तथाकथित गुरु का इकबालिया बयान, हड़कम्प नहीं मचा
तथाकथित गुरु का इकबालिया बयान, हड़कम्प नहीं मचा
कलयुग में हर कोई अपराध करता है। गुरु भी करता है या उससे हो जाता है और चेला भी। चेले अपने अपराध को मान लेते हैं और इकबालिया बयान भी देते हैं। वे पश्चाताप भी करते हैं क्योंकि उन्हें विश्वास होता है कि उनका गुरु उन्हें उनके किए गए कथित पापों से बचा लेगा और उन्हें जन्नत ही नसीब होगी। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि गुरु भी इंसान ही होता है और वह भी पाप या अपराध कर ही लेता है। तो क्या वह पश्चाताप करता है, वह किसके पास जाकर इकबालिया बयान देता है। शायद नहीं कोई विरला ही होगा जो यह मानता होगा कि उसने कोई पाप किया है और उसको पश्चाताप करने की जरूरत है। जो चाहता भी होगा वह कर नहीं पाता होगा क्योंकि उसे डर होता है कि चेले क्या कहेंगे, वे उसे आम इंसान समझकर उसके इंद्रजाल से भाग जाएंगे। उसके चेलों को तो उसने बताया है कि वह ईश्वर का रुप है। उसके कहे अनुसार चलो,चेले भी वैसा ही करते हैं आंखें मूंद कर। हम आपको एक साहसी तथाकतिथ गुरु की सत्य कथा सुनाते हैं। इस गुरु के इकबालिया बयान से कोई हड़कम्प नहीं मचा।
जब यह गुरु मरने लगा उसे पता चल गया कि अब इसका अंत नजदीक है तो उसने अपने सबसे करीबी रिश्तेदारों व चेलों को बुलाया और कहने लगा कि मैं अपने किए गए अपराधों के लिए इकबालिया बयान देना चाहता हूं ताकि मैं चैन से मर सकूं। चेले व रिश्तेदार हैरान हो गए -कहने लगे गुरु जी आपको तो हम ईश्वर का रुप मानते हैं। आपसे भला कोई पाप या अपराध कैसे हो सकता है।
गुरु कहने लगा नहीं मैंने आप सबसे झूठ बोला था कि मैं ईश्वर का रुप हूं , मेरे में कोई ताकत नहीं बस मैं दिमागी खेल खेलना जानता था, प्रवचन देने में माहिर था बस इसी कारण मेरे रचाए इंद्रजाल में करोड़ों भोले-भाले लोग फंस गए। मैं लच्छेदार बातों में उन्हें फंसा लेता था। उन्हें पक्का करते रहने के लिए बार-बार कोई न कोई बहाना लेकर बुलाता रहता और उनकी कमाई का काफी हिस्सा दान के रुप में लेकर हड़प लेता कि उनको पता ही नहीं चलता कि उनके साथ क्या हो रहा है। मैंने अपने गुरु को भी धोखा दिया लोगों को यह कह कर उसकी गद्दी व ग्रंथ पर कब्जा कर लिया कि मेरे गुरु ने मुझे सपने में आकर गद्दी सम्भालने को कहा था। भोले भाले लोगों ने मेरे पर विश्वास कर लिया। मैंने अपनी कई भक्तों को झांसे में लेकर उनकी कीमती जमीनों पर कब्जा कर लिया।
