व्यक्तिगत जरूरतों पर आधारित आरक्षण क्या है?
व्यक्तिगत जरूरतों पर आधारित आरक्षण क्या है?
अमेरिका में सैंकड़ों सालों से कालों को गुलाम बनाकर रखा गया। ये काले वोट के अधिकार व अन्य अधिकारों से वंचित थे। काले अगंजों के पास नहीं बैठ सकते थे। यदि बस में अंग्रेज आ जाए तो काले को उठकर पीछे सीट पर जाना पड़ता था। कुछ पाश इलाकों में कुत्ते और गोरे तो सैर कर सकते थे लेकिन काले नहीं जा सकते थे। कालों पर भयंकर अत्याचार किए गए। संघर्ष हुआ और समय ने पलटी मारी और दश से गुलामी खत्म हो गई। सभी को सामान अधिकार मिले लेकिन आरक्षण किसी को भी नहीं। न गोरे को न काले को। वहां प्वाइंट सिस्टम पर
आधारित व्यक्तिगत जरूरतों को लेकर आरक्षण व्यवस्था लागू की गई। अमेरिका में हर व्यक्ति का आधार कार्ड जैसा कार्ड है जिसमें उसका हर व्यौरा होता है। मान लो एक व्यक्ति की आय कम है और उसके बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं तो अपने आप उसके बच्चे की फीस माफ होगी और उसे अन्य सुविधाएं मिलेंगी। यदि आपकी आमदन ज्यादा है तो आपके बच्चे को वे सुविधाएं नहीं मिलेंगी। फीस आपके कार्ड से अंकों के
आधार पर अपने आप कट जाएगी। यदि एक व्यक्ति बेरोजगार है तो उसको महीने को भोजन कूपन व भत्ता उसके खाते में आ जाता है। इसमें धर्म, जाति व काले गोरे को नहीं देखा जाता। व्यक्ति की जरूरत को देखा जाता है। एक महिला अकेली है और बच्चे का पालन पोषण अकेले करती है तो उसे सिंगल मदर के बेनेफिट अपने आप मिल जाएंगे। सिस्टम इतना बढिय़ा है कि पता ही नहीं चलता कि कौन सरकारी
सुविधाओं का प्रयोग कर रहा है। लेकिन भारत में स्थिति बिल्कुल भिन्न है यदि आप उच्च जाति के हैं और गरीब भी हैं तो भी आपको आरक्षण नहीं मिलेगा। यहां जाति को देखकर आरक्षण दिया जाता है। नौकरियों, दखिलों में भी ऐसा ही होता है। इसमें वे लोग जो सचमुच गरीब व दलित हैं वे ऐसी सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं। जाति के आधार पर ज्यादातर समृद्ध लोग पीढ़ी दर पीढ़ी सुविधा का लाभ ले जाते हैं। इनमें वे लोग भी शामिल हैं जिनके माता-पिता जाति आधारित आरक्षण के कारण उच्च पदों पर हैं और वे दलित जिन्हें इस आरक्षण की जरूरत है वे वंचित रह जाते हैं।
यदि व्यवस्था अमेरिका की तरह प्वाइंट सिस्टम पर होगी तो सभी को न्याय मिलेगा और जरूरत अनुसार लाभ मिलेगा। आज आरक्षण एक गम्भीर समस्या बन गई है। जाट आंदोलन, पाटीदार आंदोलन , दलित आंदोलन इसकी उदाहरण हैं। देश आरक्षण की आग में न जले इसके लिए सभी को एक साथ खड़े होकर व्यक्तिगत जरूरतों पर आधारित व्यवस्था को अपनाना ही होगा नहीं तो देश जाति पर आधारित आरक्षण की आग में जल उठेगा।
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