गणपति जी हमारे अराध्य देव-भगवान क्यों हैं

गणपति जी हमारे अराध्य देव-भगवान क्यों हैं

गणपति जी के माता पार्वती व महादेव के पुत्र हैं और भगवान काॢतक के भाई। हर प्रकार की अड़चनें इनके नाम मात्र के स्मरण से दूर हो
हो जाती हैं। सबसे पहले ध्याए जाने वाले ये महादेव के बहुत ही बुद्धिमान, सुंदर लिखने वाले पुत्र हैं। हमारे लिए सबसे ज्यादा
महत्वपूर्ण ये होता है जिसमें हमारे पूर्वजों में श्रद्धा है वह हमारे भी अराध्या हो जाते है। कुछ विधर्मी हमारे विश्वास, हमारी श्रद्धा का मजाक उड़ाते हैं। इन्हें हम क्या करते हैं किसे पूजते हैं,क्यों पूजते हैं, इससे समस्या है। हम क्या करते हैं। इससे भी इन्हें आपत्ति है। हम जिसे चाहे अपना
भगवान माने या न माने यह हमारा निजी मामला है। इस पर किसी को किंतु-परंतु करने का अधिकार नहीं है। हम किसी का मजाक नहीं उड़ाते। भगवान क्या जाने या न जाने, भगवान क्या करते हैं वे करते हैं क्योंकि वे भगवान हैं।
अब भगवान शिव ने अपने पुत्र को नहीं पहचाना तो क्या ? क्या तुमने ठेका लेकर रखा है कि वह अपने पुत्र को पहचाने। अपने पुत्र को जीवित करने के लिए हथिनी का सिर लगाया तो तुम्हें आपत्ति क्यों। फिर भगवान ने पुत्र को जीवित कर दिया और वह भी हाथी के सिर के साथ। क्या ऐसी विधी वैज्ञानिक खोज सके कि किसी जीव का सिर लगाकर किसी को ङ्क्षजदा किया जा सके। यह सात आसमानों व पंख लगी लड़की जो घोड़ी जैसी है या धरती चकोर या चपटी है या सूर्य दलदल में डूब जाने वाली अवैज्ञानिक बात नहीं। न ही यह एक कुंवारी के माता बनने का। यह मामला एडम एवम ईव के बच्चों द्वारा आपस में (भाई-बहन)  में सम्भोग करके आगे फिर बच्चे पैदा करने का।  एक हाथी के लगे सिर वाला बालक जो बुद्धिमान है, सुंदर लिखता भी है पूरी महाभारत वेद व्यास के साथ एक बार बैठकर लिख देता है। लिखा महाभारत प्रमाण है।
 माता पार्वती ने अपनी मैल से पुतला बनाया और इसमें प्राण फूंक दिए। एक शक्ति का संचार हुआ ये टैस्ट ट्यूबू बेबी या सैरोगेटरी मदर जैसीएक विधी हो सकती है जिसपर अभी खोज बाकी है। न भी हो तो माता पार्वती शक्ति हैं किसी में भी प्राण फूंक सकती हैं और काली बनकर प्राण ले भी सकती हैं। मानव क्लोन तो अब कभी भी बन सकता है।
महादेव की लीलाएं मूर्ख व श्रद्धा  से रहित नहीं समझ सकते।  आज सूअर के स्टेम सैल मानव की हर बीमारी का उपचार सम्भव हो जाएगा।
महाकाल इस संसार के संहारक ही नहीं वह इसे रिसाइकल भी करते हैं, योगी भी हैं और नृत्य व तंत्र कलाएं इनसे ही उपजी हैं।
हमारी श्रद्धा महादेव के हर अंश पर है चाहे वो चांद हो या नाग देव। जो इसपर उंगली उठाता है वह ्अपनी मूर्खता का ही परिचय देता है।
भगवान कुछ भी न करते वे सातवें,आठवें या किसी और ग्रह में भी रहते तो भी वह हमारे ईष्ठ ह रहने हैं। महादेव की लीलाएं ही हैं गणेश, नंदी
आदि।

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