हमारा ईश्वर हमारा मित्र,हमारे साथ खेलता है
हमारा ईश्वर हमारा मित्र,हमारे साथ खेलता है
कृष्ण को जिस किसी ने जैसा चाहा वह वैसा ही बन गए कंस ने उन्हें अपना दुश्मन माना वे वैसा ही बन गए। द्रोपदी उनकी सखी बनी तो उन्होंने अंत तक उसका साथ दिया। उसका अपमान करने वालों को सजा दिलाई। कृष्ण ने गोपियों के संग मित्र, प्रेमी बनकर रास रचाया। वे भय पैदा नहीं करते न ही वे सातवें आकाश पर आप पर नजर रखे हुए हैं कि जैसे ही आप कोई गलत कदम उठाओ वे आप पर प्रहार करेंगे। आप उनकी तरफ मुस्कराओगे तो वे ते आप के दोस्त बन जाएंगे। वे आपके साथ खेलने लग जाएंगे। अर्जुन ने उन्हें गुरु माना तो
उन्होंने उन्हें गीता का ज्ञान दे दिया। वे गाते हैं, नाचते हैं और संगीत की धुने छेड़ते हैं। खुलकर होली के रंगों से आपके साथ होली खेलते हैं। ये होली फूलों की नहीं पानी से भरे रंगों के साथ पिचकारी मारते हैं, हंसते हैं गुलाल उड़ाते हैं। बांसुरी की धुन ऐसी छेड़ते हैं कि सब कुछ जैसै रुक सा जाता है। मोहन मोह लियो तूने। इस अराधना को वे ही जान सकते हैं जिन्हें प्रवचन करने वाले ने सिर्फ अपने प्रवचन सुनने के लिए
बैठा रखा हैै, सिर्फ अपनी फिलास्फी ही झाड़ रहा है। सुनने वाला नाचना चाहता है,गाना चाहता है, हंसना चाहता है और वह कहता है कि ऐसा करना अशिष्टाचार है। भाड़ में जाए तेरे अजीब सी आवाज में किए जा रहे प्रवचन जैसे किसी जीव को काटा जा रहा हो और वह दर्दनाक आवाज निकाल रहा हो। हमारा ध्यान तो कान्हा के मधुर संगीत की तरफ है। हंसना,नाचना,गाना मन के चाव हैं। यही तो ईश्वर से जोड़ते हैं। कान्हा संग होली तो खेलनी ही है, नाचना भी है। www.bhrigupandit.comलेकिन जब धर्म की बात आती है तो दुष्टों का संहार भी करते हैं। कान्हा रण में योद्धा भी बन जाते हैं।
कृष्ण को जिस किसी ने जैसा चाहा वह वैसा ही बन गए कंस ने उन्हें अपना दुश्मन माना वे वैसा ही बन गए। द्रोपदी उनकी सखी बनी तो उन्होंने अंत तक उसका साथ दिया। उसका अपमान करने वालों को सजा दिलाई। कृष्ण ने गोपियों के संग मित्र, प्रेमी बनकर रास रचाया। वे भय पैदा नहीं करते न ही वे सातवें आकाश पर आप पर नजर रखे हुए हैं कि जैसे ही आप कोई गलत कदम उठाओ वे आप पर प्रहार करेंगे। आप उनकी तरफ मुस्कराओगे तो वे ते आप के दोस्त बन जाएंगे। वे आपके साथ खेलने लग जाएंगे। अर्जुन ने उन्हें गुरु माना तो
उन्होंने उन्हें गीता का ज्ञान दे दिया। वे गाते हैं, नाचते हैं और संगीत की धुने छेड़ते हैं। खुलकर होली के रंगों से आपके साथ होली खेलते हैं। ये होली फूलों की नहीं पानी से भरे रंगों के साथ पिचकारी मारते हैं, हंसते हैं गुलाल उड़ाते हैं। बांसुरी की धुन ऐसी छेड़ते हैं कि सब कुछ जैसै रुक सा जाता है। मोहन मोह लियो तूने। इस अराधना को वे ही जान सकते हैं जिन्हें प्रवचन करने वाले ने सिर्फ अपने प्रवचन सुनने के लिए
बैठा रखा हैै, सिर्फ अपनी फिलास्फी ही झाड़ रहा है। सुनने वाला नाचना चाहता है,गाना चाहता है, हंसना चाहता है और वह कहता है कि ऐसा करना अशिष्टाचार है। भाड़ में जाए तेरे अजीब सी आवाज में किए जा रहे प्रवचन जैसे किसी जीव को काटा जा रहा हो और वह दर्दनाक आवाज निकाल रहा हो। हमारा ध्यान तो कान्हा के मधुर संगीत की तरफ है। हंसना,नाचना,गाना मन के चाव हैं। यही तो ईश्वर से जोड़ते हैं। कान्हा संग होली तो खेलनी ही है, नाचना भी है। www.bhrigupandit.comलेकिन जब धर्म की बात आती है तो दुष्टों का संहार भी करते हैं। कान्हा रण में योद्धा भी बन जाते हैं।
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