माया का खेल बहुत ही निराला है
माया का खेल बहुत ही निराला है
माया का खेल इतना निराला है कि कोई भी इसके मोह बंधन से बच नहीं सका। वही लोग बच सके जो दूर कंदराओं में ईश्वर की भक्ति में लीन हैं। समाज में विचरण करता मानव माया के मोह में फंसा हुआ है। गरीब घरों में पैदा हुए गायक धार्मिक स्थलों में अपनी जीविका को कमाने के लिए गाते हैं। वहीं प्रचारक प्रवचन करते हैं लोग सुनते हैं लेकिन इतना धन नहीं देते कि ये लोग अपना परिवार अच्छे से पाल सकें। कुछ प्रचारक जो प्रचार माध्यमों का प्रयोग करके, विज्ञापन करके लोगों में प्रसिद्ध हो जाते हैं वे अपने माल को सही ढंग से बेच लेते हैं और करोड़ों में खेलते हैं। दूसरे लोग गांवों में बैठे अपने यजमानों के सहारे थोड़ा-थोड़ा करके पेट किसी तरह से पालते हैं क्योंकि न तो उनके पास इतना धन है कि वे अपना प्रचार बड़े स्तर पर कर सकें और न ही इनके यजमान इनको प्रोमोट करने में कोई ध्यान देते हैं।
अब इन लोगों को जब बालीवुड में काम मिलता है तो ये कलाकार रातों-रात करोड़ों में खेलने लगते हैं और अपने धार्मिक जीवन पर मिट्टी डाल कर हर तरह के गाने गाना शुरु कर देते हैं। एक गाने का इनको 50 से 60 लाख रुपए का भुगतान किया जाता है। जगराते में पूरी रात गला फाड़कर गाने में कुछ ही रुपए दिहाड़ी के रुप में मिलते हैं। कोई कुछ भी इनके बारे में कहता रहे इनको कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि अब माया इनके पाले में है।
माल्स में भी वही प्रायोजिक संगीत सुनने को मिलता है। कहीं कोई इसका विरोध नहीं करता तो फिर कथाओं में बेचने वाले पीछे क्यों रहें। वे अच्छी तरह जानते हैं कि वे जो कुछ भी बेचेंगे वो बिकेगा, वे जो कुछ भी प्रचार करेंगे वे लोग सुनेंगे, ये कहेंगे कि मंदिर न जाओ, देवी देवताओं को न मानों, ये ग्रंथ न पढ़ो, ये पढ़ो, किसी भी धार्मिक कृत्य को न करों क्योंकि वे पाखंड हैं। ये चालाकी से राम, कृष्ण के साथ आपको अली भी परोस देंगे क्योंकि इनको आइटम पेश करने के लिए पैसा मिलता है और पैसा कोई भी दे, व्यापार में सब चलता है।
हिन्दुओं की कमजोरियां- जहां गुरु, संत, स्वामी, शंकराचार्य, आचार्य शब्द आ जाता है तो हर हिन्दू का सर झुक जाता है। वह उनका विरोध नहीं कर पाता और उनके कहे अनुसार चलने लगता है। वह जानने की चेष्टा नहीं करता कि यह संस्कृति का हिस्सा है, शास्त्र या वेद सम्वत है। वह उनको कहता है कि श्मशान में जाकर विवाह करो तो लोग श्मशान में विवाह करने लगते हैं , वह उनको कहता है कि तुम जिन मंदिरों में जाते हो वह पाखंड है तो वह वही राग अलापना शुरु कर देता है, एक नया उठता है कि तुम्हारे राम, कृष्ण आम इंसान थे वे भगवान नहीं थे तो वह अपने पूूर्वजों ईष्टों को गालियां निकानली शुरु कर देता है, उनकी तस्वीरों को घर से बाहर कर देता है,कोई उनके धार्मिक चिन्हों से छेड़खानी करके उन्हें परोस देता है, एक कहता है कि महाभारत, रामायण आदि ग्रंथ सब झूठे पाखंड हैं तो वह ऐसा ही मान लेता है। अभी एक और संत है जो आजकल जेल में है वो वेदों, गीता की अपनी अजीबो-गरीब व्याख्याएं सामने लाया है और उसको फोलो करने वाले 15 करोड़ लोग हैं।
हिन्दुओं को क्या करना है- इन वामपंथी झुकाव वाले स्वामियों को रोकना है। अपने ईष्टों, अपने सभी ग्रंथो, अपनी मर्यादाओं, अपने भगवानों का निरादर बिलकुल भी सहन नहीं करना। किसी भी हालत में अपने किसी भी धार्मिक कार्य को नहीं छोड़ना। ये लोग आपकी मनोदशा के अनुसार कई प्रकार के तर्क देंगे, वेदों का चालाकी से अपने एजैंडे के अनुसार व्याख्यान करेंगे। प्राचीन ग्रंथो के बारे में अनाप-शनाप बोलेंगे, इनको वहीं टोकना है। जब हम सुनने के लिए तैयार नहीं होंगे तो ये बोलेंगे भी नहीं। जब हम खरीदेंगे नहीं तो ये बेचेंगे भी नहीं। ये चालाकी से पहले अच्छी बातें कहेंगे जो आप सुनना चाहते हैं, जब आप इनपर विश्वास करने लगेंगे तो ये चालाकी से अपना एजैंडा घुसेड़ देंगे। यह आपका गुरु भी हो सकता है, किसी का भी। चौक्कने रहेंगे तो बचा लेंगे अपनी सभ्यता, संस्कृति व धर्म को। नहीं तो अब्राहमिक हो जाएंगे और पता भी नहीं चलेगा कि क्या हो गया।
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