मेष लग्न राशि में पैदा हुआ जातक कैसा होता है
मेष लग्न राशि में पैदा हुआ जातक कैसा होता है
जातक की कुंडली 12 लग्नों व राशियों का फल ज्योतिषीय गणनाओं में बताया जाता है। आज हम आपको सिर्फ
मेष लग्न व राशि में पैदा हुए जातक के बारे में बताएंगे। मेष लग्न , राशि का स्वामी मंगल है। जिस लग्न में जातक जन्म लेता है वही उसकी राशि बनती है। जातक का कद मध्यम, चेहरे का रंग लाल व शरीर का रंग गेहुंआ होता है। उदार चित्त वाला व दिल से बहुत ही नर्म होता है। बाहर से गम्भीर दिखाई देता है। राशि स्वामी मंगल की स्थिति
शुभ होने से लाल आंखों वाला, चंचल व जल्दी उग्र स्वभाव व साहसी होता है। जातक बहुत ही महत्वाकांक्षी व सतर्क रहने वाला होता है। मेहनती, तेज दिमाग, रहस्यमयी विद्धाओं को जानने का प्रयास करने वाला होता है। अपनी मेहनत के बल पर अपने साधन जुटा लेता है। परिजनों,भाइयों आदि से सहयोग कम ही मिलता है। यह भ्रमण
करना बहुत पसंद करता है व स्वतंत्र विचारों वाला होता है। इस राशि में चर और अग्नि तत्व प्रधान होने के कारण
मेष राशि लग्न का जातक परिवर्तनशील होता है। इसके विचार अनुभव व समय के हिसाब से बदल जाते हैं। कारोबार में बहुत ज्यादा कठिनाइयां होने के बावजूद यह संघर्ष करके अपना मुकाम बना लेता है। जातक क्रोधित भी
हो जाता है और शीघ्र मान भी जाता है। जातक पित्त, कफ, नेत्र रोग, त्वचा आदि रोगों से पीडि़त रहता है। मंगल शुभ होने पर जातक खेलकूद व संगीत में विशेष रुचि रखता है। रत्न मूंगा मेष राशि वालों के लिए बहत लाभदायक रहता है। मूंगा विशेषज्ञों की सलाह पर और मंत्र,पूजा करवाने के बाद ही धारण करना चाहिए। इस जातक का भग्योदय 16,22, 28, 36, 42,46 वर्षों में होता है।
जातक की कुंडली 12 लग्नों व राशियों का फल ज्योतिषीय गणनाओं में बताया जाता है। आज हम आपको सिर्फ
मेष लग्न व राशि में पैदा हुए जातक के बारे में बताएंगे। मेष लग्न , राशि का स्वामी मंगल है। जिस लग्न में जातक जन्म लेता है वही उसकी राशि बनती है। जातक का कद मध्यम, चेहरे का रंग लाल व शरीर का रंग गेहुंआ होता है। उदार चित्त वाला व दिल से बहुत ही नर्म होता है। बाहर से गम्भीर दिखाई देता है। राशि स्वामी मंगल की स्थिति
शुभ होने से लाल आंखों वाला, चंचल व जल्दी उग्र स्वभाव व साहसी होता है। जातक बहुत ही महत्वाकांक्षी व सतर्क रहने वाला होता है। मेहनती, तेज दिमाग, रहस्यमयी विद्धाओं को जानने का प्रयास करने वाला होता है। अपनी मेहनत के बल पर अपने साधन जुटा लेता है। परिजनों,भाइयों आदि से सहयोग कम ही मिलता है। यह भ्रमण
करना बहुत पसंद करता है व स्वतंत्र विचारों वाला होता है। इस राशि में चर और अग्नि तत्व प्रधान होने के कारण
मेष राशि लग्न का जातक परिवर्तनशील होता है। इसके विचार अनुभव व समय के हिसाब से बदल जाते हैं। कारोबार में बहुत ज्यादा कठिनाइयां होने के बावजूद यह संघर्ष करके अपना मुकाम बना लेता है। जातक क्रोधित भी
हो जाता है और शीघ्र मान भी जाता है। जातक पित्त, कफ, नेत्र रोग, त्वचा आदि रोगों से पीडि़त रहता है। मंगल शुभ होने पर जातक खेलकूद व संगीत में विशेष रुचि रखता है। रत्न मूंगा मेष राशि वालों के लिए बहत लाभदायक रहता है। मूंगा विशेषज्ञों की सलाह पर और मंत्र,पूजा करवाने के बाद ही धारण करना चाहिए। इस जातक का भग्योदय 16,22, 28, 36, 42,46 वर्षों में होता है।
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