जेल से छुड़वाने व रोगों से मुक्ति के लिए है- श्री मयूर-स्त्रोत्रम्
जेल से छुड़वाने व रोगों से मुक्ति के लिए है- श्री मयूर-स्त्रोत्रम्
आपके प्रियजन पर कष्ट आ गया है किसी कारण से किसी ऐसे केस में फंस गए हैं कि उन्हें जेल हो गई है। कोई आशा की किरण नजर नहीं आती कि कैसे उन्हें जेल से बाहर निकाला जाए। इस परेशानी से उपाय के लिए है- श्री मयूर-स्त्रोत्रम् । इस अचूक मंत्र का विधीपूर्वक जाप करने से जेल से छुटकारा मिल जाता है। भयंकर कष्ट का निवारण हो जाता है। स्वयं ब्रह्मा जी ने इसका उपाय बताते कहा है कि यह मंत्र अचूक है औक तुरंत असर देता है।
पविघ्न विनाशक, लम्बोदर, गणपति आदि नामों से जाने जाते भगवान गणेश सब देवताओं से पहले पूजे जाते हैं। किसी भी कार्य को करने से पहले भगवान गणपति जी का ध्यान किया जाता है। सफलता के लिए गणपति जी का स्मरण किया जाता है।
जेल से छुटकारा पाने, सुख-शांति, समृद्धि, प्रगति, चिंता व रोग निवारण के लिए गणेशजी का मयूरेश स्तोत्र असरकारी माना गया है। देवराज इंद्र ने भी इसी मयुरेश स्तोत्र से गणेशजी को प्रसन्न कर विघ्नों पर विजय प्राप्त की थी।
पूजा की विधि :
* स्वयं शुद्ध होकर साफ कपड़े पहने।
* यदि पूजा में लाल वस्त्र एवं लाल चंदन का प्रयोग करें।
* पूजा संतान की प्रगति के लिए हो तो सफेद या पीले वस्त्र धारण करें। सफेद चंदन का प्रयोग करें।
* पूर्व की तरफ मुंह कर आसन पर बैठें।
* ॐ गं गणपतये नम: के साथ गणेशजी की मूर्ति स्थापित करें।
* निम्न मंत्र द्वारा गणेशजी का ध्यान करें।
'खर्वं स्थूलतनुं गजेंन्द्रवदनं लंबोदरं सुंदरं
प्रस्यन्दन्मधुगंधलुब्धमधुपव्यालोलगण्डस्थलम्
दंताघात विदारितारिरूधिरै: सिंदूर शोभाकरं
वंदे शैलसुतासुतं गणपतिं सिद्धिप्रदं कामदम।'
गणपति वंदना-
'सुमुखश्चैकदंतश्च कपिलो गजकर्णक:
लंबोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायक :
धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचंद्रो गजानन:
द्वादशैतानि नामानि य: पठेच्छृणयादपि
विद्यारंभे विवाहे च प्रवेशे निर्गमें तथा संग्रामेसंकटेश्चैव विघ्नस्तस्य न जायते'
गणेश आराधना के लिए 16 उपचार माने गए हैं।
1. आवाहन 2. आसन 3. पाद्य (भगवान का स्नान किया हुआ जल) 4. अर्घ्य 5. आचमनीय 6. स्नान 7. वस्त्र 8. यज्ञोपवित 9 . गंध 10. पुष्प (दुर्वा) 11. धूप 12. दीप 13. नेवैद्य 14. तांबूल (पान) 15. प्रदक्षिणा 16. पुष्पांजलि
आगे पढ़ें मयूरेश स्त्रोतम्...
