मृत सभ्यता व जीवित सभ्यता क्या है
मृत सभ्यता व जीवित सभ्यता क्या है
जो सभ्यता कभी जीवित थी, उसके त्यौहार, धार्मिक स्थल, भाषा, रहन सहन, ग्रंथ, कलाकृतियां जीवित अवस्था में कभी थे लेकिन ये आज केवल म्यूजियम में पड़े हैं। लोग आते हैं उस सभ्यता के बारे में जानते हैं और फिर वापिस लौट जाते हैं। ग्रीस, रोमन, वेबीलोन, मिस्र आदि की महान सभ्यताएं आज से कुछ वर्ष पहले तक जीवित थीं लेकिन इन सभ्यताओं को नष्ट कर दिया गया और अब ये म्यूजियमों की शोभा ही बढ़ा रही हैं।
वह सभ्यता जिसके त्यौहार, भाषा, रहन-सहन, धार्मिक ग्रंथ, धार्मिक स्थल , धार्मिक चिन्ह व प्रतीक आदि जीवित अवस्था में लोग अपनाए हुए हैं, वह सभ्यता जीवित है। हिन्दू मंंदिरों जो सैंकड़ों वर्ष तक जीवित रहे आज भी जीवित हैं क्योंकि वहां लोग वैसे ही पूजा-अर्चना करके अपनी संस्कृति को बचाए हुए हैं। आज हिन्दुओं की सभ्यता जीवित है लेकिन आज इसके कई महान मंदिरों पर पुरात्तव विभाग का कब्जा है, वहां पर हिन्दू पूजा नहीं कर सकते। एक जीती जागती महान सभ्यता को मृत घोषित कर दिया गया है।
मंदिरों के प्रधान देवों की मूर्तियों को म्युजियमों में रख कर यह दर्शाया जा रहा है कि हिन्दू संस्कृति खत्म हो चुकी है, इसकी भाषा संस्कृत एक मृत भाषा है। आज पर्यटक इन पवित्र मंदिरों में आपमान जनक तरीके से प्रवेश करते हैं। इन मंदिरों को हिन्दुओं को पूजा के लिए सौंपा जाना चाहिए। यह जीविक सभ्यता है इसे मृत न घोषित किया जाए।
जो सभ्यता कभी जीवित थी, उसके त्यौहार, धार्मिक स्थल, भाषा, रहन सहन, ग्रंथ, कलाकृतियां जीवित अवस्था में कभी थे लेकिन ये आज केवल म्यूजियम में पड़े हैं। लोग आते हैं उस सभ्यता के बारे में जानते हैं और फिर वापिस लौट जाते हैं। ग्रीस, रोमन, वेबीलोन, मिस्र आदि की महान सभ्यताएं आज से कुछ वर्ष पहले तक जीवित थीं लेकिन इन सभ्यताओं को नष्ट कर दिया गया और अब ये म्यूजियमों की शोभा ही बढ़ा रही हैं।
वह सभ्यता जिसके त्यौहार, भाषा, रहन-सहन, धार्मिक ग्रंथ, धार्मिक स्थल , धार्मिक चिन्ह व प्रतीक आदि जीवित अवस्था में लोग अपनाए हुए हैं, वह सभ्यता जीवित है। हिन्दू मंंदिरों जो सैंकड़ों वर्ष तक जीवित रहे आज भी जीवित हैं क्योंकि वहां लोग वैसे ही पूजा-अर्चना करके अपनी संस्कृति को बचाए हुए हैं। आज हिन्दुओं की सभ्यता जीवित है लेकिन आज इसके कई महान मंदिरों पर पुरात्तव विभाग का कब्जा है, वहां पर हिन्दू पूजा नहीं कर सकते। एक जीती जागती महान सभ्यता को मृत घोषित कर दिया गया है।
मंदिरों के प्रधान देवों की मूर्तियों को म्युजियमों में रख कर यह दर्शाया जा रहा है कि हिन्दू संस्कृति खत्म हो चुकी है, इसकी भाषा संस्कृत एक मृत भाषा है। आज पर्यटक इन पवित्र मंदिरों में आपमान जनक तरीके से प्रवेश करते हैं। इन मंदिरों को हिन्दुओं को पूजा के लिए सौंपा जाना चाहिए। यह जीविक सभ्यता है इसे मृत न घोषित किया जाए।
Comments
Post a Comment