संतान प्राति के लिए स्त्री कब सम्भोग करे
रजोदर्शन के बाद 16 रात्रियों तक, प्रथम 4 रात्रियों को छोड़कर शेष 12 रात्रियों में स्त्री संगम यानि समागम करे।
पुरुष अपने चंद्र बल में खुश होकर नवांगना से प्रथम समागम करे। ऐसा देखा गया है कि विषम रात्रि में संभोग करने से गर्भ ठहरने पर कन्या, सम रात्रियों में पुत्र का जन्म होता है।
ग्राह्य तिथि-1 कृतिका, 2,3,5,7, 11,12 तथा शुक्ल पक्ष की 13
ग्राह्य वार- सोम,बुध,गुरु एवं शुक्रवार
ग्राह्य नक्षत्र- रोहिणी,मृगशिरा, उत्तरा तीनों, हस्त, स्वाति, श्रव., धनिष्ठा और शतभिषा ।
शुभ लग्न-1,3,5,7,9,11 व राशि लगन।
संतान प्राप्ति वर्तमान में मुश्किल काम होता जा रहा है। कुछ जोड़ों के पास तो संतान पैदा करने का समय ही नहीं है। कुछ अपनी नौकरी व कैरियर को लेकर ही इतने परेशान रहते हैं कि उनको संतान प्राप्ति के लिए संभोग करने का भी समय नहीं है। दोनों नौकरी करते हैं, कई तो अलग-अलग राज्यों में काम करते हैं और कई महीनों तक टीर में ही रहते हैं। संतात प्राप्त करने के लिए मनीशियों ने कितनी सूक्षमता से तिथियों, नक्षत्रों का विवेचन किया है,यह देखकर हैरानी ही होती है। हर विषय को बड़ी सावधानी से जांचा परखा गया है। मानव के पास समय ही नहीं है इन बातों को समझने का।
आज से हजारों सालों पहले बनाए गए नियम आज भी वैसे ही हैं। कोई माने या न माने विज्ञान भी मानता है कि मासिकधर्म खत्म होने के 3 या 4 दिन बाद और इसके 12 दिन संतान प्राप्ति के लिए उत्तम हैं। तेजस्वी,ज्ञानवान,सुंदर संतान पाने के लिए स्त्री-पुरूष हर प्रकार की साधना व इसके लिए स्वयं को आत्मिक तौर पर तैयार करते थे। आप भी मनचाही संतान पा सकते हैं। बस थोड़ा सा परामर्श आपके जीवन में खुशियां भर सकता हैं। कितने ही निसंतान जोड़े संतान की खुशियां पा सकते हैं।
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