जन्मकुंडली में कालसर्पयोग और अरिष्ट निवारण कुछ उपाय
कुंडली में कालसर्प दोष होने पर लोगों को सही जानकारी न होने के कारण कई प्रकार की भ्रांतियां व जिज्ञासाएं भी हैं। लोग कालसर्प दोष के बारे में जानना चाहते हैं । इसके बारे में हम आपको जानकारी देंगे। कुंडली में कालसर्प दोष होने के कारण जीवन में कई प्रकार की बाधाएं सामने पेश आती हैं। जीवन संघर्षपूर्ण रहता है। 99 प्रतिशत काम होने पर भी सारा काम धरा धराया रह जाता है। इस दोष से दुनिया में बहुत से महान लोग पीड़ित रहेे हैं ।
कुंडली में अच्छे ग्रहों की स्थिति के बावजूद सबकुछ होने के बावजूद असफलता का मुंह देखते हैं और गुमनामी के अंधेरों में खो जाते हैं। राहु व केतु का दाव ऐसा लगता है कि वे पानी भी नहीं मांग पाते। सबकुछ होेने के बावजूद पता नहीं कौन सी दौड़ में लगे रहते हैं कि उन्हें भी पता ही नहीं चलता कि उनके साथ हो क्या रहा है। ऐसे इंसान हर समय परेशान ही रहते हैं।
**कुंडली में यदि राहू और केतु के बीच जब सभी ग्रह आते है तब कालसर्प योग बनता है ..**
राहू का नक्षत्र भरणी है और इसका देवता ''काल'' है तथा केतु का नक्षत्र आश्लेषा है जिसका देवता ''सर्प ''है इसीलिए इसे कालसर्प कहते है।
**उपाय --**
शनिवार को कच्चे नारियल को तिल के तेल का तिलक लगाकर अपने ऊपर से सात बार उतारकर पानी में बहा देना चाहिए इससे कालसर्प का प्रभाव कम होता है।
इसके कारण यदि विवाह और संतान पक्ष पर असर पड़ रहा हो तो राहू और केतु के नक्षत्र की शांति करे नवनाग पूजन करें और अपने घर के मुख्य दरवाजे पर चांदी का स्वस्तिक चिन्ह बना कर लगवाएं।
घर में मोर के पंख रखें और प्रातः उठकर पंख से अपने ऊपर हवा करे।
प्रत्येक सक्रांति को गंगाजल का छिड़काव घर के प्रत्येक कमरों में करे।
पप्रभाव को कम करने के लिए पंचमी का व्रत करे।
कालसर्पयोग शांति के लिए शिवार्चन और नाग स्तोत्र का पाठ करे। हर सोमवार को भागवान शिव को जल चढ़ाएं और ओम नम शिवाय मंत्र का जाप हर रोज कम से कम 108 बार जरूर करें।
नाग स्तोत्र -
अनंतं वासुकिं शेष पद्म नाभं च कम्बलम .
शंख्पालम कर्कोटकम कालियं तक्षकं तथा
एतानि संस्मरे नित्यं आयु कामार्थ सिद्धये
सर्पदोष क्षयार्थम च पुत्र पोत्रान समृद्धये .
तस्मै विष भयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत् ..
**विशेष --**
कालसर्प योग का प्रभाव जीवन में मिले जुले फल देता है। कभी लाभ और कभी हानि.इसलिए कुंडली का सही अध्ययन आवश्यक है ... bhriguji 98726 65620
Call us: +91-98726-65620
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कुंडली में अच्छे ग्रहों की स्थिति के बावजूद सबकुछ होने के बावजूद असफलता का मुंह देखते हैं और गुमनामी के अंधेरों में खो जाते हैं। राहु व केतु का दाव ऐसा लगता है कि वे पानी भी नहीं मांग पाते। सबकुछ होेने के बावजूद पता नहीं कौन सी दौड़ में लगे रहते हैं कि उन्हें भी पता ही नहीं चलता कि उनके साथ हो क्या रहा है। ऐसे इंसान हर समय परेशान ही रहते हैं।
**कुंडली में यदि राहू और केतु के बीच जब सभी ग्रह आते है तब कालसर्प योग बनता है ..**
राहू का नक्षत्र भरणी है और इसका देवता ''काल'' है तथा केतु का नक्षत्र आश्लेषा है जिसका देवता ''सर्प ''है इसीलिए इसे कालसर्प कहते है।
**उपाय --**
शनिवार को कच्चे नारियल को तिल के तेल का तिलक लगाकर अपने ऊपर से सात बार उतारकर पानी में बहा देना चाहिए इससे कालसर्प का प्रभाव कम होता है।
इसके कारण यदि विवाह और संतान पक्ष पर असर पड़ रहा हो तो राहू और केतु के नक्षत्र की शांति करे नवनाग पूजन करें और अपने घर के मुख्य दरवाजे पर चांदी का स्वस्तिक चिन्ह बना कर लगवाएं।
घर में मोर के पंख रखें और प्रातः उठकर पंख से अपने ऊपर हवा करे।
प्रत्येक सक्रांति को गंगाजल का छिड़काव घर के प्रत्येक कमरों में करे।
पप्रभाव को कम करने के लिए पंचमी का व्रत करे।
कालसर्पयोग शांति के लिए शिवार्चन और नाग स्तोत्र का पाठ करे। हर सोमवार को भागवान शिव को जल चढ़ाएं और ओम नम शिवाय मंत्र का जाप हर रोज कम से कम 108 बार जरूर करें।
नाग स्तोत्र -
अनंतं वासुकिं शेष पद्म नाभं च कम्बलम .
शंख्पालम कर्कोटकम कालियं तक्षकं तथा
एतानि संस्मरे नित्यं आयु कामार्थ सिद्धये
सर्पदोष क्षयार्थम च पुत्र पोत्रान समृद्धये .
तस्मै विष भयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत् ..
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