गूढ़ रहस्यों को उजागर करता है महाभारत
गूढ़ रहस्यों को उजागर करता है महाभारत
केवल एक घटना ही नहीं पूरा महाभारत ही गूढ़ रहस्यों को उजागर करता है जो राजनीति, कूूटराजनीति व युद्ध कला का वर्णन करता है। आतताइयों का विनाश कैसे करना है, अर्धम को कैसे पराजित करना है आदि के बारे में विस्तार से बताया गया है। अधर्म को कभी कमजोर न समझो। घटनाओं के माध्यम से गूढ़ रहस्यों का वर्णन किया गया है।
सूत्रधार कथाओं को ऐसे सामने रखता है कि सदियों तक पाठक कभी बोर नहीं होता। महाभारत कभी खत्म नहीं होता यह हर युग हर समय चलता रहता है। आततायी भी रहते हैं और अर्धम भी इनको खत्म करना ही महाभारत है। वामपंथियों ने चालाकी से हिन्दुओं के घरों से महाभारत को निकलवा दिया, यह अफवाह फैलाकर कि महाभारत को घर में नहीं रखना चाहिए इससे नुक्सान होता है। यदि महाभारत हरेक के घर में होता तो भारत कभी भी गुलाम न होता।
क्या धार्मिक लोग भी सत्य के मार्ग से भटक जाते हैं- उत्तर हां, एक बार आप पर धार्मिक, सदपुरुष होने का ठप्पा लग जाता है तो आप कभी गलती नहीं कर सकते, यह कहना गलत है लेकिन गलती करने पर उसको भोगना व फिर से खड़ा होना है। पांडव सदपुरुष हैं, कभी बुरा नहीं किया, लेकिन फंस जाते है शकुनी के जाल में, लालच बुरी बला। जुआ खेलते हैं हार जाते हैं अपने राज्य व पत्नी को भी। रुक सकते थे लेकिन जुए का चस्का ही ऐसा है कि नहीं रुके पत्नी को दांव में लगा दिया। दुर्योधन, दुशासन, कर्ण, भीष्म पितामह, कृपाचार्य, धृतराष्ट्र आततायी बन जाते हैं और पांडव कुलषित पुरुष ।
द्रोपदी प्रकृति है पांडव पांच दोष व कौरव मानवता के दुश्मन- पांच पांडव काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार हैं जो प्रकृति को बेच रहे हैं और मानवता को दुश्मन इसको खत्म करने में तुले हैं। नदियों में गंदगी, वनों को काटा जा रहा है, उद्योगों से निकलती जहरीली गैसों से, बेतहाशा कीटनाशकों से वातावरण जहरीला
हो गया है। भयंकर कैंसर, रोग जकड़ रहे हैं। इस प्रकृति के साथ खिलवाड़ करने वालों का हश्र वैसा ही होगा जैसा दुशासन की छाती फाड़ कर रक्त पीकर किया गया था।
पांडवों की भूल सुधार- पांडव उस लालच के घिनौने जाल से बाहर आते हैं तो स्वयं को लुटा हुआ घृणित प्राणी पाते हैं। कहां जाएं मरने के लिए। इतना होने के बावजूद द्रोपदी उनका साथ नहीं छोड़ती। उसे पता है कि यही लोग उसके अपमान का बदला लेंगे। वे आत्महत्या नहीं करती जैसा कि हर फिल्म में दिखाया जाता है। वह अपमान का बदला लेती है, दुशासन के रक्त से अपने बालों को धोती है। याद रखो प्रकृति आपको कभी माफ नहीं करेगी।
कौन है कृष्ण- कृष्ण बेसहारों का आसरा है, कृष्ण हमेशा धर्म का साथ देता है लेकिन व आतताइयों को भी सुधरने के मौके देता है। 99 गल्तियां माफ करता है लेकिन 100वी गलती में संहार कर देता है। परन्तु आपको कृष्ण का चुनाव करना है,सत्य व धर्म को भी।
कृष्ण महाभारत है और महाभारत ही कृष्ण है। महाभारत की हर घ़टना में गूढ़ रहस्य है- बस आपको जानना है, पाना है । उत्तिठ जागृत।
