सभ्यता का विकास व सांस्कृतिक विरासत या धरोहर क्या है?

सभ्यता का विकास व सांस्कृतिक विरासत या धरोहर क्या है?

सभ्यताओं का विकास कैसे हुआ, मानव सभ्य कैसे हुआ, सांस्कृतिक विरासत व धरोहर क्या हैं, आदि विचार हमारे दिमाग में कम ही आते हैं। हम अपनी दिनचर्या व दैनिक जरूरतों को पूरा करने में इतना व्यस्त रहते हैं कि इसके बारे में हम ज्यादा नहीं सोचते और न ही चर्चा करते हैं। जब सिंधू घाटी की सभ्यता के बारे में पता चला तो देखा गया कि आज से हजारों साल पहले 3 मंजिला मकान, अंडरग्राऊंड नालिया, सड़कें आदि लोगों ने बनाए, आज इस जगह की खुदाई में मिट्टी के बर्तन, औजार, शिव व गणेश की मूर्तियां, शिवलिंग, त्रिशूल आदि मिले, अब इससे भी पुरानी सभ्यता राखीघाड़ी हरियाणा में मिली। खुदाई में रथ,हथियार, मूर्तियां व कंकाल मिले। आज इंडोनेशिया, थाईलैंड में की गई खुदाई में भगवान शिव व गणेश जी की भव्य मूर्तियां मिली तो सारी दुनिया हैरान रह गई। खुदाई में एक विशाल मंदिर मिला जो मिट्टी से ढक चुका था। इन कंकालों का डीएनए टैस्ट किया गया तो ये विशुद्ध भारतीय पाया गया। इस प्रकार पिछले 70 सालों से फैलाया गया झूठ कि आर्य विदेशों से आए  थे, प्रमाण सहित धराशाही हो गया। वामपंथी अपने फैलाए झूठ में फंस गए। 
जब किसी इंसान ने किसी की टूटी हड्डी जोड़ी, किसी ने सूई का अविष्कार किया तो उन्होंने सभ्यता के विकास में एक और पृष्ठ जोड़ा, किसी ने ईंट बनाई और किसी ने उन ईंटों से महान मंदिरों का निर्माण किया जो आज भी सर उठा कर प्राचीन जिवंत सभ्यता का प्रमाण दे रहे हैं। इन मंदिरों में जहां- जहां ईष्ट देवों की मूर्तियां हैं वे आज भी वैसे ही आबाद हैं जैसे आज से सैंकड़ों साल पहले थे। भारतीय सभ्यता की सबसे जीवंत निशानियां ये महान मंदिर हैं जिनके बारे में सैकुलर सरकारों ने दुनिया को पता ही नहीं लगने दिया। इन मंदिरों को बनाने व बनवाने वालों में इतनी श्रद्दा व आस्था थी कि उन्होंने अपनी 5-5 पीढ़ियां इनको बनाने में लगा दीं। लगातार काम होता रहा सदियों तक । उन्होंने भारतीय सभ्यता को आगे बढ़ाने में जो योगदान दिया हम उनका ऋण सात पुश्तों तक नहीं उतार सकते। जहां मिस्र, रोम आदि सभ्यताएं मिट गईं,उनके मंदिर मिट गए और उनकी निशानियां केवल म्यूजियम में मिलती हैं वहीं भारत की निशानिया मिट नहीं सकीं क्योंकि पहाड़ों को 600 सालों से अधिक तराश कर ही मंदिर बना दिए गए और मूर्तियां घड़ दी गईं।
यह एक जीवंत सभ्यता है, वैसे ही पूजा होती है, वैसे ही मंत्रों का उच्चारण होता है और वैसै ही पीढ़ी दर पीढ़ी भक्त आते रहते हैं। सैकुलर सरकारों ने चालाकी से जिन मंदिरों की मूर्तियां गायब कर दी या मंदिरों से हटा कर म्यूजियम में रख दीं तो एक जीवंत सभ्यता को खत्म करने का घातक काम किया। वे मंदिर खंडहर हो गए। अभी इंग्लैंग में से लाकर नटराज शिव की मूर्ति जिसका मूल्य करोड़ों डालर है, को लाकर विरान मंदिर में स्थापित किया तो फिर से रौनकें लौट आई और वही पूजा पाठ शुरु हो गया और भक्त आने शुरु हो गए। ये मूर्तियां-मंदिर केवल पाशाण नहीं ये जीवंत सभ्यता की निशानियां हैं जो अपने साथ इतिहास को ब्यान कर रही हैं,अपनी कहानियां कह रहीं हैं कि उनके साथ क्या हुआ।
ये हमारे पूर्वजों ने हमारे लिए छोड़ी वे सांस्कृतिक धरोहरे हैं, विरासते हैं जिनका हम ऋण कभी नहीं चुका पाएंगे। आज इनको नष्ट करने में मलेछ वैचारिक व   सीधे लगे हैं लेकिन उनके प्रयास कभी सफल नहीं होेंगे। हम फिर से इन मंदिरों को जीवंत कर देेंगे। ये मूर्तियां, मंदिर हमें इतिहास, कहानी से जोड़ कर रखते हैं। हमारे पूर्वजों ने दुनिया को दिखाने के लिए, अपनी कथा जारी रखने के लिए, सभ्यता जीवंत रखने के लिए इन महान धार्मिक स्थलों व स्मारकों का निर्माण करवाया अपना व अपनी 5 पीढ़ियों का पसीना व रक्त बहाया, इसे हम व्यर्थ नहीं जाने देंगे। 

Comments

astrologer bhrigu pandit

नींव, खनन, भूमि पूजन एवम शिलान्यास मूहूर्त

मूल नक्षत्र कौन-कौन से हैं इनके प्रभाव क्या हैं और उपाय कैसे होता है- Gand Mool 2023

बच्चे के दांत निकलने का फल | bache ke dant niklne kaa phal