जातक की कुंडली में सूर्य क्या प्रभाव देता है, जानिए

जातक की कुंडली में सूर्य क्या प्रभाव देता है, जानिए


तनुस्थो रविस्तुंगयष्टि विधत्ते मन: संतपेद्दारदायादवर्गात्। वपु: पीड्यते वातपित्तेन नित्यं स वै पर्यटन्  हसवृ्रद्धिं प्रयाति।
अर्थात जिसके जन्म समय में लग्र में सूर्य होता है, उसकी नाक ऊंची होती है और स्त्री व दामादों से उसके मन में सदा संताप रहता है। वात पित्त से उसका शरीर सदा पीडि़त रहता है। सह सदा स्थिर नही रहता उसका धन घटता-बढ़ता रहता है। जिस जातक के जन्म के समय में सूर्य लगन में रहता है व प्रतिष्ठा को तो प्राप्त होता है लेकिन शीघ्र
वह उसे खो देता है। अपने  पुत्र के साथ उसकी कम ही बनती है। पिता-पुत्र का विवाद भी होता है।
जिस जातक की जन्म कुंडली में दूसरे स्थान पर सूर्य हो तो वह भाग्यशाली होता है और वाहन का सुख भोगता है।
उसका धन धर्म के कामों में भी लगता है। परिवार में व स्त्री से उसका झगड़ा होता रहता है। लाभ के कार्यों में उसके सारे काम निष्फल हो जाते हैं।  जिसके तृतीय स्थान में जन्म कुंडली में सूर्य हो तो उसका प्रताप बढ़ता है और वह बहुत ही बहादुर होता है। वह अपने भाईयों से सदा दुखी ही रहता है। अक्सर तीर्थ यात्राएं करता रहता है, उसके
शत्रुओं का नाश होता है वह अपने राजा से सुख प्राप्त करता है।
 जिसके चौथे घर में सूर्य होता है तो वह मंत्री या अधिकारी होता है परन्तु अपने भाइयों के साथ उसकी नहीं बनती। वह परदेस में रहता है और शत्रुओं के द्वारा हमेशा सताया जाता है। उसका मन कभी भी शांत नहीं होता।
जातक के पांचवें घर में सूर्य होने से उसको अपनी प्रथम संतान के कारण दुख होता है। तेज दिमाग वाला होता है। धन जोडऩे में अपनी सारी उम्र लगा देता है और उसकी मृत्यु पेट की बीमारी के कारण होती है।
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