मयूरेश स्त्रोतम् ब्रह्ममोवाच
'पुराण पुरुषं देवं नाना क्रीड़ाकरं मुदाम।
मायाविनं दुर्विभाव्यं मयूरेशं नमाम्यहम् ।।
परात्परं चिदानंद निर्विकारं ह्रदि स्थितम् ।
गुणातीतं गुणमयं मयूरेशं नमाम्यहम्।।
सृजन्तं पालयन्तं च संहरन्तं निजेच्छया।
सर्वविघ्नहरं देवं मयूरेशं नमाम्यहम्।।
नानादैव्या निहन्तारं नानारूपाणि विभ्रतम।
नानायुधधरं भवत्वा मयूरेशं नमाम्यहम्।।
सर्वशक्तिमयं देवं सर्वरूपधरे विभुम्।
सर्वविद्याप्रवक्तारं मयूरेशं नमाम्यहम्।।
पार्वतीनंदनं शम्भोरानन्दपरिवर्धनम्।
भक्तानन्दाकरं नित्यं मयूरेशं नमाम्यहम्।
मुनिध्येयं मुनिनुतं मुनिकामप्रपूरकम।
समष्टिव्यष्टि रूपं त्वां मयूरेशं नमाम्यहम्।।
सर्वज्ञाननिहन्तारं सर्वज्ञानकरं शुचिम्।
सत्यज्ञानमयं सत्यं मयूरेशं नमाम्यहम्।।
अनेककोटिब्रह्मांण्ड नायकं जगदीश्वरम्।
अनंत विभवं विष्णुं मयूरेशं नमाम्यहम्।।
मयूरेश उवाच-
इदं ब्रह्मकरं स्तोत्रं सर्व पापप्रनाशनम्।
सर्वकामप्रदं नृणां सर्वोपद्रवनाशनम्।।
कारागृह गतानां च मोचनं दिनसप्तकात्।
आधिव्याधिहरं चैव मुक्तिमुक्तिप्रदं शुभम्।।
1. ब्रह्मा जी बोले- जो पुराणपुरुष हैं और खुश रहते हुए नाना प्रकार की क्रीड़ाएँ करते हैं, जो माया के स्वामी है और जिनका स्वरूप दुर्विभाव्य है, उन मयूरेश गणेश जी को मैं प्रणाम करता हूं।
2 जो परात्पर, चिदानन्दमय, निर्विकार, सबके हृदयमें अन्तर्यामीरुपसे स्थित, गुणातीत एवं गुणमय हैं, उन मयूरेश गणेशको मैं प्रणाम करता हूँ ।
3 जो स्वेच्छासे ही संसारकी सृष्टि, पालन, और संहार करते हैं, उन सर्वविघ्नहारी देवता मयूरेश गणेशको मैं प्रणाम करता हूँ ।
4 जो अनेकानेक दैत्योंके प्राणनाशक हैं, और नानाप्रकारके रुप धारण करते हैं, उन नाना अस्त्र-शस्त्रधारी मयूरेश गणेशको मैं भक्तिभावसे प्रणाम करता हूँ ।
5 इन्द्र आदि देवताओंका समुदाय दिन-रात जिनका स्तवन करता है तथा जो सत्, असत् व्यक्त और अव्यक्तरुप हैं, उन मयूरेश गणेशको मैं प्रणाम करता हूँ ।
6 जो सर्वशक्तिमय, सर्वरुपधारी और सम्पूर्ण विद्याओंके प्रवक्ता हैं, उन मयूरेश गणेशको मैं प्रणाम करता हूँ ।
7 जो पार्वतीजीको पुत्ररुपसे आनन्द प्रदान करते है और भगवान् शंकरका भी आनन्द बढाते हैं, उन भक्तानन्दवर्धन मयूरेश गणेशको मैं प्रणाम करता हूँ ।
8 मुनि जिनका ध्यान करते हैं, मुनि जिनके गुण गाते हैं तथा जो मुनियोंकी कामना पूर्ण करते हैं, उन समष्टि-व्यष्टिरुप मयूरेश गणेशको मैं प्रणाम करता हूँ ।
9 जो समस्त वस्तुविषयक अज्ञानके निवारक, सम्पूर्ण ज्ञानके उद्भावक, पवित्र, सत्य ज्ञानस्वरुप तथा सत्यनामधारी हैं, उन मयूरेश गणेशको मैं प्रणाम करता हूँ ।
10 जो अनेक कोटि ब्रह्माण्डके नायक, जगदीश्र्वर, अनन्त वैभव-सम्पन्न तथा सर्वव्यापी विष्णुरुप हैं, उन मयूरेश गणेशको मैं प्रणाम करता हूँ ।
मयूरेश बोले---