भक्तों को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उनका गुरु क्या कह रहा है। हमने इसको क्या समझा था यह क्या निकला। गुरु ने कहा कि सब कुछ झूठ था सिर्फ श्रद्धा का व्यापार था। लोग झूठ सुन रहे थे मैं उनको सुना रहा था। किसी को कानों कान भनक ही नहीं पडऩे दी। हजारों करोड़ का साम्राज्य खड़ा कर लिया। भीड़ देखकर सरकार मंत्री भी सलाम ठोकने लगे। मीडिया को पैसे लेकर खरीद लिया वह भी मेरा गुणगाण करता। मेरे को पता था कि पैसा बोलता है। जो कोई विरोध करता डरा धमका कर, पैसा देकर या किसी चेले की बेटी से उसकी शादी करके उसका मुंह बंद कर दिया जाता। मेरे भक्त मेरे हर बचन को ईश्वर का बचन मानते थे। मैं जीवन भर आम इंसान की तरह नहीं जी पाया। सड़क पर न चल पाया,रास्ते में किसी से कुछ खरीदकर न खा पाया। अकेले सिनेमा न देख पाया। मैं उन लोगों हंसते, खेलते, नाचते गाते, एक दूसरे रंग डालते न देख पाया। मैंने सिर्फ किसी केे मरने पर जाने वाले गम्भीर शक्लों वाले चेले ही तैयार किए। मेरे को कोई हक नहीं था कि मैं उनकी भावनाओं ,उमंगों , नाच,गाने, संगीत पर पाबंदी लगाता, मेरा कोई हक नहीं था कि उनको उनके हंसते खेलते धर्म से उनको चालाकी से तोड़ता। मैं जब भी विदेशों में जाता तो चोरी छिपे मस्ती मार लिया करता था। तेज कार चलाता, तेज दौड़ता, सिनेमा देखता, पब में गोरियों के साथ मस्ती भी मारता, पोर्न फिल्में भी देखता। मैं यहां जम कर वे काम करता जो अपने देश में नहीं कर पाता था। यही सब तो एक आम इंसान चाहता है। अपने चाहने वालों के साथ कुछ मस्ती मारे और इस दुनिया का नजारा लूटे। पर ये सब करते समय मैं अपना भेष बदल लेता कि कोई मुझे वहां भी देख न ले।
मैं जिन चीजों से अपने चेलों को दूर रहने को कहता यहां मैं उन्हीं चीजों के मजे लूटता। अपने चेलों के बीच में आकर मैं वही बन जाता जो वे मुझे देखना चाहते। मेरे बच्चों को पता था मैं कैसा हूं इसलिए वे अपने परिवार के साथ विदेशों में सैटल हो गए और फिर वापस नहीं आए। मैं किसी को दोष नहीं देना चाहता इसके लिए सिर्फ और सिर्फ मैं जिम्मेदार हूं। मैंने अपनी शर्तों पर ही अपना जीवन जीया। जाओ और जाकर कह दो कि जाओ जाकर अपनी ङ्क्षजदगी खुशी से जियो। इतना कहने के बाद गुरु चुप हो गया। चेले एक दूसरे का मुंह ताकने लगे। कहने लगे गुरु जी अब बहुत देर हो चुकी है आपने इकबालिया बयान देने में बहुत देर कर दी। अब लोग नहीं मानेंगे कि आप भगवान नहीं हो। करोड़ों का साम्राज्य खत्म हो जाएगा और हम सड़क पर आ जाएंगे लोग हमें जिंदा जला देंगे। अब गुरु जी आपका ज्यादा दिन जिंदा रहना ठीक नहीं वैसे भी आपने अपनी जिंदगी जी ही ली है। चेलों व परिजनों ने तकिया लिया और गुरु को परलोक पहुंचा दिया। बाहर घोषणा कर दी कि अपने दिए गए समय अनुसार गुरु जी जन्नत को चले गए। चेलों ने पर्ची डालकर नया गुरु बना लिया और फिर वही फिल्म आगे जारी हो गई।
नोट इस ब्लॉग का किसी भी धर्म, सम्प्रदाय या जाति विशेष समूह से कोई लेना देना नहीं है।
यह काल्पिनिक है लेकिन समाज में ऐसा भी हो रहा है। इसको पढ़कर सत्य की जांच करने की जरूरत नहीं है। इसे पढ़कर यहीं छोड़ दें। किसी से भी इसकी चर्चा न करें। यह आपके लिए नुकसानदेय हो सकता है।
