कृष्ण और उनकी लीलाएं-दृष्टिकोण आज के संदर्भ में
कृष्ण और उनकी लीलाएं-दृष्टिकोण आज के संदर्भ में
भृगुपंडित
नर्सरी में पढ़ती एक बच्चीके माता-पिता बहुत ही परेशानी में स्कूल पहुंचे और शिकायत की कि उनकी बेटी से उसके साथ पढऩे वाले बच्चे ने छेडख़ानी की। बच्चे के मां-बाप को भी तुरंत बुला लिया गया। लड़की के मां-बाप ने बताया कि लड़का उनकी लड़की को छूता है और उसकी रोटी भी छीन कर खा लेता है।सभी लोग इस मामले को यौन शोषण के रूप में लेने लगे। बच्चे को उस चीज के लिए प्रताडि़त किया जाने लगा जिसका उसे अभी ज्ञान भी नहीं था। अब सोचने वाली बात है कि मानसिकता किसकी दूषित हो चुकी है। बच्चे की या फिर इसके मां-बाप की जो उसके बालपन को अपने गंदे दिमाग से सोचते हैं। सैक्स विकृति बच्चों में नहीं अभिभावकों के मनों में बसी है। एक 4 साल के बच्चा-बच्ची में नहीं। यही बात कृष्ण पर भी लागू होती है। एक बलात्कारी नदी में नहा रही महिलाओं के कपड़े उठाकर उन्हें पेड़ पर टांग कर उन्हें चिढ़ाता नहीं, बल्कि वह नदी में कूद कर
उन महिलाओं के साथ बलात्कार करने का प्रयास करता। एक आधि को पकड़ लेता और उसका बलात्कार करता। लेकिन 4, 5 या 6 वर्ष के बालपन को लोग कैसे अपनी गंदी सोच से गंदा कर देते हैं। बच्चा पेड़ पर चढ़ कर उनको चिढ़ाता है,सखियां विनती करती हैं-देख कान्हा कपड़े दे दो, नहीं तो तुम्हारी मां को शिकायत लगाएंगे। कान्हा नाचता है, बंसुरी बजाता है और कहता है नहीं दूंगा,नहीं दूंगा। यह बालपन इतना निर्दोश है, इतना भोला है कि हम कामांधों को रस्सी भी सांप नजर आने लगती है। यह इस घटना का मनोवैज्ञानिक अध्ययन है। क्या अपनी मां के साथ बच्चा लिपट जाता है तो ये भी यौन आक्रमण होगा। माखन चोरी भी इसी तरह का एक बालपन है। इस तरह की वेबकूफी भरी बातें कहने वाले महामूर्ख हैं। समाज में जानबूझ करइस तरह की भ्रांतियां फैलाई जाती हैं,दूसरों की श्रद्धा का मजाक उड़ाया जाता है। कुछ लोग इसका उत्तर नहीं दे पाते तो पाते हैं कि शायद कृष्ण ऐसे ही ही होंगे। लेकिन सच्चाई कुछ और ही होती है। ऐसे झूठ व भा्रंतियों से चौकस रहना होगा।
भृगुपंडित
नर्सरी में पढ़ती एक बच्चीके माता-पिता बहुत ही परेशानी में स्कूल पहुंचे और शिकायत की कि उनकी बेटी से उसके साथ पढऩे वाले बच्चे ने छेडख़ानी की। बच्चे के मां-बाप को भी तुरंत बुला लिया गया। लड़की के मां-बाप ने बताया कि लड़का उनकी लड़की को छूता है और उसकी रोटी भी छीन कर खा लेता है।सभी लोग इस मामले को यौन शोषण के रूप में लेने लगे। बच्चे को उस चीज के लिए प्रताडि़त किया जाने लगा जिसका उसे अभी ज्ञान भी नहीं था। अब सोचने वाली बात है कि मानसिकता किसकी दूषित हो चुकी है। बच्चे की या फिर इसके मां-बाप की जो उसके बालपन को अपने गंदे दिमाग से सोचते हैं। सैक्स विकृति बच्चों में नहीं अभिभावकों के मनों में बसी है। एक 4 साल के बच्चा-बच्ची में नहीं। यही बात कृष्ण पर भी लागू होती है। एक बलात्कारी नदी में नहा रही महिलाओं के कपड़े उठाकर उन्हें पेड़ पर टांग कर उन्हें चिढ़ाता नहीं, बल्कि वह नदी में कूद कर
उन महिलाओं के साथ बलात्कार करने का प्रयास करता। एक आधि को पकड़ लेता और उसका बलात्कार करता। लेकिन 4, 5 या 6 वर्ष के बालपन को लोग कैसे अपनी गंदी सोच से गंदा कर देते हैं। बच्चा पेड़ पर चढ़ कर उनको चिढ़ाता है,सखियां विनती करती हैं-देख कान्हा कपड़े दे दो, नहीं तो तुम्हारी मां को शिकायत लगाएंगे। कान्हा नाचता है, बंसुरी बजाता है और कहता है नहीं दूंगा,नहीं दूंगा। यह बालपन इतना निर्दोश है, इतना भोला है कि हम कामांधों को रस्सी भी सांप नजर आने लगती है। यह इस घटना का मनोवैज्ञानिक अध्ययन है। क्या अपनी मां के साथ बच्चा लिपट जाता है तो ये भी यौन आक्रमण होगा। माखन चोरी भी इसी तरह का एक बालपन है। इस तरह की वेबकूफी भरी बातें कहने वाले महामूर्ख हैं। समाज में जानबूझ करइस तरह की भ्रांतियां फैलाई जाती हैं,दूसरों की श्रद्धा का मजाक उड़ाया जाता है। कुछ लोग इसका उत्तर नहीं दे पाते तो पाते हैं कि शायद कृष्ण ऐसे ही ही होंगे। लेकिन सच्चाई कुछ और ही होती है। ऐसे झूठ व भा्रंतियों से चौकस रहना होगा।
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