11 यह स्तोत्र ब्रह्मभावकी प्राप्ति करानेवाला और समस्त पापोंका नाशक है । मनुष्योंको सम्पूर्ण मनोवाञ्छित वस्तु देनेवाला तथा सारे उपद्रवोंका शमन करनेवाला है । सात दिन इसका पाठ किया जाय तो कारागारमें पडे हुए मनुष्योंको भी छुडा लाता है । यह शुभ स्तोत्र आधि (मानसिक) तथा व्याधि (शरीरगत दोष) को भी हर लेता है और भोग एवं मोक्ष प्रदान करता है । (गीता प्रैस गोरखपुर से साभार)
गणपति पूजा के लिए सावधानियां
* देवता को पवित्र फूल ही चढ़ाया जाना चाहिए।
* जो फूल बासी हो, अधखिला हो, कीड़ेयुक्त हो वह गणेशजी को कतई न चढ़ाएं।
* गणेशजी को तुलसी दल नहीं चढ़ाया जाता।
* दुर्वा से गणेश जी पर जल चढ़ाना निषेध है।
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आपके प्रियजन पर कष्ट आ गया है किसी कारण से किसी ऐसे केस में फंस गए हैं कि उन्हें जेल हो गई है। कोई आशा की किरण नजर नहीं आती कि कैसे उन्हें जेल से बाहर निकाला जाए। इस परेशानी से उपाय के लिए है- श्री मयूर-स्त्रोत्रम् । इस अचूक मंत्र का विधीपूर्वक जाप करने से जेल से छुटकारा मिल जाता है। भयंकर कष्ट का निवारण हो जाता है। स्वयं ब्रह्मा जी ने इसका उपाय बताते कहा है कि यह मंत्र अचूक है औक तुरंत असर देता है।
पविघ्न विनाशक, लम्बोदर, गणपति आदि नामों से जाने जाते भगवान गणेश सब देवताओं से पहले पूजे जाते हैं। किसी भी कार्य को करने से पहले भगवान गणपति जी का ध्यान किया जाता है। सफलता के लिए गणपति जी का स्मरण किया जाता है।
जेल से छुटकारा पाने, सुख-शांति, समृद्धि, प्रगति, चिंता व रोग निवारण के लिए गणेशजी का मयूरेश स्तोत्र असरकारी माना गया है। देवराज इंद्र ने भी इसी मयुरेश स्तोत्र से गणेशजी को प्रसन्न कर विघ्नों पर विजय प्राप्त की थी।
पूजा की विधि :
* स्वयं शुद्ध होकर साफ कपड़े पहने।
* यदि पूजा में लाल वस्त्र एवं लाल चंदन का प्रयोग करें।
* पूजा संतान की प्रगति के लिए हो तो सफेद या पीले वस्त्र धारण करें। सफेद चंदन का प्रयोग करें।
* पूर्व की तरफ मुंह कर आसन पर बैठें।
* ॐ गं गणपतये नम: के साथ गणेशजी की मूर्ति स्थापित करें।
* निम्न मंत्र द्वारा गणेशजी का ध्यान करें।
'खर्वं स्थूलतनुं गजेंन्द्रवदनं लंबोदरं सुंदरं
प्रस्यन्दन्मधुगंधलुब्धमधुपव्यालोलगण्डस्थलम्
दंताघात विदारितारिरूधिरै: सिंदूर शोभाकरं
वंदे शैलसुतासुतं गणपतिं सिद्धिप्रदं कामदम।'
गणपति वंदना-
'सुमुखश्चैकदंतश्च कपिलो गजकर्णक:
लंबोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायक :
धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचंद्रो गजानन:
द्वादशैतानि नामानि य: पठेच्छृणयादपि
विद्यारंभे विवाहे च प्रवेशे निर्गमें तथा संग्रामेसंकटेश्चैव विघ्नस्तस्य न जायते'
गणेश आराधना के लिए 16 उपचार माने गए हैं।
1. आवाहन 2. आसन 3. पाद्य (भगवान का स्नान किया हुआ जल) 4. अर्घ्य 5. आचमनीय 6. स्नान 7. वस्त्र 8. यज्ञोपवित 9 . गंध 10. पुष्प (दुर्वा) 11. धूप 12. दीप 13. नेवैद्य 14. तांबूल (पान) 15. प्रदक्षिणा 16. पुष्पांजलि
आगे पढ़ें मयूरेश स्त्रोतम्...