केवल एक घटना ही नहीं पूरा महाभारत ही गूढ़ रहस्यों को उजागर करता है जो राजनीति, कूूटराजनीति व युद्ध कला का वर्णन करता है। आतताइयों का विनाश कैसे करना है, अर्धम को कैसे पराजित करना है आदि के बारे में विस्तार से बताया गया है। अधर्म को कभी कमजोर न समझो। घटनाओं के माध्यम से गूढ़ रहस्यों का वर्णन किया गया है।
सूत्रधार कथाओं को ऐसे सामने रखता है कि सदियों तक पाठक कभी बोर नहीं होता। महाभारत कभी खत्म नहीं होता यह हर युग हर समय चलता रहता है। आततायी भी रहते हैं और अर्धम भी इनको खत्म करना ही महाभारत है। वामपंथियों ने चालाकी से हिन्दुओं के घरों से महाभारत को निकलवा दिया, यह अफवाह फैलाकर कि महाभारत को घर में नहीं रखना चाहिए इससे नुक्सान होता है। यदि महाभारत हरेक के घर में होता तो भारत कभी भी गुलाम न होता।
क्या धार्मिक लोग भी सत्य के मार्ग से भटक जाते हैं- उत्तर हां, एक बार आप पर धार्मिक, सदपुरुष होने का ठप्पा लग जाता है तो आप कभी गलती नहीं कर सकते, यह कहना गलत है लेकिन गलती करने पर उसको भोगना व फिर से खड़ा होना है। पांडव सदपुरुष हैं, कभी बुरा नहीं किया, लेकिन फंस जाते है शकुनी के जाल में, लालच बुरी बला। जुआ खेलते हैं हार जाते हैं अपने राज्य व पत्नी को भी। रुक सकते थे लेकिन जुए का चस्का ही ऐसा है कि नहीं रुके पत्नी को दांव में लगा दिया। दुर्योधन, दुशासन, कर्ण, भीष्म पितामह, कृपाचार्य, धृतराष्ट्र आततायी बन जाते हैं और पांडव कुलषित पुरुष ।
द्रोपदी प्रकृति है पांडव पांच दोष व कौरव मानवता के दुश्मन- पांच पांडव काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार हैं जो प्रकृति को बेच रहे हैं और मानवता को दुश्मन इसको खत्म करने में तुले हैं। नदियों में गंदगी, वनों को काटा जा रहा है, उद्योगों से निकलती जहरीली गैसों से, बेतहाशा कीटनाशकों से वातावरण जहरीला
हो गया है। भयंकर कैंसर, रोग जकड़ रहे हैं। इस प्रकृति के साथ खिलवाड़ करने वालों का हश्र वैसा ही होगा जैसा दुशासन की छाती फाड़ कर रक्त पीकर किया गया था।
पांडवों की भूल सुधार- पांडव उस लालच के घिनौने जाल से बाहर आते हैं तो स्वयं को लुटा हुआ घृणित प्राणी पाते हैं। कहां जाएं मरने के लिए। इतना होने के बावजूद द्रोपदी उनका साथ नहीं छोड़ती। उसे पता है कि यही लोग उसके अपमान का बदला लेंगे। वे आत्महत्या नहीं करती जैसा कि हर फिल्म में दिखाया जाता है। वह अपमान का बदला लेती है, दुशासन के रक्त से अपने बालों को धोती है। याद रखो प्रकृति आपको कभी माफ नहीं करेगी।
कौन है कृष्ण- कृष्ण बेसहारों का आसरा है, कृष्ण हमेशा धर्म का साथ देता है लेकिन व आतताइयों को भी सुधरने के मौके देता है। 99 गल्तियां माफ करता है लेकिन 100वी गलती में संहार कर देता है। परन्तु आपको कृष्ण का चुनाव करना है,सत्य व धर्म को भी।
कृष्ण महाभारत है और महाभारत ही कृष्ण है। महाभारत की हर घ़टना में गूढ़ रहस्य है- बस आपको जानना है, पाना है । उत्तिठ जागृत।
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