भगवान श्री राम व हनुमान जी की भक्ति
भगवान श्री राम व हनुमान जी की भक्ति
भगवान श्री राम से हर किसी ने जो चाहा वो पाया, विभीषण ने राजगद्दी, रावण ने सदगति, लक्ष्मण ने अग्रज भ्राता का प्यार सब ने कुछ न कुपाया। हनुमत ने जो पाया वो सबसे उत्तम, वो थी राम जी की भक्ति, चरणों में स्थान। यही थे हनुमान जी। राम जी के लिए प्राण तक देने को तैयार। भक्ति का कोई मूल्य नहीं। भगवान ने उन्हें गले लगाया प्यार दिया। रघुवर का प्रेम पाया। हनुमान जी का कोई निजी स्वार्थ नहीं था राम जी के अंग संग रहने का। बस एक लालसा थी सिर्फ भक्ति की। अतुलित बलशाली हनुमान भगवान राम के आगे एक बच्चे की भांति हो जाते। कभी मोतियों की माला से राम को ढूंढते और फिर सीना चीर कर सीता-राम की छवि सभी को हृदय में छपी दिखा देते। उनकी भक्ति ऐसी कि राम जी उनके लिए भगवान थे। सबकुछ विधाता जो सब का भाग्य बनाता है। आज कुछ मूर्ख लोग भगवान को सिर्फ साधारण पुरुष के तौर पर देखते हैं क्योंकि उनमें हनुमान सी भक्ति नहीं। एक अंश मात्र भी भगवान में विश्वास हो तो फिर क्या। मानो तो मैं गंगा मां हूं न मानो तो बहता पानी। मां भी क्या है एक मांस का लोथड़ा मात्र। मगर उसमें ममता जो ईश्वर ने भर दी तो वह भी देव तुल्य हो गई। भगवान ने तो एक गिलहरी तक को भी प्रेम दे दिया। आपका विश्वास कितना पक्का है। कुछ जो लोग धर्म को छोड़ जाते हैं वे भगवान से नफरत करने लगते हैं। उनके दिमागों में भर दिया जाता है कि ये आपके पूर्वज नहीं,ईष्ट नहीं। एक बहू जो पड़ोसी के घर में चले जाती है तो वह भी सीधे
मुंह अपने सास-ससुर से बात नहीं करती। ये तो वे लोग हैं जिनका दिमाग खाली करके भड़का दिया जाता है कि वे भगवान का नाम सुनना भीनर्क में जाने जैसा समझते हैं। पर हनुमान जी की भक्ति दृढ़ है वे डगमगाते नहीं,पूरी लंका को ही आग लगा देते हैं।
भगवान राम की भक्ति के सिवा उन्हें कुछ सूझता ही नहीं। भक्ति इतनी पक्की कि कोई तोड़ नहीं सकता। भगवान पर विश्वास टूट जाए, इसके लिए हर तरह की कोशिश की जाती है, वहां मार मारी जाती है जहां कुछ कमी है और फिर भड़का दिया जाता है। राम जी की भक्ति जिसे मिल जाती है किसी तरह का लालच नहीं चलता। सिर्फ राम ही राम। यह आप पर निर्भर करता है कि आपने राम को अपना ईष्ट बनाना
है या रावण की तरह प्रतिद्वंदी। राम दोनों तरफ है चुनाव आपने करना है।www.bhrigupandit.com
भगवान श्री राम से हर किसी ने जो चाहा वो पाया, विभीषण ने राजगद्दी, रावण ने सदगति, लक्ष्मण ने अग्रज भ्राता का प्यार सब ने कुछ न कुपाया। हनुमत ने जो पाया वो सबसे उत्तम, वो थी राम जी की भक्ति, चरणों में स्थान। यही थे हनुमान जी। राम जी के लिए प्राण तक देने को तैयार। भक्ति का कोई मूल्य नहीं। भगवान ने उन्हें गले लगाया प्यार दिया। रघुवर का प्रेम पाया। हनुमान जी का कोई निजी स्वार्थ नहीं था राम जी के अंग संग रहने का। बस एक लालसा थी सिर्फ भक्ति की। अतुलित बलशाली हनुमान भगवान राम के आगे एक बच्चे की भांति हो जाते। कभी मोतियों की माला से राम को ढूंढते और फिर सीना चीर कर सीता-राम की छवि सभी को हृदय में छपी दिखा देते। उनकी भक्ति ऐसी कि राम जी उनके लिए भगवान थे। सबकुछ विधाता जो सब का भाग्य बनाता है। आज कुछ मूर्ख लोग भगवान को सिर्फ साधारण पुरुष के तौर पर देखते हैं क्योंकि उनमें हनुमान सी भक्ति नहीं। एक अंश मात्र भी भगवान में विश्वास हो तो फिर क्या। मानो तो मैं गंगा मां हूं न मानो तो बहता पानी। मां भी क्या है एक मांस का लोथड़ा मात्र। मगर उसमें ममता जो ईश्वर ने भर दी तो वह भी देव तुल्य हो गई। भगवान ने तो एक गिलहरी तक को भी प्रेम दे दिया। आपका विश्वास कितना पक्का है। कुछ जो लोग धर्म को छोड़ जाते हैं वे भगवान से नफरत करने लगते हैं। उनके दिमागों में भर दिया जाता है कि ये आपके पूर्वज नहीं,ईष्ट नहीं। एक बहू जो पड़ोसी के घर में चले जाती है तो वह भी सीधे
मुंह अपने सास-ससुर से बात नहीं करती। ये तो वे लोग हैं जिनका दिमाग खाली करके भड़का दिया जाता है कि वे भगवान का नाम सुनना भीनर्क में जाने जैसा समझते हैं। पर हनुमान जी की भक्ति दृढ़ है वे डगमगाते नहीं,पूरी लंका को ही आग लगा देते हैं।
भगवान राम की भक्ति के सिवा उन्हें कुछ सूझता ही नहीं। भक्ति इतनी पक्की कि कोई तोड़ नहीं सकता। भगवान पर विश्वास टूट जाए, इसके लिए हर तरह की कोशिश की जाती है, वहां मार मारी जाती है जहां कुछ कमी है और फिर भड़का दिया जाता है। राम जी की भक्ति जिसे मिल जाती है किसी तरह का लालच नहीं चलता। सिर्फ राम ही राम। यह आप पर निर्भर करता है कि आपने राम को अपना ईष्ट बनाना
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