कलयुग में हर कोई अपराध करता है। गुरु भी करता है या उससे हो जाता है और चेला भी। चेले अपने अपराध को मान लेते हैं और इकबालिया बयान भी देते हैं। वे पश्चाताप भी करते हैं क्योंकि उन्हें विश्वास होता है कि उनका गुरु उन्हें उनके किए गए कथित पापों से बचा लेगा और उन्हें जन्नत ही नसीब होगी। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि गुरु भी इंसान ही होता है और वह भी पाप या अपराध कर ही लेता है। तो क्या वह पश्चाताप करता है, वह किसके पास जाकर इकबालिया बयान देता है। शायद नहीं कोई विरला ही होगा जो यह मानता होगा कि उसने कोई पाप किया है और उसको पश्चाताप करने की जरूरत है। जो चाहता भी होगा वह कर नहीं पाता होगा क्योंकि उसे डर होता है कि चेले क्या कहेंगे, वे उसे आम इंसान समझकर उसके इंद्रजाल से भाग जाएंगे। उसके चेलों को तो उसने बताया है कि वह ईश्वर का रुप है। उसके कहे अनुसार चलो,चेले भी वैसा ही करते हैं आंखें मूंद कर। हम आपको एक साहसी तथाकतिथ गुरु की सत्य कथा सुनाते हैं। इस गुरु के इकबालिया बयान से कोई हड़कम्प नहीं मचा।
जब यह गुरु मरने लगा उसे पता चल गया कि अब इसका अंत नजदीक है तो उसने अपने सबसे करीबी रिश्तेदारों व चेलों को बुलाया और कहने लगा कि मैं अपने किए गए अपराधों के लिए इकबालिया बयान देना चाहता हूं ताकि मैं चैन से मर सकूं। चेले व रिश्तेदार हैरान हो गए -कहने लगे गुरु जी आपको तो हम ईश्वर का रुप मानते हैं। आपसे भला कोई पाप या अपराध कैसे हो सकता है।
गुरु कहने लगा नहीं मैंने आप सबसे झूठ बोला था कि मैं ईश्वर का रुप हूं , मेरे में कोई ताकत नहीं बस मैं दिमागी खेल खेलना जानता था, प्रवचन देने में माहिर था बस इसी कारण मेरे रचाए इंद्रजाल में करोड़ों भोले-भाले लोग फंस गए। मैं लच्छेदार बातों में उन्हें फंसा लेता था। उन्हें पक्का करते रहने के लिए बार-बार कोई न कोई बहाना लेकर बुलाता रहता और उनकी कमाई का काफी हिस्सा दान के रुप में लेकर हड़प लेता कि उनको पता ही नहीं चलता कि उनके साथ क्या हो रहा है। मैंने अपने गुरु को भी धोखा दिया लोगों को यह कह कर उसकी गद्दी व ग्रंथ पर कब्जा कर लिया कि मेरे गुरु ने मुझे सपने में आकर गद्दी सम्भालने को कहा था। भोले भाले लोगों ने मेरे पर विश्वास कर लिया। मैंने अपनी कई भक्तों को झांसे में लेकर उनकी कीमती जमीनों पर कब्जा कर लिया।
भक्तों को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उनका गुरु क्या कह रहा है। हमने इसको क्या समझा था यह क्या निकला। गुरु ने कहा कि सब कुछ झूठ था सिर्फ श्रद्धा का व्यापार था। लोग झूठ सुन रहे थे मैं उनको सुना रहा था। किसी को कानों कान भनक ही नहीं पडऩे दी। हजारों करोड़ का साम्राज्य खड़ा कर लिया। भीड़ देखकर सरकार मंत्री भी सलाम ठोकने लगे। मीडिया को पैसे लेकर खरीद