।
इस दौरान पंचबलि भी दी जाती है।
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