गोस्वामी तुलसीदास व श्री रामचरितमानस
गोस्वामी तुलसीदास व श्री रामचरितमानस एक समय था जब मुगलों ने अयोध्या में श्री राम का मंदिर ध्वस्त कर दिया था और उस पर बाबरी मस्जिद का निर्माण कर दिया था। यह एक ऐसा सांस्कृतिक व धार्मिक हमला था जिसमें हिन्दुओं की आस्था को नष्ट करने का कुप्रयास था। ऐसा नहीं था कि मस्जिद बनाने के लिए जगह की कमी थी लेकिन मंदिर को ध्वस्त करना जरूरी था। आस्था को तोड़ना था, श्रीराम जो भारतीय जनमानस के दिलों में बसे थे उस नायक की स्मृति को मिटाना था। एक इंसान ने एक ऐसा इतिहास रच दिया कि जन-जन तक राम की गाथा पहुंचा दी। जितना आस्था को तोड़ने का प्रयास किया गया उतनी ही आस्था और दृढ़ होती गई। गोस्वामी तुलसीदास जी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं राम कथा इसलिए लिख रहा हूं क्योंकि मुझे ऐसा करना अच्छा लगता है। काव्य ग्रंथ श्री रामचरितमानस ने पूरे हिन्दुस्तान में आस्था की क्रांति ला दी। एक ऐसी चिंगारी उठी कि हर तरफ आस्था की आग लग गई। एक अदना सा इंसान जो दो समय की रोटी भी नहीं जुटा पाता हो उसने रामकथा लिखकर, गाकर राम नाम की अलख जगा दी। यदि गोस्वामी जी ने रामचरितमानस न लिखा होता तो एक नायक श्रीराम जनमानस के ह्दय...