लिया वह भी मेरा गुणगाण करता। मेरे को पता था कि पैसा बोलता है। जो कोई विरोध करता डरा धमका कर, पैसा देकर या किसी चेले की बेटी से उसकी शादी करके उसका मुंह बंद कर दिया जाता। मेरे भक्त मेरे हर बचन को ईश्वर का बचन मानते थे। मैं जीवन भर आम इंसान की तरह नहीं जी पाया। सड़क पर न चल पाया,रास्ते में किसी से कुछ खरीदकर न खा पाया। अकेले सिनेमा न देख पाया। मैं उन लोगों हंसते, खेलते, नाचते गाते, एक दूसरे रंग डालते न देख पाया। मैंने सिर्फ किसी केे मरने पर जाने वाले गम्भीर शक्लों वाले चेले ही तैयार किए। मेरे को कोई हक नहीं था कि मैं उनकी भावनाओं ,उमंगों , नाच,गाने, संगीत पर पाबंदी लगाता, मेरा कोई हक नहीं था कि उनको उनके हंसते खेलते धर्म से उनको चालाकी से तोड़ता। मैं जब भी विदेशों में जाता तो चोरी छिपे मस्ती मार लिया करता था। तेज कार चलाता, तेज दौड़ता, सिनेमा देखता, पब में गोरियों के साथ मस्ती भी मारता, पोर्न फिल्में भी देखता। मैं यहां जम कर वे काम करता जो अपने देश में नहीं कर पाता था। यही सब तो एक आम इंसान चाहता है। अपने चाहने वालों के साथ कुछ मस्ती मारे और इस दुनिया का नजारा लूटे। पर ये सब करते समय मैं अपना भेष बदल लेता कि कोई मुझे वहां भी देख न ले।
मैं जिन चीजों से अपने चेलों को दूर रहने को कहता यहां मैं उन्हीं चीजों के मजे लूटता। अपने चेलों के बीच में आकर मैं वही बन जाता जो वे मुझे देखना चाहते। मेरे बच्चों को पता था मैं कैसा हूं इसलिए वे अपने परिवार के साथ विदेशों में सैटल हो गए और फिर वापस नहीं आए। मैं किसी को दोष नहीं देना चाहता इसके लिए सिर्फ और सिर्फ मैं जिम्मेदार हूं। मैंने अपनी शर्तों पर ही अपना जीवन जीया। जाओ और जाकर कह दो कि जाओ जाकर अपनी ङ्क्षजदगी खुशी से जियो। इतना कहने के बाद गुरु चुप हो गया। चेले एक दूसरे का मुंह ताकने लगे। कहने लगे गुरु जी अब बहुत देर हो चुकी है आपने इकबालिया बयान देने में बहुत देर कर दी। अब लोग नहीं मानेंगे कि आप भगवान नहीं हो। करोड़ों का साम्राज्य खत्म हो जाएगा और हम सड़क पर आ जाएंगे लोग हमें जिंदा जला देंगे। अब गुरु जी आपका ज्यादा दिन जिंदा रहना ठीक नहीं वैसे भी आपने अपनी जिंदगी जी ही ली है। चेलों व परिजनों ने तकिया लिया और गुरु को परलोक पहुंचा दिया। बाहर घोषणा कर दी कि अपने दिए गए समय अनुसार गुरु जी जन्नत को चले गए। चेलों ने पर्ची डालकर नया गुरु बना लिया और फिर वही फिल्म आगे जारी हो गई।
नोट इस ब्लॉग का किसी भी धर्म, सम्प्रदाय या जाति विशेष समूह से कोई लेना देना नहीं है।
यह काल्पिनिक है लेकिन समाज में ऐसा भी हो रहा है। इसको पढ़कर सत्य की जांच करने की जरूरत नहीं है। इसे पढ़कर यहीं छोड़ दें। किसी से भी इसकी चर्चा न करें। यह आपके लिए नुकसानदेय हो सकता है।
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