मयूरेश स्त्रोतम् ब्रह्ममोवाच
'पुराण पुरुषं देवं नाना क्रीड़ाकरं मुदाम।
मायाविनं दुर्विभाव्यं मयूरेशं नमाम्यहम् ।।
परात्परं चिदानंद निर्विकारं ह्रदि स्थितम् ।
गुणातीतं गुणमयं मयूरेशं नमाम्यहम्।।
सृजन्तं पालयन्तं च संहरन्तं निजेच्छया।
सर्वविघ्नहरं देवं मयूरेशं नमाम्यहम्।।
नानादैव्या निहन्तारं नानारूपाणि विभ्रतम।
नानायुधधरं भवत्वा मयूरेशं नमाम्यहम्।।
सर्वशक्तिमयं देवं सर्वरूपधरे विभुम्।
सर्वविद्याप्रवक्तारं मयूरेशं नमाम्यहम्।।
पार्वतीनंदनं शम्भोरानन्दपरिवर्धनम्।
भक्तानन्दाकरं नित्यं मयूरेशं नमाम्यहम्।
मुनिध्येयं मुनिनुतं मुनिकामप्रपूरकम।
समष्टिव्यष्टि रूपं त्वां मयूरेशं नमाम्यहम्।।
सर्वज्ञाननिहन्तारं सर्वज्ञानकरं शुचिम्।
सत्यज्ञानमयं सत्यं मयूरेशं नमाम्यहम्।।
अनेककोटिब्रह्मांण्ड नायकं जगदीश्वरम्।
अनंत विभवं विष्णुं मयूरेशं नमाम्यहम्।।
मयूरेश उवाच-
इदं ब्रह्मकरं स्तोत्रं सर्व पापप्रनाशनम्।
सर्वकामप्रदं नृणां सर्वोपद्रवनाशनम्।।
कारागृह गतानां च मोचनं दिनसप्तकात्।
आधिव्याधिहरं चैव मुक्तिमुक्तिप्रदं शुभम्।।
1. ब्रह्मा जी बोले- जो पुराणपुरुष हैं और खुश रहते हुए नाना प्रकार की क्रीड़ाएँ करते हैं, जो माया के स्वामी है और जिनका स्वरूप दुर्विभाव्य है, उन मयूरेश गणेश जी को मैं प्रणाम करता हूं।
2 जो परात्पर, चिदानन्दमय, निर्विकार, सबके हृदयमें अन्तर्यामीरुपसे स्थित, गुणातीत एवं गुणमय हैं, उन मयूरेश गणेशको मैं प्रणाम करता हूँ ।
3 जो स्वेच्छासे ही संसारकी सृष्टि, पालन, और संहार करते हैं, उन सर्वविघ्नहारी देवता मयूरेश गणेशको मैं प्रणाम करता हूँ ।
4 जो अनेकानेक दैत्योंके प्राणनाशक हैं, और नानाप्रकारके रुप धारण करते हैं, उन नाना अस्त्र-शस्त्रधारी मयूरेश गणेशको मैं भक्तिभावसे प्रणाम करता हूँ ।
5 इन्द्र आदि देवताओंका समुदाय दिन-रात जिनका स्तवन करता है तथा जो सत्, असत् व्यक्त और अव्यक्तरुप हैं, उन मयूरेश गणेशको मैं प्रणाम करता हूँ ।
6 जो सर्वशक्तिमय, सर्वरुपधारी और सम्पूर्ण विद्याओंके प्रवक्ता हैं, उन मयूरेश गणेशको मैं प्रणाम करता हूँ ।
7 जो पार्वतीजीको पुत्ररुपसे आनन्द प्रदान करते है और भगवान् शंकरका भी आनन्द बढाते हैं, उन भक्तानन्दवर्धन मयूरेश गणेशको मैं प्रणाम करता हूँ ।
8 मुनि जिनका ध्यान करते हैं, मुनि जिनके गुण गाते हैं तथा जो मुनियोंकी कामना पूर्ण करते हैं, उन समष्टि-व्यष्टिरुप मयूरेश गणेशको मैं प्रणाम करता हूँ ।
9 जो समस्त वस्तुविषयक अज्ञानके निवारक, सम्पूर्ण ज्ञानके उद्भावक, पवित्र, सत्य ज्ञानस्वरुप तथा सत्यनामधारी हैं, उन मयूरेश गणेशको मैं प्रणाम करता हूँ ।
10 जो अनेक कोटि ब्रह्माण्डके नायक, जगदीश्र्वर, अनन्त वैभव-सम्पन्न तथा सर्वव्यापी विष्णुरुप हैं, उन मयूरेश गणेशको मैं प्रणाम करता हूँ ।
मयूरेश बोले---
11 यह स्तोत्र ब्रह्मभावकी प्राप्ति करानेवाला और समस्त पापोंका नाशक है । मनुष्योंको सम्पूर्ण मनोवाञ्छित वस्तु देनेवाला तथा सारे उपद्रवोंका शमन करनेवाला है । सात दिन इसका पाठ किया जाय तो कारागारमें पडे हुए मनुष्योंको भी छुडा लाता है । यह शुभ स्तोत्र आधि (मानसिक) तथा व्याधि (शरीरगत दोष) को भी हर लेता है और भोग एवं मोक्ष प्रदान करता है । (गीता प्रैस गोरखपुर से साभार)
गणपति पूजा के लिए सावधानियां
* देवता को पवित्र फूल ही चढ़ाया जाना चाहिए।
* जो फूल बासी हो, अधखिला हो, कीड़ेयुक्त हो वह गणेशजी को कतई न चढ़ाएं।
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