यू-टर्न थ्यूरी व पाइसन पिल्स क्या हैं
यू-टर्न थ्यूरी व पाइसन पिल्स क्या हैं
जब कोई व्यक्ति जिस विचारधारा या धर्म को छोड़कर आता है और कुछ समय बाद फिर वहीं वापस चला जाता है तो उसे यू-टर्न थ्यूरी कहा जाता है। इसमें उस वयक्ति पर की गई सारी मेहनत बेकार चली जाती है। 1960-70 के दशक में अमेरिका में भारत के दर्शन का डंका बज रहा था उस भारत से कई संत वहां धर्म प्रचार को पहुंचे थे, उन्होंने अपने लाखों श्रद्धालु भी बनाए लेकिन उनकी मृत्यु के बाद 90 प्रतिशत श्रद्धालु वापिस जहां से आए थे वहीं वापस चले गए। इन संतों के बनाए गए मिशन यू-टर्न के कारण बुरी तरह से फ्लाप हो गए।
इस थ्यूरी को ईसाई मिशनरियां बहुत ही अच्छी तरह से समझती हैं। जब कोई हिन्दू ईसाई होता है तो उसका यू टर्न रोकने के लिए विभिन्न प्रकार के फंडे प्रयोग किए जाते हैं। सबसे पहले उसके घर से उसके धर्मिक ग्रंथ, धार्मिक चिन्ह स्वास्तिक, ओम, देवी-देवताओं के चित्र, तुलसी आदि जिससे भी उसकी पहचान थी, को बाहर कर दिया जाता है। फिर उसे मंदिर जाने से व प्रशाद तक खाने से रोक दिया जाता है। उसे डराया जाता है कि यदि इन शैतानी देवी-देवताओं की पूजा करोगे तो नर्क की आग में जलोगे।
नफरत, डर की दीवार इतनी ऊंची कर दी जाती है कि वह उसे फांद कर वापस न जा सके। इसे पायजन पिल्स यानि जहर की गोलियां देना कहते हैं। यह फंडा इतना कारगर होता है कि यू-टर्न नहीं हो पाता और उनका उद्देश्य सफल हो जाता है। हिन्दू को पता ही नहीं लगता कि कब उसे उसके धर्म, संस्कृति, भाषा आदि से जड़ से उखाड़ कर दूसरी जगह लगा दिया जाता है जहां से उसकी वापसी सम्भव नहीं है।
जब कोई व्यक्ति जिस विचारधारा या धर्म को छोड़कर आता है और कुछ समय बाद फिर वहीं वापस चला जाता है तो उसे यू-टर्न थ्यूरी कहा जाता है। इसमें उस वयक्ति पर की गई सारी मेहनत बेकार चली जाती है। 1960-70 के दशक में अमेरिका में भारत के दर्शन का डंका बज रहा था उस भारत से कई संत वहां धर्म प्रचार को पहुंचे थे, उन्होंने अपने लाखों श्रद्धालु भी बनाए लेकिन उनकी मृत्यु के बाद 90 प्रतिशत श्रद्धालु वापिस जहां से आए थे वहीं वापस चले गए। इन संतों के बनाए गए मिशन यू-टर्न के कारण बुरी तरह से फ्लाप हो गए।
इस थ्यूरी को ईसाई मिशनरियां बहुत ही अच्छी तरह से समझती हैं। जब कोई हिन्दू ईसाई होता है तो उसका यू टर्न रोकने के लिए विभिन्न प्रकार के फंडे प्रयोग किए जाते हैं। सबसे पहले उसके घर से उसके धर्मिक ग्रंथ, धार्मिक चिन्ह स्वास्तिक, ओम, देवी-देवताओं के चित्र, तुलसी आदि जिससे भी उसकी पहचान थी, को बाहर कर दिया जाता है। फिर उसे मंदिर जाने से व प्रशाद तक खाने से रोक दिया जाता है। उसे डराया जाता है कि यदि इन शैतानी देवी-देवताओं की पूजा करोगे तो नर्क की आग में जलोगे।
नफरत, डर की दीवार इतनी ऊंची कर दी जाती है कि वह उसे फांद कर वापस न जा सके। इसे पायजन पिल्स यानि जहर की गोलियां देना कहते हैं। यह फंडा इतना कारगर होता है कि यू-टर्न नहीं हो पाता और उनका उद्देश्य सफल हो जाता है। हिन्दू को पता ही नहीं लगता कि कब उसे उसके धर्म, संस्कृति, भाषा आदि से जड़ से उखाड़ कर दूसरी जगह लगा दिया जाता है जहां से उसकी वापसी सम्भव नहीं है।
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