अमृतसर में जाना है तो ये एतिहासिक स्थान जरूर देखें
अमृतसर में जाना है तो ये एतिहासिक स्थान जरूर देखें
काफी समय के बाद अमृतसर यानि गुरु के घर जाना एक अगल तरह का अनुभव रहा। लगभग 5 वर्ष पहले वहां
गया था। आज जब जाना हुआ तो सब कुछ बदल गया था। बस स्टैंट चौक से 10 मिनट का का रास्ता गोल्डन टैम्पल को है। आप पैदल जाएंगे तो 10 रुपए सवारी आटो रिक्शा या रिक्शा मिल जाता है। ऐतिहासिक जलियांवाला बाग तो वैसा ही है। अंदर सफाई का अच्छा प्रबंध है। यह वही जगह है जहां 13 अप्रैल 1919 को जनरल डायर ने आदेश देखकर सैंकड़ों निर्दोश भारतीयों की हत्याएं कर दी थीं। इस घटना ने अंग्रेजी शासन की चूलें हिलाकर रख दी थी। गोल्डन टैम्पल के आसपास चकाचक सुंदर चौगिरदा बना दिया गया है। दुकानों के नम्बर आदि लिखे हैं। बहुत सुंदर ढंग से काम किया गया है। बारह भांगड़ा डालते लोगों के बुत बहुत ही सुंदर लग रहे थे। आज सिखों का कोई विशेष पर्व नहीं था। आज यहां देश के बाहरी राज्यों राजस्थान, मुम्बई, गुजरात आदि इलाकों से अधिक लोग थे। लोकल पंजाब के लोग यानि सिख कम ही दिख रहे थे। जो दिख रहे थे वे दुकानदार आदि थे। मैंने कुछ पर्यटकों से बात की तो एक ग्रुप जो महाराष्ट्र से आया था, इनमें 100 के करीब लोग थे। इन्होंने बताया कि वे यहां गोल्डन टैम्पल के दर्शन करने व अन्य ऐतिहासिक जगहों को देखने आए हैं। जलियांवाला बाग में गोलियों के निशान देखकर मन उदास हो गया था। श्री हरिमंदिर साहिब के दर्शन करने से मन को शांति मिली है। पूछने पर बताया कि वे मराठी हिन्दू हैं। मैंने अनुभव किया कि आज भीड़ ज्यादा नहीं थी। कोई गुजरात, कोई दिल्ली से और कोई दक्षिण भारत से आया था। ऐसा लगता था कि मिनी भारत यहां आ गया है। अगल-अलग रंग, पहरावे देखकर मन को अच्छा लगा। मैंने कार्नर में वही लस्सी बेचने वाले की छोटी सी दुकान ढूंड ली जहां से मैंने 5 वर्ष पहले लस्सी पी थी। लस्सी इतनी पतली बनाई गई थी कि जैसे पानी हो। लगता था कि दुकान में अगली पीढ़ी बैठ गई है और लस्सी में पानी ज्यादा डालकर पैसा ज्यादा बनाकर अपने पूर्वजों का नाम खराब कर रही है। खैर अब आगे से यहां से कभी लस्सी नहीं पीने की कसम खा ली। यहां की पापड़,बडिय़ां काफ ी मशहूर हैं तो मैंने पापड़ बडिय़ां खरीदी जो घर जाकर बनाकर खाने में अच्छी लगीं। ऐसे ही पूरे विश्व से लोग यहां आते रहें और रौनकें लगी रहें। मैंने 80 का आतंक का वह दौर भी देखा है। लोग उसे बुरा सपना समझकर भूल चुके हैं लेकिन कुछ राजनीतिक लोग नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं, पर इन लोगों श्रद्धा को देखकर लगता है कि वे कामयाब नहीं हो पाएंगे। कुल मिलाकर मेरा अनुभव अच्छा रहा और मैंने ठाना कि समय-समय पर यहां जरूर आया करूंगा। यदि आप ज्यादा भीड़ नहीं चाहते और चाहते हैं कि आराम से आप सब जगह घूम सकें तो आप उस समय आएं जब यहां कोई बड़ा त्यौहार न हो और आप सुकून से दर्शन कर सकें।
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